कच्ची उम्र के कोमल अहसास – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

विद्यालय में सोशल साइंस पढ़ाने का लगभग बीस वर्षों का अनुभव था,शुभा को।बोरिंग समझा जाने वाला विषय ‘,इतिहास’ भी बच्चे बड़े चाव से पढ़ते थे।भूगोल में एक चैप्टर है”पापुलेशन”।इस चैप्टर में मनुष्य की आयु को विभिन्न श्रेणियों में बांटकर विशेषता बताई गई है। नौंवी कक्षा में भूगोल के पापुलेशन चैप्टर में आने पर ,जब वयस्क … Read more

मज़बूत मां – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

जुलाई से विद्यालय के प्रांगढ़ में एक महिला प्रायः रोज़ ही दिखती थी शैलजा को।चिंतामुक्त हंसमुख चेहरा हमेशा खिला रहता था उनका।शैलजा को देखकर हंसकर उनका “गुड मार्निंग मैम कहना कभी चूकता ना था।समय की कमी के चलते रुककर कभी बात नहीं कर पाई थी शैलजा उनसे।हंसकर उनके अभिवादन का उत्तर जरूर दिया था।इतना समझ … Read more

अहमियत का प्रमाणपत्र नहीं – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral stories in hindi

 बहू को घर की लक्ष्मी कहने भर से नहीं होता,मानना भी पड़ता है।प्रीति ने ससुराल के बारे में अपनी सहेलियों से अलग-अलग कहानियां सुनी थी।करुणा ने कहा था”ससुराल,बस एक जेल है।सारा दिन सास जेलर बनी सर पर मंडराती रहती है।”रक्षा ने अपना अनुभव बताते हुए कहा”अरे,दिन भर गधे के जैसे काम करते रहो,फिर भी कदर … Read more

ननिहाल – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

अपनी मां को मायके जाने की उत्सुकता में हड़बड़ाते देखकर सुषमा इस बार पूछ ही बैठी”मां,हर साल तो जाती हो नानी के घर।इतनी गर्मी में तीन-तीन ट्रेन बदलकर जाने में क्या तुक है हर साल?अबकी तुम अकेली ही जाना,मुझे नहीं जाना।”मां का खिला चेहरा पल भर में मुरझाकर पीला पड़ गया था उस दिन। जाने … Read more

वाह री किस्मत – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral stories in hindi

शिवांगी ने बेटी से साफ -साफ कह दिया था,कि अब शादी के लिए मन बना लें।नौकरी करते हुए दो साल हो गए थे।ईश्वर की कृपा थी कि वह मान गई। मैट्रिमोनियल पर ढुंढ़ाई शुरू हुई।सजातीय लड़का मिल रहा था ,तो नौकरी अच्छी नहीं थी उसकी।नौकरी अच्छी -खासी थी तो,दिखने में सुपुरुष नहीं। खोज-बीन करते-करते ही … Read more

देश ही भाग्य विधाता – शुभ्रा बैनर्जी: Moral Stories in hindi

प्रतीक को आई आई टी से पास आउट होते ही मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छे पैकेज पर नौकरी मिल गई थी।प्रतीक अपनी सहपाठी नित्या से प्रेम करता था।अपने मम्मी -पापा को नित्या के बारे में बताया,जो कि सजातीय नहीं थी।सुलभा(प्रतीक की मां)ने एक ही बात कही”हमें तो कोई परेशानी नहीं इस विवाह से।तुम्हारे पापा भी मान … Read more

मां होने की मुसीबत – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : आज अपनी बेटी के मुंह से नानी की तारीफ सुनकर अंजू अवाक रह गई।बेटियां कितने अच्छे से विश्लेषण कर पातीं हैं,अपनी मां के मायके का।कभी किसी बात पर रोक -टोक ना करके भी ,अपने मन का करवा लेने वाली “मां” की उपाधि दी थी बेटी ने उसे।परंपराओं को स्वेच्छा से … Read more

रति – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : उर्मि की शादी की दसवीं सालगिरह थी।विवेक ने सरप्राइज पार्टी प्लान की थी।सुबह से उर्मि के कान तरस रहे थे,विवेक के मुंह से हैप्पी एनिवर्सरी सुनने के लिए।ऐसा पिछले नौ सालों में कभी नहीं हुआ कि विवेक अपनी शादी की सालगिरह भूले हों। बच्चों का जन्मदिन, उर्मि का जन्मदिन हमेशा … Read more

 मोह पाश से मुक्ति (भाग 2)- शुभ्रा बैनर्जी

मानसी और मानव ने एक दूसरे को आश्वासन दिया था कि इस रिश्ते का असर दोनों परिवारों पर कभी नहीं पड़ेगा।समय बीतने के साथ-साथ यह रिश्ता और मजबूत होने लगा था।दोनों ने मिलकर बहुत सारी योजनाएं बनाईं थीं।कब मिलेंगे,कैसे मिलेंगे,कहां मिलेंगे? आज उसने आखिरकार तय कर ही लिया कि दोनों बनारस में मिलेंगे,उसके घर से … Read more

 मोह पाश से मुक्ति (भाग 1)- शुभ्रा बैनर्जी

मानसी ने कभी सोचा भी नहीं था, कि इतनी कमजोर पड़ जाएगी वह उसके सामने।कितनी दलीलें दे डाली उसने इस बेमेल रिश्ते के बारे में,पर वह तो कुछ सुनना ही नहीं चाहता था।अपनी ज़िद पर अड़ा रहा मानव।मानसी ने कितनी लड़ाई की,हर तरीके से समझाया,पर हार गई उसके प्रेम के आगे।एक पत्रिका में छपी कविता … Read more

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