मुझे दादाजी-दादीजी चाहिए-श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“वंश बेटा, कैसी थी बर्थडे पार्टी? खूब मजे किए ना?” “हाँ, मम्मा|” “तो फिर इतने सेड क्यों लग रहे हो?” मनीषा ने अपने बेटे से पूछा| “मम्मा, मेरे दादाजी-दादीजी कहाँ हैं? मुझे भी अपने दादाजी- दादीजी के साथ रहना है| उनके साथ खेलना है| कहानियाँ सुननी है| पार्क जाना है| आज पता है, अंकुर के … Read more

अनकहा बंधन (भाग-1) – श्वेता अगवाल : Moral Stories in Hindi

“मम्मा, मेरी ‘बेड टी’।” रूही लगातार चिल्लाए जा रही थी। “ये ले तेरी ‘बेड टी’। इत्ती बड़ी हो गई लेकिन अक्ल ढेले भर की भी नहीं। अब तुझे मम्मा को सुबह की चाय बनाकर पिलानी चाहिए। उल्टे खुद ही ‘बेड टी’- ‘बेड टी’ चिल्लाए जा रही है।” “क्या दीदी, अब सुबह-सुबह प्रवचन सुनाकर मूड मत … Read more

यह बंधन है प्यार का – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“अरे वाह! आज तो लगता है,कोई बहुत खुश है | तभी तो गजलें गुनगुनाई जा रही है| ऑफिस से आकर सनी को गजलें गुनगुनाते देख मीनल ने हंसते हुए कहा| “हाँ, मीनल पता है मेरा प्रमोशन हो गया है| सैलरी भी डबल हो गई है| आज ही गणतंत्र दिवस के फंक्शन में चेयरमैन सर ने … Read more

प्यार भी तकरार भी – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“शीला, हद होती है किसी चीज की| आज तो तुमने कंजूसी की सारी हदें ही पार कर दी| क्या करोगी इतने पैसे बचाकर? रवि गुस्से से उबल रहा था| “पर,पहले बताइए तो मैंने किया क्या है?” “मेरे स्टेटस का तमाशा बना कर रख दिया है| दोस्तों के बीच मजाक बनकर रह गया हूँ| जब मैं … Read more

प्रेरणा – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

अस्पताल में बेड पर लेटी प्रज्ञा के आँखों से आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। हाल ही में उसे ब्रेन ट्यूमर का पता चला जो कि बहुत ही क्रिटिकल स्टेज में था। उसे ऐसा महसूस हो रहा था  ज़िन्दगी ने एकबार फिर से उसे हाशिए पर लाकर पटक दिया हो। “मेरे साथ ही … Read more

सीख – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“आप करती क्या हैं, सारा दिन घर में?बस पाँव फैलाकर बैठी रहती हैं।” ऐसा कहकर पूनम पाँव पटकती हुई वहाँ से चली गयी। मीनू, पूनम के मुँह से ऐसी बातें सुनकर भौचक्की रह गयी। “यह क्या हो गया है इस लड़की को? कितनी बदतमीज हो गई है। ड्रेस जैसी छोटी सी बात के लिए  इतना … Read more

ससुराल गेंदा फूल – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

जैसे ही बेटी पाखी विदा हुई उसकी माँ कंचन अपनी सासू माँ के गले लग बिलख पड़ी। “माँ मुझे पाखी की बहुत फिक्र हो रही है।” “कंचन बेटा फिक्र करने की कोई बात नहीं है पाखी अपने ससुराल में बहुत खुश रहेगी।” “कैसी रहेगी? आपने देखा नहीं जब फेरों के वक्त हड़बड़ाहट के मारे पाखी … Read more

“सासू माँ की प्रेरणा” – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“भाभी, मैंने तो पहले ही कहा था इस अभागी लड़की से अपने विनय की शादी मत करो।पैदा होते ही अपने माँ-बाप को खा गई और अब अपने सुहाग को। खुद भी बोझ बन आप पर आ पड़ी है। अब भुगतो इस अपाहिज को।अभागन कहीं की। ये मर ही जाती तो बढ़िया होता।” कंचन ने हॉस्पिटल … Read more

“बदलाव की बयार” – श्वेता अग्रवाल   : Moral Stories in Hindi

“अंश, यह दिशा है। इसने आज ही ऑफिस ज्वाइन किया है। तुम इसे इसका काम समझा दो। तुम दोनों सेम प्रोजेक्ट पर काम करोगे।” “ओके सर।” धीरे-धीरे एक ही प्रोजेक्ट पर काम करते-करते वे अच्छे दोस्त बन गए। यह दोस्ती कब प्यार में बदल गई उन्हें पता ही नहीं चला। लेकिन अब असल समस्या शुरू … Read more

मेरा लल्ला सिर्फ मेरा है – श्वेता अग्रवाल   : Moral Stories in Hindi

मीतू हॉस्पिटल के बेड पर लेटी अपने बच्चे के गोद में आने का इंतजार कर रही थी।आज अचानक ही ऑफिस में उसके पेट में तेज दर्द उठने के कारण उसकी प्रीमेच्योर डिलीवरी करानी पड़ी थी। कमजोर होने के कारण बच्चा डॉक्टरों की निगरानी में था जिसे वह दूर से निहार तो सकती थी लेकिन गोद … Read more

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