बहू की मां (भाग 2)- शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : प्रज्ञा ने भी चिढ़ाते हुए कहा”अच्छा ,तुम तो होशियार निकली,मैं तो सीधी-सादी समझ रही थी तुम्हें।”शादी के बाद से ही उनकी यही कोशिश रहती कि मैं और उनका बेटा रोज़ बाहर जाएं,घूमें,मंदिर जाएं,और बच्चों को‌ वे बड़े प्यार से संभाल लेतीं थीं। देखते-देखते बच्चे भी बड़े हो गए।नातिन दादा की … Read more

बहू की मां (भाग 1)- शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : तीस वर्षों से साथ रहते-रहते कब मेरी शक्ल भी उनके जैसी हो गई पता ही नहीं चला।ब्याह भी तो उन्हें ही पसंद कर किया था।मां को तो लड़के को देखकर उसमें अपने दामाद बनने लायक कोई गुण नहीं मिले थे।साफ -साफ कह दिया था उन्होंने मुझसे,कि शादी ना करूं मैं।मुझे … Read more

नियति का खेल- शुभ्रा बैनर्जी  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : कट्टर कन्नड़  ब्राह्मण परिवार के थे मिस्टर सदानंदन।दो बेटे थे उनके-भारद्वाज और वशिष्ठ।बड़ा बेटा भारद्वाज पांचवीं में और छोटा वशिष्ठ तीसरी में पढ़ते थे।मिस्टर सदानंदन जी एम ऑफिस में फाइनैंस डिपार्टमेंट में थे।कोल इंडिया की साउथ ईस्टर्न लिमिटेड कंपनी है इस क्षेत्र में। कहीं से पता चला उन्हें कि मैं … Read more

कैसी मां हो तुम : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : शनिवार के साप्ताहिक बाजार से सरिता अपनी सास की मनमसंद सब्जियां खरीद लाई थी।क्रिसमस की इस बार लंबी छुट्टी पड़ी थी।सासू मां की खुराक बहुत ही कम थी,जीभ पर भी लगाम लगा कर रखतीं थीं वह।रोज़ तो सरिता सुबह बनाकर जाती थी और काम वाली दीदी समय पर गर्म करके … Read more

कैसी मां हो तुम – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

शनिवार के साप्ताहिक बाजार से सरिता अपनी सास की मनमसंद सब्जियां खरीद लाई थी।क्रिसमस की इस बार लंबी छुट्टी पड़ी थी।सासू मां की खुराक बहुत ही कम थी,जीभ पर भी लगाम लगा कर रखतीं थीं वह।रोज़ तो सरिता सुबह बनाकर जाती थी और काम वाली दीदी समय पर गर्म करके जतन से देती थी। सरिता … Read more

तलाक के पेपर – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : – संयुक्त परिवार में रहने वाले मनोहर जी घर के मंझले बेटे थे।बड़े भाई का मसालों का कारोबार था,जिसमें उनका बड़ा बेटा हांथ बंटाता था।उनकी बड़ी बहू और मनोहर बाबू की पत्नी में खूब बनती थी।बड़े भाई की बड़ी बहू की छोटी बहन को मनोहर बाबू की धर्मपत्नी अपने इकलौते … Read more

सिम्बा – शुभ्रा बैनर्जी: Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : आज बेटे ने रेस्ट ले लिया था।कल सिंबा की तबीयत ठीक नहीं थी। बार-बार डॉक्टर से फोन पर दवाई पूछ -पूछकर खरीद कर ला रहा था बेटा।रात में ही बोल दिया”मम्मी!कल मैं रेस्ट ले लेता हूं।सिम्बा के साथ रहूंगा और खेलूंगा।सुबह विद्यालय जाते समय जब शुभा ने सिम्बा को देखा … Read more

अंतहीन प्रतीक्षा – शुभ्रा बैनर्जी: Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : सब कुछ पा लेने का सुख बड़ा निर्मोही होता है,ठहरता ही नहीं।खोकर फिर कुछ ना खोने का अहसास कदाचित ज्यादा सुखमय होता है।शालिनी पिछले पच्चीस वर्षों से शिक्षण कार्य में संलग्न थी।अनगिनत छात्रों की सबसे प्रिय  शिक्षिका  होने का सौभाग्य भी मिला था उसे।सारी ज़िंदगी खोया ही था शालिनी से,अपने … Read more

दर्शना भाभी का दर्शन शास्त्र – शुभ्रा बैनर्जी: hindi stories with moral

hindi stories with moral : पंजाब के एक छोटे से गांव की बेटी थीं दर्शना भाभी।पिता की मौत के बाद बड़े भाई ने ही पाला था। पढ़ाई-लिखाई ज्यादा कर नहीं पाईं थीं वह।उनके ही गांव के शर्मा परिवार के बड़े बेटे से शादी कर दी गई थीं उनकी,जो मध्यप्रदेश की एक सीमेंट कंपनी में डंपर … Read more

संस्कारों की जीत – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : सुलभा आज बहुत खुश थी।दीपावली की छुट्टियों में बेटी आई थी दस दिनों के लिए।बचपन से ही विद्रोही स्वभाव की आयुषी खुद को पापा जैसी ही कहती थी।दोनों बच्चों के स्वभाव में जमीन -आसमान का अंतर था।सुलभा का बेटा(बड़ा)शांत और कम बोलने वाला था,वहीं बेटी मुंहफट।जिद्दी भी अपने पापा की … Read more

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