प्रतिज्ञा – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : महेश हमारा बहुत पुराना ड्राइवर था।उसके पास ख़ुद का ऑटो और एक मारुति वैन थी।सभ्य,सरल और शिक्षित होने की वजह से पूरे कस्बे का विश्वसनीय ड्राइवर था महेश।अपने काम के प्रति पूरी तरह समर्पित था वह।पैसों के लिए कभी झगड़ते नहीं देखा था उसे।कोविड काल में वही एकमात्र ऐसा व्यक्ति … Read more

जलालत का दर्द तुम भी तो जानो : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : स्वप्निल पगफेरे में मायके पहुंची तो सहेलियों ने घेर लिया उसे।पूरा घर उसके आने की खुशी मनाने में लगा था।मां अपने दामाद को देख वारी जा रहीं थीं। स्वप्निल की सारी सहेलियां उसे सुंदर और सुयोग्य जीवनसाथी मिलने की बधाई दे रहीं थीं।तीन दिन मायके में रहकर जब विदाई का … Read more

प्रेम पर इल्ज़ाम कैसे लगने दूं?? – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “मां,ओ मां!कहां हो तुम?”अर्घ की पुकार सुनकर मीना तेजी से रसोई से बाहर आई।”क्या हुआ ये?क्यों इतनी जोर से चिल्ला रहा है?उसने पूछा। “मां,पूजा का बोनस मिलेगा मुझे इस बार।माना कम मिलेगा औरों से, क्योंकि ज्वाइनिंग देर से हुई थी।मिलेगा तो कम से कम।”अर्घ बहुत खुश होते हुए बोला। मीना … Read more

अब कहती हूं – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : प्रभा आज छोले बना रही थी बेटी के पसंद के।बेटी ने बड़े चाव से कहा था “मां,एकदम वैसे ही बनाना जैसे पापा को पसंद थे।”खाने की मेज पर छोले के डोंगे को देखकर उसकी प्रतिक्रिया थी”मां,क्या हो गया है आपको?ना तो वैसा रंग है और ना ही खुशबू।पापा का डर … Read more

मन का रिश्ता- शुभ्रा बैनर्जी  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “अरे ओ दिद्दा,कहां गई ?ये ले भुट्टे लाई हूं तेरे लिए।”शशि अंदर से भागती हुई आई और बोली”नहीं अम्मा,भुट्टा मत देना।इन्हें भूनने का समय ही नहीं मिलता,पड़े-पड़े सूख जातें हैं।मन मारकर फिर फेंकना पड़ता है। जबरदस्ती हर बार पकड़ा जाती हो कुछ ना कुछ।पैसे भी नहीं लेती हो।नहीं लूंगी कुछ … Read more

रोने से नहीं बदलती क़िस्मत – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : शिवानी आंटी अपनी किस्मत लकीरों में ढूंढ़ ही नहीं पाई कभी।भोर की पहली किरण के निकलने से पहले ही उठ जाती थीं।कॉलोनी में धनवान घरों के कपड़े धोती थीं वह।सुबह सवेरे कॉलोनी के सार्वजनिक नल में कपड़े धोते -धोते ही उजाला हो जाता था।वापस आकर आंटी पापड़,चिप्स और बड़ी बनाने … Read more

सिलाई मशीन – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : पितृपक्ष शुरू हो चुका है।प्रमिला ने बेटे को सामान की लिस्ट बनाकर दे दी अपनी सास से पूछकर।पूजा -पाठ में पारंगत ,प्रमिला की सास बहुत बड़ा सहारा थीं उसके लिए।शादी होकर जब से आई थी प्रमिला,सास को ही पूजाघर में देखा था।अनवरत हर उपवास,व्रत,और उत्सव में बहुत ही सक्रिय रहतीं … Read more

पिंडदान – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : सरिता को पंडितों ने बार-बार समझाया था कि माता-पिता का पिंडदान भाई ही करता है।सरिता ने जिद पकड़ ली थी कि उसे भी जाना है गया।भाई ने भी समझाया उसे” तेरा जाना जरूरी नहीं दीदी।बच्चों और पति को परेशानी हो जाएगी। तू घर से ही मां-पापा को अर्घ अर्पित कर … Read more

बेटियां क्या सचमुच पराई होती हैं? –  शुभ्रा बैनर्जी  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : बचपन से हर मां पर एक ही लांछन लगाया जाता है,परिवार के लोगों के द्वारा ,कि बेटे को ज्यादा प्यार करतीं हैं।श्यामा ने भी हंसकर यह लांछन लिया था अपने स्नेह पर।बेटी पापा की लाड़ली और बेटा मां का।अनचाहे ही मांएं पक्षपात करतीं हैं बेटे-बेटियों में,यह श्यामा स्वयं ही स्वीकार … Read more

चुभन जो जलन बन गई- शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : सुवर्णा काफी दिनों से इस कॉलोनी में रह रही थी,।कॉलोनियों में घर बहुत पास -पास बने होतें हैं ।पड़ोस के घर में छींक भी आ जाए तो पूरे मोहल्ले को सर्दी-जुकाम हो जाता है।एक घर में दूध जल जाए तो सारी औरतों की नाक सिकुड़ जाती है।घरों में होने वाले … Read more

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