शुभ विवाह – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

पहलगाम की खूबसूरत वादियाॅं, देवदार और चिनार के पेड़ दूर-दूर तक बिछी सफेद बर्फ की चादर यह सभी खूबसूरत नजारे आज स्नेहा और अभि की शादी के गवाह बनने जा रहे थे। इन्हीं खूबसूरत नजारों के बीच आज स्नेहा और अभि सात फेरों के अटूट और खूबसूरत बंधन में बंधने जा रहे थे। स्नेहा को … Read more

स्वरा – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

अलार्म बजे जा रहा था और स्वरा बार-बार उसे snooze करके 5 मिनट की एक्स्ट्रा नींद लेने की कोशिश कर रही थी। बार-बार इस तरह अलार्म बजने से उसका हस्बैंड रमेश चिड़चिड़ा गया “स्वरा, पता नहीं कितना आलस भरा है तुममें। अलार्म बजते ही नहीं उठ सकती क्या? सारी नींद खराब कर दी है। आदमी … Read more

ये बंधन है नेह का – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

शर्माती,लजाती लाल जोड़े में लिपटी पीहू ने जैसे ही चावल भरे कलश को गिराकर गृह-प्रवेश किया,वैसे ही उसकी जेठानी मुग्धा ने उसे गले से लगा लिया और धीरे से उसके कान में प्यार से बोली “टेंशन मत लो, मैं हूँ ना।” इतना वात्सलय और अपनापन था उन शब्दों में कि पलभर में ही पीहू का … Read more

कहो कैसी रही? – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“शेखर, पता है मेरी फ्रेंड्स कल चार दिनों के लिए ऊटी जा रही हैं|” शिखा अपने हस्बैंड से बोली| “तो तुम भी चल जाओ, तुम्हें किसने रोका है|” शेखर ने छूटते ही कहा| “हाँ, मन तो मेरा भी बहुत है| चली भी जाती, अगर तुम अकेले मैनेज कर पाते तो| तुम तो एक गिलास पानी … Read more

रिश्ते की डोर-श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

सरला जी की बहू निम्मी की आज पहली रसोई थी। सरला जी अपनी बहू की मदद करना चाह रही थी लेकिन रिश्ते की चाचियाँ, मामियाँ, ननदें उन्हें किसी ना किसी बहाने से रोक ले रही थी। उधर किचन में निम्मी की हालत खराब हो रही थी। उसने तो आज तक चाय-कॉफी के अलावा कुछ बनाया … Read more

The Hidden Pain-श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“माई मैं जा रही हूॅंं।” कस्बे के सरकारी स्कूल में टीचर प्रतिभा ने घर का गेट खोलते हुए कहा। “अरे! रुक लाडो। इतनी हड़बड़ी में कहाॅं भागे जा रही है?” “स्कूल जा रही हूॅंं, माई।” “लेकिन, इत्ती सुबह-सुबह। अभी तो 6:00 बजे हैं। स्कूल तो 8:00 बजे लगे हैं ना!” “हाॅं माई। लेकिन, आज हमारे … Read more

धड़ाम! – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

दोपहर का काम खत्म करके रमा अपनी जेठानियों के साथ गप्पें मार रही थी। सासू माॅं मालादेवी भी अपने कमरे में आराम कर रही थी। तभी किचन से खूब जोर की धड़ाम! की आवाज आई।आवाज़ सुन मालादेवी और उनकी बहुऍं किचन की ओर दौड़ पड़ी। वहाँ रमा के ससुर जी(बाबूजी) मुँह में लड्डू ठूँसे दोनों … Read more

अंत भला तो सब भला – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

दोपहर के डेढ़ बज रहे थे। नीलांजना अपनी बहू सुहाना के कॉलेज से लौटने का इंतजार कर रही थी। सुहाना शहर के डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर थी,वो रोज दो बजे तक कॉलेज से घर लौट आती। फिर,दोनों साथ में लंच करती। सुहाना ने नीलांजना से कितनी बार कहा भी था की “माॅंजी आप मेरा इंतजार … Read more

‘आम की एक फाॅंक’ – श्वेता अग्रवाल। : Moral Stories in Hindi

गर्मियों के दिन थे। नीता अपने बच्चों के साथ ऑंगन में बैठी आम के मजे ले रही थी। प्लेट में पीले, मीठे,रसीले आम के टुकड़े रखे थे और वे सभी बहुत खुश होकर खा रहे थे। मोनिका का छह साल का बेटा अंशु भी वहीं खेल रहा था। आम देखकर उसके छोटे-छोटे हाथ आम की … Read more

अपमान बना वरदान – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

ट्रेन पटरियों पर दौड़ी जा रही थी और उसके साथ ही सपना अतीत की यादों में खोती जा रही थी । आज से 10 साल पहले का समय, गर्ल्स कॉलेज का एनुअल फंक्शन और उस फंक्शन में अपनी कविता पाठ से चार चांद लगाती सपना जोशी ‘बी.ए. हिंदी ऑनर्स फाइनल ईयर” की छात्रा।पूरे कॉलेज में … Read more

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