मोहताज वाली जिंदगी – रोनिता कुंडु  : Moral Stories in Hindi

मम्मी, निवेदिता दीदी आई है! चाहत में अपनी सास रमा जी से कहा,  रमा जी:  क्या? निवेदिता? वह लोग आ गए मनाली घूम कर? चलो पूछती हूं, यह कहते हुए रमा जी दौड़ती हुई अपने कमरे से बाहर आई, फिर कहा अरे निवेदिता तुम लोग कब आए मनाली से?  निवेदिता: कल ही आई मम्मी और … Read more

भाभी है नौकरानी नहीं – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi

मम्मी! फ्रिज में मैं कल केक देखा था, आज नहीं है किसने खाया? तिथि ने कहा  मुझे क्या पता? मैं कौन सा केक खाती हूं? पूछ तेरी भाभी से, पूरे दिन घर पर वही रहती है, खाया होगा तभी, कमला जी ने कहा  तिथि:  भाभी! कल मैंने केक का एक पीस देखा था फ्रिज में, … Read more

ना बोलना सीखो – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi

बारात में क्या पहनने वाली हो? अलका ने अपनी देवरानी ममता से कहा  वह मैंने इस बार करवा चौथ पर एक साड़ी ली थी, जो मुझे इन्होंने बड़े प्यार से लाकर दी थी वही पहनने वाली हूं, वैसे जीजी आपने तो नई साड़ी ली होगी ना? आखिर देवर की शादी है सबसे बड़ी जेठानी तो … Read more

बहू से बेटी और बेटी से बहू तक का सफर – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi

नहीं बहू नहीं जाएगी और यही मेरा आखिरी फैसला है, मुझे और कोई बहस नहीं करनी। जानकी जी ने चिल्लाते हुए कहा  निशांत:  फिर ठीक है, अब जब आपने फैसला कर ही लिया है फिर तो कोई आगे बात करने का कोई मतलब ही नहीं। सोनम तुमने सुन लिया ना? अब मेरे कान के सामने … Read more

भाग्यहीन – रोनिता : Moral Stories in Hindi

अरे गीत, इधर भी दो नाश्ता। ध्यान कहां रहता है तुम्हारा? यह कहते हुए कावेरी जी अपनी बेटी की सास शोभा जी से कहती है, वह क्या है ना बहन जी? इस पर से जो ज़रा सा भी ध्यान हटाओ तो इसकी कामचोरी शुरू  शोभा जी:  बहन जी! बुरा ना माने तो एक बात पूछूं? … Read more

किस्मत वाली बहू – रोनिता : Moral Stories in Hindi

क्या बात है मां? कुछ कहना था? राज ने खाना खाते हुए अपनी मां प्रभा जी से कहा।  प्रभा जी:   हां वह पूछना था कि आज भिंडी कैसी बनी है?  राज:  हां अच्छी बनी है।  प्रभा जी: वह तो बननी ही थी, भिंडी के काटने के तरीके पर ही उसका स्वाद निर्भर करता है, … Read more

बुरी बहुरानियां – रोनिता कुंडु  : Moral Stories in Hindi

क्या बात है सरला बहन? इतना बड़ा अनुष्ठान घर पर और बहुरानी और बेटा नहीं आया? आप तो कह रही थी वह लोग नौकरी की वजह से दूर गए हैं, क्योंकि मजबूरी थी, पर अब तो माजरा कुछ और ही लग रहा है, सुषमा जी ने अपनी पड़ोसन सरला जी से कहा  सरला जी:  देखो … Read more

सिंदूर हो रहा दूर – रोनिता : Moral Stories in Hindi

क्या बात है? कुछ दिनों से देख रहा हूं बड़ी बदली बदली सी दिख रही हो? अमर ने अपनी पत्नी मनीषा से कहा  मनीषा:  अच्छा आपको अपने काम के अलावा कुछ और भी दिख गया? पर यह अजूबा कैसे हो गया? अमर:  क्या मतलब? काम पर ध्यान नहीं दूंगा तो यह घर कैसे चलेगा? तुम … Read more

तुम टेढ़ी खीर, तो मैं सीधी जलेबी – रोनिता कुंडु : Moral Stories in Hindi

मां बाऊजी… मुझे आप दोनों से कुछ कहना है… हम अलग रहना चाहते हैं.. रोज-रोज की किच-किच से तंग आ चुका हूं, अब अलग रहकर ही चैन मिल सकता है, ऋषि ने कहा  पार्वती जी:  क्या अलग-अलग रहना चाहता है..? बेटा तू हमारा एकलौता बेटा है और यह घर तेरा ही है, झगड़े मन मुटाव … Read more

दर्द की दास्तान ( भाग-23 ) (अंतिम भाग ) – रोनिता कुंडु  : Moral Stories in Hindi

कहानी के पिछले भाग के अंत में आपने पढ़ा के, अंगद की मां आकर अंगद को सुरैया की बेरुखी का कारण बताती है.. पर फिर भी सुरैया इस रिश्ते को मना कर देती है.. अब आगे.. अंगद की मां:  अब क्या हुआ सुरैया..? मेरे मना करने पर ही तुम यह नाटक कर रही थी… पर … Read more

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