दिव्यतारा (भाग-3) – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा —            अम्मा आज आप भी ले ही लो ना ….आज आपका पोता पास हुआ है ….रसगुल्ला के रस को निचोड़ते हुए मालती ने कहा ….       अरे अब पूरा ही रस निचोड़ कर देगी क्या बहू ….तो क्या मैं रूई के समान बेस्वाद सीठा सीठा रसगुल्ला खाऊंगी ……      मां अभी सुगर बढ़ा … Read more

दिव्यतारा (भाग-2) – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा —          अरे जा लल्ला तू लेकर आ जा…. भला पोते को खाने की इच्छा हो और दादी मान जाए , ऐसा कैसे हो सकता है …अरे मेरी दादी पैसे वाली है भाई ….कहकर तपन दादी की गोद में सिर रखकर लेट गया…। अब आगे —  तपन ओ तपन ….बाहर से दिव्य … Read more

दिव्यतारा (भाग-1) – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

जय बजरंगबली… जय पीड़ा हारी…. जय कष्ट निवारण…… मम्मी ओ मम्मी.. कहां गई , देखो भाई बाहर कोई तुम्हें बुला रहा है …..बहू ओ बहू  जरा देखना चश्मा कहां रख दिया है मैंने ….मिल नहीं रहा , अरे कंघी करने को उतारा ….यही तो रखा था…. कहां चला गया… जैसे उसका भी पैर हो…          हे … Read more

पागल अम्मा – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

अरे रे ये क्या कर रही हैं आप…?  पागल हो गई है क्या…? चुपचाप एक जगह पर बैठती क्यों नहीं ….कस के चींटी काटने वाले अंदाज में बाँह पकड़ कर पूजा के कमरे से खींचती हुई बिस्तर पर लाकर पटक दिया बहू हेमा ने…!  अब बिल्कुल यहां से नही हिलेंगी … जब तक मैं ना … Read more

दाल भात में मूसर चंद – संध्या त्रिपाठी   : Moral Stories in Hindi

सुनते हैं जी ….वो प्रेक्षा बोल रही है नई मूवी आई है… देखने जाना है …अंजिता ने काम करते हुए पति रत्नेश से कहा….! हाँ तो जाए ना …इसमें पूछने वाली कौन सी बात है…. नई-नई शादी हुई है … जाएँ घूमे फिरे…. जिंदगी का आनंद लें…. रत्नेश ने भी सहज भाव से उत्तर दिया…। … Read more

मम्मी आप डस्टबिन (कूड़ेदान ) बन गई हो – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

आप जिस व्यक्ति को फोन कर रहे हैं वो अभी अन्य कॉल पर व्यस्त है …. बाप रे , तीन बार फोन लगा चुकी ये मम्मी भी ना ….. मेरा फोन देख रही है फिर भी काट कर मुझे कॉल बैक नहीं कर रही …पता नहीं इतना जरूरी बात कहां हो रहा है उनका …गुस्से … Read more

मायके में हस्तक्षेप ना करो बिटिया रानी ! – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

 प्रतिदिन की तरह फोन पर आरना का पहला सवाल…..” हैलो मम्मी क्या कर रही हो …??”  “कुछ नहीं बेटा वो सब्जी बना रही हूं…!” ” तुम क्यों सब्जी बना रही हो…? भाभी कहां गई …..?” ” आज रेनू के कमर में दर्द है इसीलिए वो लेटी है, मैंने सोचा तब तक मैं ही सब्जी बना … Read more

गुदगुदी – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

देख-देख संध्या ….वो हैं क्या हमारे होने वाले जीजा जी….  धत्….. नहीं रे ….! तू अपने होने वाले पति को पहचानती भी है ना ठीक से…. फोटो तो देखी है ना…?  कॉलेज में फ्री पीरियड या ब्रेक के समय गार्डन में टहलते वक्त सहेलियां हमेशा छेड़ा करती थीं…! मेरे शहर से मात्र 28 किलोमीटर की … Read more

स्मार्ट पापा !! – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

सविता ओ सविता …..लो बहू ….सबको बांट दो ….कैलाश जी ने कागज का ठोंगा पकड़ाते हुए कहां….! काग़ज़ के एक थैले में कैलाश जी मसूरपाग लाए थे… जिसे घर के सभी सदस्यों में बांटने को कहा….। पास में ही बेटी निधि बैठी थी.. जो दो दिन पहले ही मायके आई हुई थी …..उसे पापा का … Read more

मम्मी साफ साफ बोलो ना – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

जानते हैं जी , आज क्या हुआ…?? जैसे ही आरती ने कुछ कहना चाहा…पास में बैठी बिटिया ने तपाक से कहा…मम्मी सीधे-सीधे बात बताना एक घंटे भूमिका मत बाँधना …I और पतिदेव ने भी क्या हुआ बोलकर न्यूज पेपर में ही ध्यान लगाये बैठे रहे ….आरती कुछ बताना चाहती थी पर पति बच्चों के व्यवहार … Read more

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