बड़ी बहू- – एक जिम्मेदारी – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

“देखो… फिर मुंह चला रही है, खाना बनाते बनाते… अरे बड़ी बहू हो घर की… कितनी बार समझाना पड़ेगा… जैसा तुम करोगी, तुम्हें देखकर ही ना कल जो अनुज की दुल्हन आएगी… वह भी सीखेगी…!”  “वो मां… बस नमक लगा डालना भूल गई हूं… इसलिए थोड़ा चख रही थी…!” ” यह तो और भी बुरी … Read more

टूटता रिश्ता …रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

…”नितिन क्या कर रहे हैं आप… ऐसा मत करिए… नहीं… छोड़िए मेरा हाथ…!” ” तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई…!” ” मुझे छोड़िए… विधि रो रही है… छोड़िए मुझे…!’  नितिन ने झटके से उसे दरवाजे के बाहर कर दिया… और फटाक से दरवाजा उसके मुंह पर पटक दिया… अंदर विधि जोर-जोर से रो रही थी… ” नितिन… … Read more

संवाद बनाए रखें… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

…तीनों बेटियों का ब्याह अम्मा ने उनके पिता के रहते ही कर दिया था… पिताजी ने अपनी हैसियत के हिसाब से जो बन पड़ा… कुछ अधिक तो नहीं… पर खाते पीते घर में सब गईं… बच गया छोटा मोहित… उसके बनने से पहले ही पापा चल बसे…  अम्मा ने बचे पैसे बेटे को एक से … Read more

अनकहा दर्द… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

यामिनी सेन की लाश पंखे से लटक रही थी… सुधांशु दत्ता उसका पति जमीन पर लाचार बैठा था… पुलिस आने वाली थी… पूरा घर पड़ोसियों से भरा पड़ा था… सुधांशु की मां अनंदिता जी… अभी भी चुपचाप आंगन के दरवाजे के पास पड़ी कुर्सी पर… मुंह पर आंचल रखे बैठी थी… उस बेचारी को तो … Read more

जीवन यात्रा… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

सबके चेहरों पर खुशी झलक रही थी… केवल एक को छोड़कर… वे खुश नहीं थे…  रामनरेश जी लाख मन को मनाने की कोशिश कर रहे थे कि सबकी खुशी के लिए खुश हो लूं… लेकिन नहीं हो पा रहे थे…  बेटी… दामाद… दोनों बेटे बहु… सब के बच्चे… पत्नी प्रभा… सभी तो थे… सभी खुश … Read more

बहू को बेटी मानें… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

हेमा जी दोनों हाथों में चाय का कप लिए… सोमेश जी के बगल में जाकर बैठ गईं… वे सुबह-सुबह अखबार हाथ में लेकर व्यस्त थे… हेमा जी ने एक कप उनकी तरफ बढ़ाते हुए कहा…” निधि के ससुराल से फोन आया था… वहां तो जाना ही पड़ेगा… क्या करेंगे…!”  सोमेश जी ने अखबार मोड़ कर … Read more

सूज़ी – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

…”लेकिन एक बात समझ में नहीं आई… सूज़ी उतनी ऊपर क्या करने गई थी…!” इंस्पेक्टर रेवती ने अपनी पॉकेट से रुमाल निकाल कर श्रीमती डिसूजा को देते हुए पूछा… श्रीमती डिसूजा ने सुबकते हुए.… रुमाल लेकर आंखों की कोरों पर एक बार फिर फेरते हुए धीमे से कहा…” मैडम ठंड बहुत थी… इसलिए हम छत … Read more

बड़ा दिल किसका – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

…”तू यह कंबल झोले में डाल… मैं अभी आया… उस चौक पर कोई फिर कंबल बांटने आया है…!” ” जल्दी जाओ बाबा…!”  ” हां… तू यहीं बैठी रहना… मैं अभी आया…!”  लगभग घंटे भर में बैसाखी टेकता वह लौट आया… हाथ में एक कंबल गोल कर… अपनी फटी कंबल में घुसाए हुए था… ” वाह… … Read more

मोहताज… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

…निम्मी ने रोज की तरह… बाहर से ही आवाज लगाया… “रिया हो गया… जल्दी चलो…!”  रिया के घर का दरवाजा खुला ही था… अंदर उसके भैया बैठे हुए थे… बिल्कुल दरवाजे के सामने… उनकी नज़रें निम्मी पर थी…  निम्मी थोड़ा बगल हट गई… रोज का हो गया था… वह जब भी रिया को बुलाने आती… … Read more

कभी नहीं… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

गुस्से से पैर पटकती दामिनी… खुद से बड़बड़ाती… किचन में जाकर फटाफट सब्जियों पर छुरी पटक पटक कर… अपना गुस्सा निकालने लगी… जल्दी-जल्दी हाथ चलाते हुए… उसने कुकर में सारी सब्जियां डालकर सूप बनने को चढ़ा दिया…  बच्चों की तो कब से फरमाइश हो रखी थी… मशरूम की सब्जी और साथ में पूरी… सब बनाकर … Read more

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