एक प्लेट हलवा – शिप्पी नारंग
जगदीश प्रसादजी चुपचाप बैठे हुए बड़ी बहू गीता की बातों को सुनते जा रहे थे लग रहा था कि किसी भी समय वो अपना धीरज खो बैठेंगे, पर किसी तरह उन्होंने अपने-आप को काबू में रखा हुआ था | गीता थी कि अनवरत बोलती जा रही थी | बात बस इतनी सी थी कि पिछले ३-४ दिन से जगदीश प्रसादजी … Read more