माता-पिता बच्चों पर बोझ क्यों हो जाते…. – रश्मि प्रकाश

“ अरे अरे ये क्या कर रहे हैं जी आप…. सामान क्यों बाँध रहे हैं…?” सुनंदा जी ने रामशरण जी से पूछा  “ हम अपने घर जा रहे हैं… अब यहाँ एक पल भी नहीं रूकना..समझी तुम ।” डपटते हुए रामशरण जी ने कहा  “ अरे धीरे बोलिए ना…बेटा बहू सुन लेंगे ।“ सुनंदा जी … Read more

इज़्ज़त पाने के लिए इज़्ज़त देना भी पड़ता हैं….. – रश्मि प्रकाश 

“देखा तुमने सुनंदा की बहू यहाँ से शहर क्या गई पूरी शहरी हो गई है …यहाँ थी तो साड़ी पहनती थी और सिर से पल्लू जरा ना सरकता था चार महीने में देखो क्या रंग रूप बदल गए उसके।” सुनंदा जी की पडोसन मालती ने एक पड़ोसन विमला से कहा “जाने दे ना … तुम्हें … Read more

घर प्यारा पर माँ नहीं.. – रश्मि प्रकाश

रात के लगभग दो बजे अचानक से माँ के कमरे से रोने की आवाज़ सुन निशिता और रितेश भाग कर उनके कमरे में आ गए । “ क्या हुआ माँ रो क्यों रही हो?” बेटे रितेश ने पूछा  “ वोऽऽऽ वोऽऽऽ ।” फोन की तरफ़ इशारा करते हुए सुमिता जी कुछ बोल ना पाई बेटे … Read more

बोझ – रश्मि प्रकाश 

आज मनोहर लाल जी बहुत खुश थे … आखिर बहुत दिनों बाद उनका फ़ौजी बेटा चंदन घर जो आने वाला था।  गांव में उनका अपना छोटा सा घर था…हंसमुख पत्नी अब हमेशा बीमार रहने लगी थी क्योंकि चंदन उनका  इकलौता बेटा बहुत मन्नतों के बाद हुआ था … और उसके फ़ौज में चले जाने की … Read more

पंख पखेरू – रश्मि प्रकाश 

“ देख रचित कहे दे रहा हूँ…कान खोलकर सुन ले…जब मैं बड़ा हो जाऊँगा ना मम्मी पापा हमेशा मेरे साथ रहेंगे…. तेरी बीबी तो झगड़ालूहोगी वो रहने ही नहीं देगी साथ में।” बचपन में अक्सर रंजन अपने छोटे भाई से कह कर लड़ता रहता था  “ ये देखो सुमिता हमारे बच्चे अभी मेरे कंधे तक … Read more

एक रिश्ता ऐसा भी – रश्मि प्रकाश

 बेटा दो साल होने को आया तू एक बार घर भी नहीं आया है…. हम दोनों बुढ़ापे में बस तुम सब को देखने को तरसते रहते हैं और तुम हो कि आना ही नहीं चाहते हो।” सुनंदा जी निकुंज से बोली  “ माँ ऐसे क्यों बोलती हो… आना चाहता हूँ पर एक सप्ताह की छुट्टी … Read more

हमदर्दी के पीछे का कड़वा सच – रश्मि प्रकाश

“रति देखो मुझे समझाने की कोशिश मत करो…वो सब क्यों हुआ किन परिस्थितियों में हुआ तुमने भी देखा…बेकार मेरे पास अपनासमय बर्बाद कर रही हो जाओ जाकर अपने पति को सँभालो…. उसे सँभालो इससे बेहतर है तुम ख़ुद को सँभालो…. ऐसी सोच वाले पतिके साथ रहने से क्या ही फ़ायदा जो तुम्हारे साथ ऐसा सलूक … Read more

बहू मुझे जाने के लिए मत कहना… – रश्मि प्रकाश

“ नमस्ते मम्मी जी , आप कब आ रही है..?” कृतिका ने सासु माँ रत्ना जी से पूछा. “ बहू अभी तो मेरी तबियत ठीक नहीं चल रही है… ठीक होते ही खबर करूँगी फिर रितेश से कह कर टिकट करवा देना..।” कराहती सी आवाज़ में रत्ना जी ने कहा. “ ओहह…. सोच रही थी … Read more

अपना वक्त हम कैसे भूल जाते हैं.. – रश्मि प्रकाश 

“ राशि कल सुबह जल्दी उठ जाना …सुबह के पाँच बजे पूजा तुम्हें ही करनी है…इस घर का यही नियम है …याद रहे नहा कर तैयार  हो जाना ….पहली पूजा तुम्हें ही करनी है ।” जेठानी की बात याद करते हुए राशि चार बजे का अलार्म लगा सो गयी  सुबह जब अलार्म बजा …. नींद … Read more

हर बार  रिश्ता निभाने के लिए झुकना ज़रूरी नहीं है….. – रश्मि प्रकाश

“ नानी तुमने माँ को ऐसा क्यों बना दिया कि वो अपनी ज़िंदगी का इतना बड़ा फ़ैसला भी खुद नहीं ले सकती थी….. घुट घुट कर रहती रही थी पर ना कभी हमें जताया ना तुम सब उसको समझ पाएँ….. आज इस कदर निराश हो गई कि….।” कहते कहते दीया सुबकने लगी. सुमिता जी नतनी … Read more

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