अनकहे अरमान – शुभ्रा बैनर्जी: Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : वैसे तो राखी के त्पयोहार से पति का कोई संबंध नहीं होता,पर आज धैर्या को समीर की बहुत याद आ रही थी।जब से उसे छोड़कर गएं हैं,हर त्योहार मानो फीका सा पड़ गया है।त्योहार मनाने की उत्सुकता जितनी समीर में देखी थी उसने,उतनी किसी में नहीं।हर त्योहार के पहले ही … Read more

मां-बाप हैं फुटबॉल नहीं –   शुभ्रा बैनर्जी  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi: प्रज्ञा की आंख लगी ही थी कि जिठानी सावित्री जी का फोन आया”प्रज्ञा,स्वीटी के पास जा रहें हैं,हम।उसे डॉक्टर ने बेड रेस्ट की सलाह दी है।”प्रज्ञा सोचने लगी अभी तो आंठवा महीना ही लगा है,अभी से दीदी जाएंगी बेटी के पास।नानी बनने का सुख भी अलौकिक होता है।एक महीने बाद ही … Read more

प्रेशर कुकर- शुभ्रा बैनर्जी  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi: लगभग दो सालों के बाद विद्यालय के प्रांगण में आकर सुमेधा को बिल्कुल भी अजीब नहीं लगा।यही तो वह जगह है,जहां उसने अपने जीवन के बीस साल बच्चों के साथ‌ बिताएं हैं।उसकी बड़ी आंखों के रौब और स्नेह की कोमलता ने बच्चों की सबसे प्रिय शिक्षक‌ बनाया था।बाकी शिक्षकों के मुंह … Read more

रिश्तों में समर्पण –  शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi: जस्सी अस्पताल में नर्स थी।बेहद खूबसूरत और शालीन।शादी के बाद गर्भवती हुई तो,शुगर की बीमारी ने आ घेरा ।बहुत कोशिशों के बाद भी शिशु को जन्म नहीं दे पाई, और ऐसा बार-बार हो रहा था।अस्पताल में हर समय चहकने वाली जस्सी अपने मन में मातृत्व की आस लिए बीमारों की सेवा … Read more

मुआवजा…- शुभ्रा बैनर्जी  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : वैसे तो पारुल दीदी सुषमा की सगी जिठानी नहीं थीं,पर एक ही मोहल्ले में सालों से साथ रहते-रहते उनमें बहुत प्यार था।सुषमा ने उनके तीनों बच्चों को पढ़ाया था।बड़ी और छोटी बेटी की शादी उनके पति के रिटायर होने के पहले ही हो गई थी। रिटायरमेंट के बाद दोनों पति … Read more

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ज़िंदगी “कलंक” नहीं कस्तूरी है – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

सुगंधा ने ट्रेन छूटते ही बच्चों को फोन पर जानकारी दे दी।आज कॉलोनी की हम उम्र महिलाओं के साथ बनारस जा रही थी,घूमने। बनारस का नाम सुनते ही, जाने क्यों मन बांवरा सा हो जाता था उसका।वैसे बनारस से इश्क़ करने वाली वह पहली और अकेली नहीं थी।बनारस के रस ने ना जाने कितनी जिंदगियों … Read more

घर आंगन की दूबी – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : बाकी लड़कियों की तरह वसुधा भी विदाई के वक्त, ससुराल के घर आंगन की खुशबू अपने मन में बसाए ससुराल पहुंची थी।लड़कियों के लिए तब ससुराल परीकथा के स्वर्ग सा होता था और पति सफेद घोड़े में आने वाला राजकुमार।परियों के देश की सैर करवाने वाला सपनों का राजकुमार। कुछ … Read more

अमूल्य सहारा – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : आज प्राची को दादा -दादी के आशीर्वाद की महिमा ज्ञात हुई।दोनों हांथ जोड़कर आसमान की ओर देखकर दिल से प्रणाम किया उसने दोनों को।बचपन से ही बहुत लाड़ली थी वो दोनों की।दादाजी की गोद में टंगकर कहां – कहां नहीं घूमी थी। चलना सीख जाने पर दादाजी की उंगली पकड़ … Read more

अनोखी सीख – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : मृदुला विद्यालय से आते ही हांथ में टॉफी लेकर दादी के कमरे में गई,।दादी को टॉफियां बहुत पसंद थीं ।बीमारी की वज़ह से घर पर कुछ भी मीठा खाने से मनाही थी,।दादी अक्सर कहती मृदुला से”तेरे दादाजी रोज़ ऑफिस से आते समय मेरे लिए टॉफी , चॉकलेट या कुछ मिठाई … Read more

तीर्थ यात्रा – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : ममता आज भी अपने बचपन की यादों को सहेजे रखी थी। यद्यपि सारी सुख सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं उस समय,पर जितना भी मिला बहुत था।तब आज-कल के जैसे बड़े-बड़े सपने नहीं देखतीं थीं आंखें। संयुक्त परिवार में खुशियों के हर लम्हों को सभी के साथ बांट लेने का चलन था। … Read more

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