*रिश्ते में समझदारी* – पुष्पा जोशी : Moral Stories in Hindi

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   पवन कुमार जी घर की बालकनी में घूमते हुए जोर जोर से बड़बड़ा रहै थे। ‘वे लोग समझते क्या है अपने आप को, मेरी बेटी कोई कचरा थोड़ी है, कि जो मन में आया कह दिया। मैंने नाजो से पाला है उसे, एक खरोच भी नहीं आने दी। मेरी पढ़ी लिखी समझदार बेटी, हमने … Read more

* बुजुर्गों का आशीष * – पुष्पा जोशी : Moral Stories in Hindi

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   बसन्त और गौरी अपनी गृहस्थी में खुश थे। ज्यादा ऊंचे ख्वाब नहीं थे। सीधे सरल स्वभाव के खेती किसानी का काम  करते। गाँव मे सबके साथ मिलजुल कर रहते। सुख दुःख में उनके साथ रहते। दोनों बहुत मेहनती थे। जब तक माता पिता रहै दोनों ने उनकी बहुत सेवा की। दो बहिनें है, जिन्हें … Read more

पश्चताप – पुष्पा जोशी : Moral Stories in Hindi

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जब अपने बेटों ने माँ को अपने साथ रखने से मना कर दिया तब यशोधरा जी के पास वृद्धाश्रम जाने के अलावे कोई रास्ता नहीं बचा था। हर सप्ताह रविवार को सुबोध यानि यशोधरा जी के जेठ जेठानी का बेटा वृद्धाश्रम मे दान करने के लिए आता था जब अपनी काकी  को वहाँ देखा तो … Read more

*आपसी सामंजस्य* – पुष्पा जोशी : Moral Stories in Hindi

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सीताराम जी शिक्षक थे। उनकी पत्नी रौहिणी कुशल गृहिणी थी। उनका इकलौता बेटा मनीष सीधा साधा, संस्कारी और प्रतिभाशाली था। गाँव में हायर सेकण्डरी की पढाई की और प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ। आगे की पढ़ाई के लिए वह शहर में गया। वहाँ पर उसने बी.ई. की पढ़ाई की और एक प्राइवेट कम्पनी में उसकी … Read more

सच्चा रिश्ता – पुष्पा जोशी : Moral Stories in Hindi

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गांव में बने पुराने घर के बड़े बरामदे में बंसीलाल जी इस बार अकेले बैठे थे। कुछ साल पहले तक इस घर में उनकी पत्नी और दोनों बेटे थे, और पूरे घर में रौनक रहती थी। लेकिन वक्त ने जैसे परछाई बदल दी थी। उनकी पत्नी का निधन हुए कई साल हो गए, और दोनों … Read more

बेटे की खुशी – पुष्पा जोशी : Moral Stories in Hindi

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    शामराव जी अपने घर की बालकनी में कुर्सी लगाकर बैठे थे, दो दिन के बाद दीपावली का त्यौहार था। पूरे घर पर रोशनाई लगवाई थी। मिट्टी के दिए भी मंगवा कर रखे थे, उन्हें यही लगता था कि मिट्टी के दियों को जलाए बिना कैसी दीपावली। दरअसल वे इन दिओ को जलाकर अपने पैतृक गाँव … Read more

असली सिंदूर – पुष्पा जोशी : Moral Stories in Hindi

New Project 95

 चारूदत्ता…जितना प्यारा नाम उतनी ही प्यारी सूरत और सीरत थी उसकी। ग्रामीण परिवेश, प्रकृति के अंचल में पली बड़ी, धार्मिक आचार विचार से संस्कारित चारूदत्ता, प्रखर बुद्धि की थी। गाँव में लड़कियों के लिए आठवीं तक का स्कूल था, आगे हायर सैकण्डरी और ग्रेजुएशन की पढ़ाई उसने प्राइवेट फार्म भरके की। चारूदत्ता के सपने ज्यादा … Read more

जीवन सुख दुःख का मेला * – पुष्पा जोशी : Moral Stories in Hindi

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   समय पंख लगाकर उड़ जाता है, कल मैं अपने जीवन के ७३ वर्ष पूरे कर लूँगी। जीवन के सफर में कितने उतार चढ़ाव आए। कितने लोगों से मिली कितने रिश्ते बनाए। कितने पुराने रिश्ते छूट गए, नये रिश्ते बनते गए। सुख दुःख के मापदंड भी बदले। एक सुख जीवन में था, तो दूसरे सुख … Read more

आधी हकीकत-आधा फसाना – पुष्पा जोशी : Moral Stories in Hindi

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  ‘मैं उम्मीद करता हूँ, कि आपने मेरी चिट्ठी को पढ़कर, सोच समझ कर निर्णय लिया होगा, मैं चाहता था आपसे मिलकर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दूं, मगर हमारे परिवार के लोगों की दकियानूसी सोच ने यह होने नहीं दिया। बहुत कोशीश की, बड़ी मुश्किल से आपकी माँ को पत्र लिखकर दे पाया। और उन्होंने जब … Read more

*आत्मसम्मान का पाठ* – पुष्पा जोशी : Moral Stories in Hindi

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शील कुमार कमरे में बैठे अखबार पढ़ रहै थे। उनके कान में अपनी पत्नी वीणा और बेटी राधा की आवाजे जोर जोर से आ रही थी। उनका ध्यान पेपर से हटकर उन दोनों की बातों की तरफ मुड़ गया। राधा की बातें सुनकर ऐसा लगा जैसे उनके दिल की आवाज को हूबहू वो अपनी माँ … Read more

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