निर्मोही मोह – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

 गुलाबो नाम था उसका।पति कॉलरी में नौकरी करते थे,पर पत्नी से अलग मां के साथ रहते थे।जवानी में पत्नी पर बहुत अत्याचार किए थे उसने,तो जब बच्चे थोड़े बड़े हुए ,बगल में अलग कमरा किराया लेकर रहने लगी थी गुलाबो।सालों से लोगों के घरों में काम करती थी।खाली घर में सोने के भी पैसे लेती … Read more

नारियल वाली टॉफी – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

महीने की पांच तारीख आते ही घर में गहमागहमी मच जाती।वैसे तो अब तीन लोग ही रह गएं हैं घर में।पति जब तक थे,किराने का सामान लाना पूरी तत्परता से निभाते थे।कोई भी चीज छूटती ना थी।अपने पापा के लिए बोरोलीन,मां की वैसलीन अत्यंत आवश्यक चीजें थीं।उसके बाद बच्चों की हर फरमाइश पूरी करते थे।सारा … Read more

असलियत कुछ और है – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral Stories in Hindi

रीना की सासू मां ने चहकते हुए कहा”बहू,ओ बहू !!!खुशखबरी है।तुम्हारे बड़े भांजे की शादी पक्की हो गई।रजनी(बड़ी ननद)ने अभी बताया।दामाद जी ने सबसे पहले हमें ही खुशखबरी दी है।अच्छे से तैयारी कर लेना।मुझे जल्दी ही ले जाएगी आकर।शादी के नियम नहीं जानती ना वो।अमित को बोलना,बहू के लिए सोना तो देना ही पड़ेगा।” रीना … Read more

नया रूप – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

आज लगभग दो वर्षों के बाद अपने घर में सभी भाई -बहन इकट्ठा हुए थे।शादी के बाद ऐसा कम ही होता था कि,तीनों बहनें एक साथ मायके आ पाएं।साल में एक बार आते तो जरूर थे,पर अपनी और बच्चों की सुविधा अनुसार।सुमन पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी।लगभग बत्तीस साल हो गए थे शादी को। … Read more

स्नेह की सुनामी – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

सरिता जी आज मोहल्ले के दुर्गा मंदिर में सदा की तरह ढोलक बजा रहीं थीं।प्रत्येक सप्ताह ही महिलाओं के द्वारा मंदिर में भजन हो रहा था आज।विशेषता आज की यह थी कि आज “रामनवमी”थी।जवारे अपराह्न विसर्जित किए जा चुके थे।सुबह मंदिर में सार्वजनिक हवन भी हो चुका था। भजन के दौरान आज शाम सरिता जी … Read more

मोह का अटूट बंधन – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

पूरे एक साल के बाद अर्पिता आ रही थी मायके,बेटी(रितु) के संग।आने की जानकारी देते हुए फोन पर बताया था अर्पिता ने रीना को”भाभी,रितु के साथ आ रहीं हूं मैं।चार दिन रुकेंगें हम।वापसी में मां को भी अपने साथ लेकर आऊंगी।अब तो अच्छी तरह चल लेती हैं वो।रितु ने पिछले साल वादा ले लिया था … Read more

समझदार बच्चे,नासमझ मां – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

राखी की हम उम्र ननद (सुजाता) ने फोन पर बताया कि वह अपनी बेटी के साथ आ रही है।राखी की शादी के समय वह कुंवारी थी।ससुराल में आकर वही एक सच्ची सहेली बनी थी।राखी और सुजाता की खूब पटती थी। ससुराल में सास-ससुर और पति के साथ सामंजस्य बिठाने में,सुजाता ने अपनी भाभी की बहुत … Read more

समझदार मां – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

रघु को रति बहुत पसंद आई थी। इंस्टाग्राम पर परिचय हुआ।सुंदरता के साथ-साथ कुशाग्र बुद्धि की भी धनी थी,रति। ग्रेजुएशन में चार गोल्ड मिले थे, यूनिवर्सिटी से।पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद अच्छी कंपनी में नौकरी कर रही थी।रघु भी इंडियन नेवी में पोस्टेड था।परस्पर परिचय होने पर दोनों ने महसूस किया कि वे एक दूसरे को … Read more

भरोसे के आंसू – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

उम्र चेहरे पर झुर्रियां ला सकती है,काया ढीली कर सकती है, नज़र कमजोर कर सकती है,पर आंखों में छिपे आंसुओं को खत्म नहीं कर पाती।ये आंसू सिर्फ खुशी या दुख के नहीं होते,बल्कि भरोसे के भी होतें हैं। ख़ुद पचास पार कर चुकी ,शुभा को ही अब जल्दी थकान होने लग रही थी।ज्यादा काम पड़ … Read more

महिला -दिवस – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

बड़े चाव से अपने इकलौते बेटे मनुज के लिए मानसी को पसंद किया था,सुषमा ने।देखने में सुंदर,और सजातीय तो थी ही, पढ़ी-लिखी भी थी।मानसी की चंचलता ने मन मोह लिया था सुषमा का।मनुज ने तो पहले ही कह दिया था”देख -परख कर आप ही लाना अपनी बहू।बाद में मुझे ना घसीटना दोनों की कलह में।मुझे … Read more

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