हैसियत के हिसाब से रिश्तेदारी

आज नव्या की शादी की तिथि पक्की हो गई थी।नीरजा ने चैन की सांस ली।लगभग साल भर से, परेशान थी नीरजा। नव्या की पसंद का लड़का और परिवार ढूंढ़ना बड़ी टेढ़ी खीर था। नव्या की ढेर सारी शर्तों की चेतावनी के बाद,आशीष को पसंद किया था नीरजा ने। नव्या की पसंद नीरजा से ज्यादा और … Read more

मां की आह – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Story In Hindi

बाबूजी नौकरी में रहते ही,घर बनवा गए थे। फिजूलखर्ची ना करने वाले बाबूजी ने गांव में बंजर पड़ी काफी ज़मीन खरीद कर रखीं थीं।वैभव को पढ़ा-लिखा कर नौकरी भी लगवा दी और दोनों बेटियों की शादी भी करवाई थी संपन्न घरों में।उनकी मृत्यु के पश्चात अक्सर वैभव मां को ताना देता था”मां,तुमने बाबूजी को रोका … Read more

आपकी बहू तो बन सकती है, पर मेरी पत्नी नहीं: family story in hindi

प्रखर ने घर आते ही अपनी पैंट की जेब से उस कागज़ के टुकड़े को निकाला।”अनुभा” नाम उसके दिल और दिमाग में उथल-पुथल मचा रहा था। रह-रहकर उसका अतीत उसकी आंखों के सामने घूम रहा था।ओह!!तो मेरा मन सच ही बोल‌ रहा था,अनुभा इसी शहर में है।मेरे आस-पास ही है।आखिर इतनी दूर क्यों चली गई … Read more

नानी का घर –  Short Hindi Moral Story

नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए “नानी तेरी मोरनी को, मोर ले गए,   बाकी जो बचा था ,काले चोर ले गए” आज रेडियो एफ एम पर अरसे बाद यह गीत सुना।मयूरी अपने हांथ से सब्जियां और चाकू रखकर, इत्मीनान से गाना सुनने लगी।कितनी सारी यादों ने इस गीत को सुनकर,मचलना शुरू कर दिया।मयूरी की … Read more

बूढ़े माता-पिता अच्छे नहीं लगते – शुभ्रा बैनर्जी | motivation story in hindi

रागिनी अपनी ननद के बेटे के उपनयन संस्कार में दिल्ली आई थी। सास-ससुर एक महीने पहले ही आ चुके थे।सास को इस अनुष्ठान के विधि-विधान का अच्छा अनुभव था, इसलिए ननद ने जल्दी बुलवा लिया था।दस साल पहले रिटायर हो चुके ससुर के पास जमा-पूंजी के नाम पर कुछ विशेष नहीं बचा था।उनके घर का … Read more

मां तुम तो वट वृक्ष हो हमारी – शुभ्रा बैनर्जी | best hindi kahani

इस लड़की का मैं क्या करूं?कभी सुनती ही नहीं मेरी।सुधा पहले से ही जानती थी कि उसकी बेटी यशा मानेगी नहीं।शादी की बातचीत जब से शुरू हुई थी,तब से सुधा का मन इसी आशंका से आहत हो रहा था।पक्की बात करने जब वैभव और उसके माता-पिता आए,तभी यशा ने सहज तरीके से उन्हें समझाया था … Read more

काश!!!मैंने अपने दिल की सुनी होती – शुभ्रा बैनर्जी | Real Life Love Story In Hindi

शुभा जब भी बाहर निकलती,हर अपरिचित से संवाद करना आरंभ कर देती थी।इस स्वभाव से कभी नुकसान पहुंचा हो ऐसा भी नहीं,पर परिवार में उसकी इस आदत से सभी उस पर हंसते थे। सब्ज़ी वाला,ऑटो वाला,रेहड़ी वाला,अखबार देने वाला या ब्रेड बेचने वाला ,हर किसी से सुख -दुख की बात कर लेती थी वह।सब्जी वाला … Read more

बदसूरती का दिखावा – शुभ्रा बैनर्जी 

आज तक यही सुना और देखा था मधु ने ,कि लोग अपनी सुंदरता,शिक्षा,पद और प्रतिष्ठा का झूठा दिखावा करते हैं।दिखावे के नाम पर शादी-ब्याह,पूजा -पाठ और रिश्तेदारी में अनगिनत झूठ के आवरण देखें थे मधु ने। आज अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था रंजना को देखकर।रंजना की मां गुलाबो कॉलोनी में लोगों … Read more

रिश्तों में बंधा स्वार्थ या स्वार्थ में बंधा रिश्ता – शुभ्रा बैनर्जी

आज संध्या को मां की बात रह -रह कर याद आ रही थी।कैसे वह भी अनुज के आगे-पीछे दौड़ती रहती है,उसके काम पर जाने से पहले और काम से आने के बाद।बचपन में मां का पापा के आगे-पीछे घूमना उसे बिल्कुल पसंद नहीं था।कभी चैन से बैठे नहीं देखा उन्हें।टोकने पर हंसकर हमेशा यही कहती”संधू,पति … Read more

भंडारे का आधुनिकीकरण – शुभ्रा बैनर्जी

आज मोहल्ले की महिलाएं सुबह से ही किसी गंभीर विषय पर यंत्रणा में लगी हुईं थीं।थोड़ा पास जाने पर पता चला कि,कल शनिवार को हनुमानजी के मंदिर में हमारे ही मोहल्ले के मनीष जी ने भंडारे का आयोजन किया है।महिलाओं में उत्साह अस्वाभाविक नहीं था।एक दिन दोपहर के खाना बनाने से मुक्ति जो मिलेगी।शीतल जी … Read more

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