ननकी बुआ और उनका पर्स – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

मैं पीहू…..आज मैं अपनी ननकी बुआ की बातें आपसे करूंगी …..वैसे तो मेरी दो बुआ है ….बड़की बुआ और ननकी बुआ….. ये बड़की और ननकी बुवाओ के घर के नाम है …..पर इसी नाम से हमारी दोनों बुआ पूरे मोहल्ले में जानी जाती हैं …..हम सब बड़ी बुआ को बड़की बुआ और छोटी बुआ को … Read more

स्नेह भरी टिकिया – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

हैलो…… बुलबुल का फोन….?  आज अचानक कैसे याद आ गई मेरी तुझे बुलबुल…..? अरे तूलिका… सुन ना ….तू मुझे अपने घर का एड्रेस बता ना जल्दी से…. या लोकेशन भेज…… क्या…..?  एड्रेस ….? लोकेशन  ?  पर तू है कहां….. और इतने हड़बड़ी में मेरा एड्रेस क्यों मांग रही है…? सब ठीक तो है ना…? हां … Read more

वो अनजान लड़का – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

38 साल पहले की बात है जब लतिका की नई नई शादी हुई थी…… मैं सोचती थी….. मेरी भाभी गोरी सी , सुंदर सी होंगी पर आप बिल्कुल अच्छी नहीं दिखती है भाभी…..! ये वाक्य थे लतिका की ननद चंचला के…. लतिका आश्चर्य से चंचला की ओर देखती रह गई…..कोई ऐसे कैसे बोल सकता है  … Read more

मुन्नी बाई और सरसों का साग – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

      अब तू कॉलबेल बजा कर , घर से बुलाकर सब्जी बेचेगी मुन्नी बाई……कढ़ाई में तेल चढ़ाई हूं जल जाएगा ……अच्छा बता क्या है …..?  आराधना ने  खीझते हुए पूछा …. मेमसाहब सरसों का साग है… ले लीजिए…. अरे नहीं नहीं मुन्नी बाई , आज नहीं लूंगी ….थोड़ा जल्दी में हूं और वैसे भी कौन बीनेगा … Read more

मिले माई — लंगड़ा आया है – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

     शादी के बाद पहली रसोई के दिन ही श्वेता के कानों में आवाज आई…मिले माई लंगड़ा आया है….    इस आवाज को आए मिनट भर भी नहीं हुए होंगे कि ससुर जी ने आकर कहा ….दुल्हन , दो रोटी और थोड़ी सी सब्जी एक प्लेट में दे दो …लंगड़ा आया है ….पल्लू ठीक करते हुए धीरे … Read more

एहसास – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

आज 14 फरवरी ….. सुबह सुबह की आपाधापी के बीच जैसे ही अरुणिमा  करी पत्ता (मीठा नीम) लेने बगीचे में पहुंची…..      ओह , तीन-चार दिनों से क्यारी में पानी ही नहीं डाला है…. पूरे गुलाब के पौधे सूखने की कगार पर है…. पूरी जिम्मेदारी घर की , रसोई की ,पेड़ पौधों की ….मेरी ही तो … Read more

बहुत याद आती है सासू मां की – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

देख बेटा तान्या….. तू नौकरी करना चाहती है ना…. बेशक कर….! पर याद रखना घर की व्यवस्था तो तुझे ही देखनी पड़ेगी…. स्पष्ट और सच बोलना शायद सही होगा …।     मुझसे ना …ये घर के कामों और तुम्हारी मदद के विषय में ज्यादा उम्मीद मत रखना…..  मैं उम्र के इस पड़ाव  ” ढलती सांझ ” … Read more

न्याय – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

आज कैसी सब्जी बनी है सर्वथा…?  मुंह बनाते हुए समीर ने कहा ….. होठ बिचका कर बिटिया अनन्या ने भी समर्थन किया ….!      देखो समीर , ….अब तो देश-विदेश सभी जगहो पर कार्य की गुणवत्ता के मद्देनजर , कार्य की अवधि कम करने की सोच रहे है….।       बस एक हम गृहणी के कार्यों के बारे … Read more

तकदीर – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

  ओह…. इस बार फिर तीन नंबरों से चूक गया…..अरे मम्मी , शायद मेरी तकदीर में ही नहीं है एसएससी एग्जाम निकालना… वरना पहली बारी में पांच नंबर से और इस बार तीन नंबर से थोड़ी ना चूक जाता ….!      देख बेटा विप्लव….मुझे लगता है ना ….अभी तुझे और मेहनत की आवश्यकता है बेटा ….. ये … Read more

मुस्की – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

   चाचू — चाचू……दरवाजा खोलो ना… देखो तो आपकी मुस्की आई है…. प्लीज चाचू….. रोते-रोते दरवाजे पर मुक्का मारती हुई मुस्की थक कर वहीं बैठ गई ….!    आप जब तक बाहर नहीं आओगे मैं यहां से नहीं हटूंगी चाचू…. मुझे नहीं मालूम चाचू …..सही कौन है और गलत कौन है….? मम्मी पापा की बातों से लगता … Read more

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