घर दीवार से नहीं परिवार से बनता है। – सविता गोयल : hindi stories with moral

hindi stories with moral :  “मुझे नहीं जाना यहाँ से कहीं, मेरी डोली इसी घर में आई थी और मेरी अर्थी भी इसी घर से उठेगी|”  “लेकिन माँ, यहाँ रखा भी क्या है अब? आप क्यों जिद पर अड़ी हैं। अब तो पापा भी नहीं रहे। आपको यहाँ किसके सहारे छोड़ कर जाएं? क्यों आप … Read more

बेटी मुझे अपने घर जाना है – सविता गोयल : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : भाभी आप मां का बिलकुल भी ध्यान नहीं रखतीं। मां के दांत में दर्द है फिर भी उन्हें खाने में सिर्फ सब्जी रोटी दे दी। दलिया या फिर खिचड़ी हीं पका देती।,, रितु ने अपनी भाभी माधवी से कहा।  “लेकिन दीदी, मां ने हीं खिचड़ी के लिए मना कर दिया … Read more

छोटी सोच –  सविता गोयल  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : राधीका कोई पंद्रह साल की थी जब उसके पिता जी परिवार सहित गाँव छोड़ कर शहर में आ बसे थे। उसकी शादी भी शहर में ही एक बडे़ घराने में हो गई। लेकिन आज भी वो खुद को गाँव से जुड़ा हुआ महसूस करती थी। जब दस साल बाद राधिका … Read more

अब कैसी शिकायत? – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : ” बहू,  आज कहाँ जा रही हो ?? “ ” माँ जी, वो मुझे कुछ सामान लेना था इसलिए मार्केट जा रही हूँ। ” बोलकर रूही गाड़ी की चाबी घुमाते हुए घर से निकल गई।    वंदना जी मुंह देखती रह गई और पीछे से बड़बड़ाते हुए बोलीं, ” हुंह… ये … Read more

ये गंवार औरत हमारी मां है। – सविता गोयल : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : ” सुनिए जी,.. .. वो मेरे बाऊजी अपनी वर्षा  के लिए कोई लड़का बता रहे थे। सकुचाते – सकुचाते सुभद्रा जी अपने पति कैलाशनाथ जी से बोलीं । ” तुम तो रहने ही दो… जैसे तुम्हारे माँ- बाप ने तुम जैसी गंवार औरत मेरे पल्ले बांध दी वैसा ही कोई … Read more

सास की बिमारी बहाना लगती है – सविता गोयल

” कहां रहती है रंजना आजकल!! कभी मिलती ही नहीं हो । ,, रंजना की सहेली मंजू ने सब्जियां लेते हुए रंजना से पूछा । रंजना भी जैसे उसके पूछने का हीं इंतजार कर रही थी , ” पूछ मत मंजू , सारा दिन इस घर में काम करने में ही निकल जाता है। ऊपर … Read more

वर्ना… वर्ना क्या कर लेंगीं आप?? – सविता गोयल

नीलम एक मध्यमवर्गीय परिवार की पढ़ी लिखी, सर्वगुण संपन्न लड़की थी। उसके पिता उसके लिए रिश्ता देख हीं रहे थे कि नीलम की बुआ एक बड़े घर का रिश्ता लेकर आ गई। देखने सुनने में सब अच्छा लगा तो नीलम के पापा ने नीलम की रजामंदी से उसका रिश्ता वहीं तय कर दिया।    नीलम भी … Read more

बेटी, तू भी तो यही चाहती थी ना!! – सविता गोयल 

”  वाह मां, ये साड़ी तो बहुत जंच रही है आप पर । कहां से लाई हो??” ” अरे बेटा, मैं कहां बाजार में जाती हूं .. पहले तू ला देती थी अब तेरी भाभी ला देती है। सच में बहुत अच्छी पसंद है उसकी। देख तेरे लिए भी दो साड़ियां ला कर रखी है … Read more

घर की मर्यादा – सविता गोयल

मिनाक्षी की शादी एक सम्पन्न परिवार में हुई थी। किसी चीज की कोई कमी नहीं थी ससुराल में| शहर में बहुत इज्जत और नाम था उसके ससुर जी का| घर में एक जेठ-जेठानी और एक कुंवारा देवर था जो बाहर पढ़ता था| मिनाक्षी की जेठानी बहुत ही सीधी-साधी सी थी, बस अपने काम से मतलब … Read more

अपना रवैया बदल लो मां नहीं तो परिवार बिखरते देर नहीं लगेगी –  सविता गोयल

शिवानी एक मध्यमवर्गीय परिवार से थी। पिता की कमाई भले हीं संयमित थी लेकिन कभी उसके माता पिता ने अपने बच्चों की ख्वाहिशों को नहीं मारा था…..  जब वो विवाह लायक हुई तो  रूप और गुण को देखते हुए कई बड़े बड़े घरों से उसके लिए रिश्ते आने शुरू हो गए थे । शिवानी के … Read more

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