शक की सुई हमेशा बहू पर आकर क्यों अटक जाती है!! – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

” अरे लड़कियों तुम्हारा तैयार होना कब खत्म होगा ?? घुड़चढ़ी का वक्त होने को आ गया और तुम लोगों का सजना- संवरना ही पूरा नहीं होता …… केतकी बहू तुझे तो रमन को काजल लगानी है ….. जल्दी से आ जा तैयार होकर …. ,,। आज कांता जी के छोटे बेटे की शादी थी। … Read more

सीधे साधे बिटवा का मुंहफट बहुरिया – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

” हे भगवान, जरा देखो तो कैसे कतर कतर जुबान चल रही है… !! हमारा बिटवा तो बिलकुल गाय है गाय.. और बहू को तो देखो । ,, लेकिन अम्मा. , गाय तो बहु बेटियों को कहते हैं.. भईया तो लड़के हैं ना !! ,, ” चुप कर निगोड़ी…. लगता है तुझपे भी इस बहु … Read more

सीखने की कोई उम्र नहीं होती…. तो क्या उम्र भर सीखती हीं रहूं !! – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

” कितनी सुघड़ बहू आई है शर्मा जी के यहां …. अरे अपनी शादी के सारे ब्लाउज और सूट खुद हीं सील कर लाई थी और यहां भी अपनी सास, ननद और सारे रिश्तेदारों के कपड़े सिलकर देती है । एक हमारे यहां है….. फटे में टांका लगाना भी ढंग से नहीं आता। ,, कमला … Read more

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सिर्फ बहू से बेटी बनने की उम्मीद क्यों??? – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

” कैसी हो मां ? ,, कावेरी ने फोन पर अपनी मां सरिता जी से पूछा । ” ठीक हूं बेटा । ,, बुझे स्वर में सरिता जी बोलीं । ” क्या हुआ मां ,आप कुछ परेशान लग रही हैं , घर पर सब ठीक है ना , भाई भाभी, पापा। सब ठीक हैं ना … Read more

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तब तो जीजा जी का दोगुना खर्चा हो गया होगा !! – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

“आ गए आप !! , दरवाजा खोलते ही अपने पति वरुण को खड़ा देखकर रिया चहकते हुए बोली । ” हां, आ गया … तभी तो सामने खड़ा हूं ।” वरुण भी शरारत से बोला तो रिया हंस पड़ी । अंदर आते ही सामने बैठक में बैठी हुई वंदना जी भी बेटे को वापस आया … Read more

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थैंक्यू मां जी, मुझे अच्छी सास बनाने के लिए – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

” मम्मी जी, आज मेरी फ्रेंड की मेंहदी है , मैं जाऊं??” ” हां शिवी, क्यों नहीं!! वैसे भी शादी के बाद तो ऐसा मौका मुश्किल से मिलता है.. नहीं तो सहेलियां पता नहीं कौन से शहर में होती हैं और हम कौन से शहर में। तुम्हारी सहेली तो इसी शहर में है तो तुम … Read more

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सब कुछ मंजूर है लेकिन बहू को रोटियां बनाकर नहीं खिला सकती…. – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

” पता नहीं किस जन्म की दुश्मनी निकाल रही हैं मुझसे…… ऐसी छुई- मुई बनकर बैठी रहती हैं जैसे मेरे आने से पहले आठ- दस नौकर- चाकर आगे – पीछे फिरते रहते थे। थोड़ा बहुत हाथ- पैर हिलाने से कौन सा शरीर घिस जाएगा इनका ….. सब कुछ मेरे भरोसे छोड़ कर बैठ जाएंगी ….. … Read more

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तुझे देखने को आंखें तरस गईं – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

फोन की घंटी बजी तो आरती ने मां‌ का नम्बर देखकर अनमने मन से फोन उठाया। उधर आरती की माँ थी। “आरती बेटा, बहुत दिन हो गए तुझे यहाँ आए। तेरे बच्चों को देखने का बहुत मन कर रहा है…। इस बार तो छुट्टियों में आ जा। तेरे लिए अचार और पापड़ भी बना रखे … Read more

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तुलना प्रेम में कड़वाहट डाल देती है – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

आज सास- बहू अपने घर की होने वाली नई बहू ऋतु के लिए गहने खरीदने गई थीं। ” बहू,जरा देखो तो ये हार नितिन की दुल्हन के लिए कैसा रहेगा ? ,, सुमित्रा जी ने अपनी बड़ी बहू निधि को दिखाते हुए कहा। ” बहुत सुंदर है मां जी, लेकिन इसके साथ के झुमके छोटे … Read more

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घर दीवार से नहीं परिवार से बनता है। – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

 “मुझे नहीं जाना यहाँ से कहीं, मेरी डोली इसी घर में आई थी और मेरी अर्थी भी इसी घर से उठेगी|”  “लेकिन माँ, यहाँ रखा भी क्या है अब? आप क्यों जिद पर अड़ी हैं। अब तो पापा भी नहीं रहे। आपको यहाँ किसके सहारे छोड़ कर जाएं? क्यों आप हमें धर्म संकट में डाल … Read more

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