देवेंदर काकी – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

पूरे मोहल्ले की काकी…..देवेंदर काकी….. सरल , सहज गांव की सीधी-सादी , प्यारी सी काकी ….सबके सुख-दुख की साथी.. बेटे , बहू ,नाती, पोतियों से भरा पूरा परिवार ….घर की मुखिया और कॉलोनी की मुख्य किरदार ” देवेंदर काकी “….       मोहल्ले में जिसके घर भी जाती खूब आव भगत के साथ उनकी खातिरदारी होती ….विशेष … Read more

रत्तीभर हक – संध्या त्रिपाठी  : Moral Stories in Hindi

अरे , ये सब क्या फैला के रखी हो सुमन ….?  जाने की तैयारी करनी थी …. कपड़े वगैरह रखती… तो तुम ये सब फालतू में …..तबीयत ठीक नहीं रहती  , क्यों बना रही हो बेकार में….. आजकल कौन खाता है ये सब…. सूर्य दत्त जी ने पत्नी सुमन से कहा….।         आप चुप रहिए जी…. … Read more

गुमशुदा इश्क – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

  आप लाली है क्या…..? अचानक पीछे से आवाज आई…  हां – हां , नहीं – नहीं …. हडबडाते और लड़खड़ाते हुए शब्दों से माला कुछ पूछना चाहती थी….!  पर साथ में चल रहे मलय भैया ने बड़े स्पष्ट रूप से कहा …नहीं यहां कोई लाली नहीं है… इसी बीच अनायास ही माला ने पूछ लिया … Read more

मुहँ ना खुलवाओ – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

 नमस्ते आंटी….. पौधों में पानी डाल रही है…..?? हां बेटा पर तुम कब आई ससुराल से गिन्नी…..?? तुम्हारी मम्मी ने बताया नहीं कि तुम आने वाली हो…. आओ अंदर बैठते हैं…! पाइप पौधों के बीच में रखते हुए आभा ने कहा….! हां आंटी वो अचानक ही प्रोग्राम बन गया…तो बस आ गई….।      गिन्नी आभा के … Read more

सावन में हरी साड़ी भैया से या सैंया से…. – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

   अरे…. देखिए ना जी…. वो हरा पत्ता कितना प्यारा लग रहा है …..वाह … इसका हल्का हरापन कितना प्यारा है….. सैवी ने बागान में टहलते हुए सुशांत को एक नन्हे पौधे की पत्ती दिखाते हुए कहा….।    काश… इस कलर की साड़ी मेरे पास होती….. सुनिए ना सुशांत… मेरे लिए खरीद देंगे… ये वाली हरे रंग … Read more

अफसर बेटा – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

   माँ…माँ…ननका भाई आ रहा है…. सरकारी दौरे पर इधर आना हो रहा था तो बोल रहा है घर आकर सबसे मिलकर जाऊंगा….. फोन आया था…. मोना ननका आ रहा है घर में सब चीजें तो है ना…! बड़ा भाई कनका (कनक)  ने एक ही साँस में खुश होते हुए कहा…  हां भाई हां ….मैंने सुन … Read more

कड़वाहट – संगीता त्रिपाठी  : Moral Stories in Hindi

“कितनी बार कहा सुबह -सुबह लड़ा मत करो, पर नहीं तुम्हे कुछ समझ में आता नहीं “नितिन ऑफिस से आते ही मेघा पर बरस पड़ा। “सुबह की बात तो सुबह खत्म हो गई, अब क्यों गुस्सा हो रहे “मेघा ने हैरानी से पूछा।    “तुम्हारी वजह से मै ऑफिस देर से पहुंचा, मेरा प्रेजेंटेशन खराब हो … Read more

दिव्यतारा ( भाग 6 और अंतिम) – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा —            जीजी , आप साड़ी तो बदल लें …  हां हां बदलती हूं ….मेहमानों में से रिश्ते की देवरानी मीना ने कहा … अरे क्या बताँऊ मीना…तारा मुंह फुला कर पार्लर गई है … क्यों जीजी …? वो कह रही थी… मेरी शादी में मम्मी आप भी मेरे साथ पार्लर जाकर … Read more

दिव्यतारा (भाग-5) – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा —             एक दिन मजाक मजाक में दिव्य ने पूछा…. तारा तुझे कैसा लड़का चाहिए…?           तारा ने भी बड़े भोलेपन से जवाब दिया ….आपके जैसा दिव्य… जो मुझे समझ सके ….तारा का ये जवाब न जाने क्यों दिव्य को बहुत अच्छा लगा ….शायद यही तो सुनना चाहता था दिव्य… ! अब आगे … Read more

दिव्यतारा (भाग-4) – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा —              दादी साड़ी के पल्लू की गांठ खोलने लगी…. आज उसमें से मिचूड़े मिचुड़े 20 ,50 , 100 के कई नोट थे …जो दादी ने जमा किए होंगे… उसे निकाल कर तपन को देते हुए बोली …..इसे एकदम अंदर रखना… आखिरी इमरजेंसी के लिए… और ये सिर्फ पैसे नहीं है… दादी … Read more

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