अभागिन – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

   बस…. मां… बस…..अब एक शब्द भी मत बोलना ….नहीं सुन सकूंगी अब ……और तू चिंता मत करना मां ….. ये बड़ा अटैची देखकर ये मत सोच लेना कि अब मैं यही रहूंगी…. कुछ दिनों के लिए आई  हूं मां ….हां कुछ दिनों के लिए  ही आई हूं… कहते कहते आंचल का गला भर आया…! अरे … Read more

चनाचूर गरम – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

  अंकुर …. अंकुर ….मेला लग गया….? मालूम , नवरात्रि आते ही मुझे मेला घूमने की उत्सुकता बढ़ जाती है… अपन चलेंगे ना….तुम भी ना , बच्चों के समान करती हो आकृति …..आजकल के जमाने में मेला देखने कौन जाता है ….अरे वो तो आसपास के गांव वालों के लिए होता है भाई…!     ठीक है …? … Read more

तिरस्कार – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

      अरे ओ सुदर्शन……मेरी गाड़ी तो जरा धो धा के एकदम से चमक दो…. क्या महाराज ….कहां जाना है…? समधी के समधी के घर …..! मतलब मुस्कान बिटिया के ससुर के साथ उनकी बहू के मायके जाना है….।      अरे तू तो बहुत समझदार हो गया है सुदर्शन…..खुश होते हुए देवदत्त जी ने कहा…!    रिटायर्ड देवदत्त जी … Read more

लेडी बॉस – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

अरे वाह ….इस बार बॉस कोई लेडी आ रही हैं…. ऑफिस में चारों ओर बढ़ी चर्चा थी….ऑफिस में ही नहीं सारे इलाके में भी काफी चर्चा थी….!  मैडम बड़े दिलवाली हैं… इतने बड़े ओहदे पर हैं पर  उनके काम में ईमानदारी व पारदर्शिता साफ झलकता  है ….उन्हें सामाजिक कार्यों में विशेष रूचि है …..!  विशेषकर … Read more

एस्केलेटर का डर और बहूरानी साहिबा – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

गवारों वाली हरकत मत करो शालिनी…. पैर रखो , नहीं गिरोगी….. सब देख रहे हैं हसेंगे …..          संजय , मुझे बहुत डर लगता है ….आपको तो बताया था ना… पिछली दफ़े एस्केलेटर में चढ़ते ही गिर गई थी ….बाप रे , सबने कितना डरा दिया था …अंदर चली जाती तो टुकड़े-टुकड़े हो जाते ….जैसी ना … Read more

मायके में हस्तक्षेप ना करो बिटिया रानी – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

प्रतिदिन की तरह फोन पर आरना का पहला सवाल….. ” हैलो मम्मी क्या कर रही हो …??”  “कुछ नहीं बेटा वो सब्जी बना रही हूं…!” ” तुम क्यों सब्जी बना रही हो…? भाभी कहां गई …..?” ” आज रेनू के कमर में दर्द है इसीलिए वो लेटी है, मैंने सोचा तब तक मैं ही सब्जी … Read more

मुन्नी बाई – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

      इतना सा गोबर लिपने का कितना लेगी मुन्नी बाई…..?  200 पूरे ₹200 लूंगी ….. क्या ….200 …?    बाप रे ….बस इतना सा गोबर लिपने का 200 ….!     हां मालकिन दिवाली है ना ….साल में एक ही बार तो कमाने का मौका मिलता है ….अभी तो सभी लोग गोबर से जरूर लिपवायेगें… फिर बाद में तो … Read more

गरबा और कजरी का लहंगा – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

   दुर्गा पूजा के समय साफ सफाई का दौर….. लगे हाथों आस्था आलमारी भी व्यवस्थित करने की सोची …..आंटी जी इसमें क्या है…? आलमारी जमाते वक्त सहायता करने वाली ( कामवाली बाई की बेटी ) कजरी ने पूछा….।     लहंगा है बेटा , दीदी का है ….इस लहंगे की भी अपनी एक कहानी है… आस्था बोले जा … Read more

पांच गज की साड़ी – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

अब सीखूंगी मम्मी जी साड़ी पहनना…. मुझे भी साड़ी पहनना पसंद है ….! पता नहीं  “अब ” वो “कब” आएगा …..और चीज़े सीखने में तो बिल्कुल समय नहीं लगता…. बल्कि हमें पता भी नहीं चलता और बच्चे माहिर हो जाते हैं ….l           हम तो जैसे माँ के पेट से ही सीख कर आए थे साड़ी … Read more

शुरुआत – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

   राज्य स्तरीय बैडमिंटन खिलाड़ी रह चुकी तृषा ….शादी के 30 वर्षों के बाद घर के सामने बच्चों को बैडमिंटन खेलते देख रही थी …!  बैडमिंटन और खेल देखते ही मन में उत्साह और खेलने की ललक जाग उठी…।          साड़ी का पल्लू बगल में दबाए पहुंच गई बच्चों के बीच….. एक बार मुझे भी बैडमिंटन खेलने … Read more

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