शुरुआत – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

New Project 48

   राज्य स्तरीय बैडमिंटन खिलाड़ी रह चुकी तृषा ….शादी के 30 वर्षों के बाद घर के सामने बच्चों को बैडमिंटन खेलते देख रही थी …!  बैडमिंटन और खेल देखते ही मन में उत्साह और खेलने की ललक जाग उठी…।          साड़ी का पल्लू बगल में दबाए पहुंच गई बच्चों के बीच….. एक बार मुझे भी बैडमिंटन खेलने … Read more

बचपन की गोटियों का खेल – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

New Project 37

आज स्वरा रोजमर्रा के कार्यों से निवृत्त होकर खाली बैठी ही थी कि…. अतीत की यादों का कारवां खुलता गया ….अरे कहां गुम हो गई तू राधा…. बचपन की सहेली , बहुत छोटी उम्र वाली , एकदम घर जैसी सहेली …..सच में राधा… आज ना मुझे तेरी बहुत याद आ रही है ..!        कॉलेज की … Read more

संतुलन – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

New Project 88

 अरे सोनम… सुनो ना , तुमने नाश्ता बनाया है ना मेरे लिए  ,वो एक टिफिन में पैक कर दो…. क्या ..? पैक कर दूं…?  पर क्यों…? आश्चर्य से सोनम ने विशाल से पूछा ….अरे बताऊंगा बाबा ..सब बताऊंगा …।      वो शर्मा जी बाहर खड़े हैं , मैं एक मिनट में आया , बोलकर अंदर आया … Read more

छुटकी – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

New Project 56

 हाँ – हाँ जज साहब …मैंने मारा है छुटकी को… दो थप्पड़ लगाए थे वो भी कसकर …..कहकर फफक फफक कर रो पड़ी थी विनीता….. थोड़ी देर रुक कर सिसकी लेती हुई फिर अपनी बात की तारतम्यता बनाते हुए बोली ….जज साहब वो थप्पड़ की चोट जितनी उसे नहीं लगी होगी , उससे कई गुना … Read more

मोबाइल वाली बाई – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

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 भाभी… आपके घर आजकल कौन काम करती है ? मुझे ज्यादा पता नहीं है …अभी अभी तो लगी है , यहीं पास के झोपड़ी में रहती है… सावित्री नाम है । स्वाति, मिसेज शर्मा के बातों का जवाब दे रही थी तभी बीच में ही मीरा ने कहा …अरे स्वाति के यहां तो वो मोबाइल … Read more

जानते हैं जी … छोड़ ना तू क्या बताएगी – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

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  जानते हैं जी….. जैसे ही शालिनी ने दीपेश से कुछ कहना चाहा…. हां हां छोड़ ना तू क्या बताएगी …..ये रहा फल , मिठाई, ब्लाउज पीस, और पूजा का सारा सामान उधर रख दिया हूं ….ये फल धोना है क्या….?  दीपेश ने शालिनी के काम में हाथ बटाने की कोशिश की…!     कल की बात शालिनी … Read more

सीख – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

New Project 39

      साधारण सी मध्यम वर्गीय संयुक्त परिवार में पली बढ़ी संयुक्ता ने मेहनत कर मेट्रोसिटी के नामीगामी कंपनी में अपनी जगह बना ली थी । और स्वतंत्र विचारों वाले एक संपन्न परिवार में निखिल से संयुक्ता की शादी भी हो गई थी ।       शादी के पहले वर्षगांठ पर सास ससुर ने संयुक्ता के मम्मी पापा को … Read more

भरोसे का पोस्टमार्टम -संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

New Project 60

    अरे , आज इस समय दीदी का फोन… वो तो कभी वक्त बेवक्त फोन करती नहीं है , फिर.. सब ठीक तो है ना …अनेक आशंकाओं के मध्य श्रुति ने धीरे से कहा… हां दीदी , बोलिए… क्या कर रही है श्रुति …? आज मैंने इस समय फोन लगा लिया है …तू फ्री तो है … Read more

लांछन – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

New Project 60

माँ कहां चली गई तू …. कहां चली गई माँ… बहुत अकेली हो गई हूं माँ…. आज सरला अपने आंसू रोक नहीं पा रही थी , कहते हैं ना उम्र कितनी भी क्यों ना हो जब कहीं कोई नहीं दिखाई देता तो एक माँ ही होती है जो हर वक्त सामने होती है …! और … Read more

पहेली – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

New Project 67 1

      कमली , कल बहू को जरा आलता तो लगा देना…. वो मायके जाएगी और तू घर जाते-जाते रास्ते में पार्लर वाली को बोलते जाना… अच्छा तू रहने दे , मैं ही फोन कर बुला लूंगी …थोड़ा मेहंदी भी लगा देगी मानसी ने सहायिका कमली से कहा…।      और आकर डाइनिंग टेबल के कुर्सी में बैठ गई … Read more

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