सपने सच हुए – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“ऐ रे चंपा किधर फुदक रही है… चल इधर आ मेरे साथ रसोई में हाथ तो बँटा।” अपनी भारी भरकम आवाज़ में रमिया ने कहा  “ अभी आई ताईजी कहती हुई चंपा गोद में सो रहे दो साल के अपने चचेरे भाई को बिछौने पर सुलाकर रसोई में आ गई  रमिया खुद काम कम करती … Read more

रिश्ते पर भारी पैसा – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“बहुत दिन हो गए चलो कनु से मिल आते है… ऐसे भी कौन सा हमारा अब यहाँ आना जाना होगा…यहाँ आए है तो सोच रहा हूँ मिल लेना चाहिए ।” निहाल नीति से बोला  “ देखिए आपकी भतीजी है आपका उसके लिए प्यार समझ आता है पर क्या उसको नहीं लगता चाचा चाची यहाँ आएँ … Read more

माँ का हिस्सा – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

ये कहानी है रत्ना जी की। जिनके पास धन तो ज्यादा नहीं है पर जमीन और घर की मालकिन जरूर है। दो गबरू जवान बेटे और एक बेटी की माँ। सब शादीशुदा और अपने में मस्त। पर क्या हुआ जो एक दिन अचानक से दोनों बेटे माँ के पास आए और बड़े बेटे नवल  बोले,‘‘ … Read more

रिश्तों में यूँ ही नहीं आती खटास – रश्मि प्रकाश  : Moral Stories in Hindi

आज सभी लोग अपने अपने घर को चले गए पीछे फिर से वही लोग रह गए जिनको कहीं जाना ही नहीं था पर सबकी विदाई करने के बाद भी मानसी को किसी भी बात का कोई मलाल नहीं था…. होता भी कैसे एक वक्त वो भी था जब वो बस पश्चाताप के आँसू बहाया करती … Read more

काश ऐसी सास सबको नसीब हो – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“ माँ आप रो क्यों रही है…. क्या आपको भी मैं ही गलत नजर आ रही हूँ ?” नित्या अपनी सास सुशीला जी से उदास स्वर में बोली “ नहीं बहू मुझे तो अपनी बेटी पर ग़ुस्सा आ रहा है….. पर अच्छा हुआ अब वो चली गई…. उम्मीद करूँगी अब जब वो आए तो फिर … Read more

वो मुझसे ज़्यादा मेरी भाभी की माँ है….. – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

इन दिनों कॉलोनी में एक नया परिवार बहुत चर्चा में रह रहा था…सभी इन्हें देख कर कहते इस उम्र में भी कोई बेटी अपनी माँ की इतनी सेवा कर सकती है.. बहुत कम देखने को मिलता है … कुछ दिनों पहले ही वो शिफ़्ट होकर आए थे और पूरे परिवार का ही मिलनसार स्वभाव था … Read more

बेटी कहे तो बीमारी बहू कहे तो बहाना – रश्मि प्रकाश  : Moral Stories in Hindi

“मम्मी जी आज आप रसोई में क्या कर रही है…?” हैरान हो राशि ने पूछा  “अरे बहू सुन तू भी मेरी थोड़ी मदद कर दे….आठ दस लोगों का खाना बनवाने में मेरी मदद तो कर…!” सास सुलभा जी ने कहा  “ हाँ वो तो ठीक है पर दोपहर का हमारा खाना मैं बना  चुकी हूँ…फिर … Read more

माँ की कमी – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

घर के आंगन में हलचल थी। जैसे ही कांता रसोई में घुसने के लिए कदम बढ़ाती है, एक अजीब सी खुशबू उसकी नाक में समाती है। वह यह खुशबू पहचान जाती है—यह सुलोचना जी के हाथों की बनी पकवानों की महक थी। कांता चहकते हुए रसोई में घुसी और उत्सुकता से पूछा, “माला दीदी आ … Read more

अब तो इसके आराम के दिन आए हैं… – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

 “ ये क्या माँ फिर तुम्हारे पैरों में दर्द बढ़ गया ….कितनी बार समझाया है तुम कोई मशीन नहीं हो…. जो दिन रात खटती रहती हो….अरे माँ इन दुनिया वाले के लिए तुम  बस एक इंसान हो लेकिन मेरे लिए तुम पूरी दुनिया हो…. क्यों नहीं समझती हो इस बात को…. तुम्हें कुछ हो गया … Read more

उनकी यादों के सिवा मेरे पास और है ही क्या….! – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“ जब देखो तुम और तुम्हारी यादों को पोथा…. कब तक ऐसे ही ले कर बैठी रहोगी माँ…. चलो अब …कब से हम खाने के मेज पर तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं ।” कमरे में आकर चंचला जी के बेटे हरीश ने कहा  चंचला जी अपने बिस्तर पर औंधे मुँह लेटी हुई थी और सामने … Read more

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