सांसों की डोर -शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi
जोगाराम एवं देवकी दोनों पलंग पर लेटे एक दूसरे को निहार रहे थे दुख और उम्र के कारण कैसे तो उनके चेहरे कुम्हला गये थे। उम्र के निशान उनके शरीर पर अपनी छाप छोड़ रहे थे। तभी जोगाराम बोला देवकी जब तू व्याह कर आई थी कैसी गोरी चिट्टी, छुईमुई सी थी। कितनी सुन्दर थी,मेरा … Read more