सिर्फ तुम और कुछ नहीं” –  रचना कंडवाल

ओहो! मेजर साहब हमारी और आपकी शादी को कितने साल हो गये हैं?? बताइए न?? ऐसा कहते हुए कल्पना  मुस्कुरा उठी। मेजर धीरेन्द्र प्रताप सिंह झुंझलाहट भरी नजरों से उसे देख कर अपना फोन अटेंड करने लगे। फोन बंद करते ही उसकी ओर मुखातिब हुए और डपटते हुए बोले। अभी इस कैलकुलेशन का वक्त नहीं … Read more

हाऊस वाइफ – रचना कंडवाल 

अरे भई रीमा नाश्ता तैयार हो गया क्या? मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही है।अमर ने बेडरूम से आवाज दी।रीमा बाबू जी को दलिया उनके रुम में दे कर बाहर आई। तो अमर ने उसे गुस्से से घूरा जल्दी से हाथ नहीं चला सकती हो। रीमा ने उसी शांत भाव से कहा अभी लाती … Read more

वापसी ( रिश्तों की)  आखिरी भाग-5 –  रचना कंडवाल

अब तक आपने पढ़ा कि बरखा सुनिधि को‌ उसके पापा के बारे में बताती है जिसे सुनकर सुनिधि दंग रह जाती है। उसके मन में अपनी मॉम के लिए नफरत भर जाती है। वह रियलाइज करती है कि उसके सास-ससुर और पति विपुल उसे कितना प्यार करते हैं। जिसे वह सास की टोका-टाकी समझती है … Read more

किसका घर/ माता पिता का या बेटे का – रचना कंडवाल

“पापा नया घर बिल्कुल तैयार हो चुका है। सोच रहा हूं कि वहां दीपावली पर शिफ्ट कर लूं।” सिद्धार्थ ने अपने पापा गोविंद प्रसाद जी से कहा। सिद्धार्थ गोविंद जी और सुधा का इकलौता बेटा है। सुधा वहीं पर बैठी मूकदर्शक बनी चुपचाप सुन रही है। पिछले कुछ दिनों से उसने किसी भी बात पर … Read more

वापसी ( रिश्तों की) भाग–4 – रचना कंडवाल

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि बरखा अपनी बेटी सुनिधि को उसके पिता के बारे में बताती है। कि बाइस साल पहले उन दोनों के बीच क्या हुआ था?? उनके अलग होने की वजह क्या थी?? सुनिधि पूछती है कि क्या आपने उनसे दोबारा मिलने की कोशिश की?? अब आगे– नहीं कभी नहीं। वो सिहर … Read more

वापसी (रिश्तों की) भाग–3 – रचना कंडवाल

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि बरखा सुनिधि को उसके पापा के बारे में बताना चाहती है। और अपनी मां को रूम से बाहर जाने को कहती है अब आगे– बैठो, सुनिधि को कह कर बरखा हारे हुए जुआरी की तरह बेड पर बैठ गई। सुनिधि काऊच पर बैठी हुई थी। तुम्हारे पापा के बारे … Read more

वापसी ( रिश्तों की) भाग–2 – रचना कंडवाल

पहले भाग में आपने पढ़ा कि बरखा रॉय की बेटी सुनिधि अपने ससुराल से गुस्सा हो कर अपने मायके (रॉय मेंशन ) वापस चली आती है। और कहती है कि अब वो वहां कभी नहीं जाएगी।अब आगे– नहीं मैं ऐसा नहीं होने दूंगी। सोचते हुए बरखा की आंखें भीग गई। आंखों से कुछ बूंदें निकल … Read more

वापसी ( रिश्तों की) – रचना कंडवाल

मॉम अब मैं उस घर में वापस नहीं जाऊंगी। सुनिधि धम से आ कर सोफे पर बैठ गई। बरखा राय की लैपटॉप पर तेजी से चलती हुई उंगलियां थर्रा कर रुक गईं। उसने लैपटॉप बंद किया और आकर सुनिधि की बगल में बैठ गई। क्या हुआ मेरा बच्चा?? उसने उसका हाथ अपने हाथों में ले … Read more

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