बदलते रिश्ते : प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

————— जोड़ियां तो ऊपर वाला पहले से लिखकर पृथ्वी पर भेजता है पर हर किरदार जो इस धरती के रंगमंच पर उतरता है वो अपने उन रिश्तों में चाहे वो मां – बाप हों ,भाई – बहन, खानदान और समाज सभी से भी जुड़ा होता है। हमारे समाज की एक अजीब-सी धारणा चली आ रही … Read more

जेवर – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

——- शादी की भीड़ और अफरातफरी में सुमन जी ने नई नवेली बहू को बड़े प्यार से समझाते हुए उसके गहने ये कहते हुए अपने पास रख लिए कि,” मैं संभाल कर रख देती हूं वरना कहीं कुछ इधर-उधर ना हो जाए रागिनी बेटा। अभी तुम इतना कुछ कहां संभालोगी? जरुरत पड़ने पर मुझसे ले … Read more

आपको बहू नहीं चलता फिरता रोबोट चाहिए” – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

“रश्मि मेरे कपड़े क्यों नहीं निकाले अभी तक ।ऑफिस में अक्सर देर से पहुंचता हूं एक तो सड़क पर ट्रैफिक की मारा मारी ऊपर से तुम कोई काम वक्त पर करती नहीं हो”राजेश ने घर सिर पर उठा लिया था ये एक दिन की बात नहीं थी।सुबह की सैर के बाद लाॅन में बैठे सास … Read more

पट्टी पढ़ाना – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

अभय और सूरज बहुत अच्छे मित्र थे और पढ़ाई में भी अच्छे थे। जहां अभय का दिमाग बहुत तेज था वहीं सूरज बहुत ही मेहनती छात्र था। सूरज दिल का बहुत साफ लेकिन अभय के मन में जलन की भावना हमेशा रहती थी कि,” मेरा दिमाग इतना अच्छा है कि एक बार कुछ भी पढ़ … Read more

नालायक औलाद – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

आज बाबू जी का पारा सातवें आसमान पर फिर से चढ़ा था।दीपू ने किसी तरह परीक्षा पास की थी। रमेश जी काॅलेज में अध्यापक थे।तीन बच्चे थे उनके राजू,दीपू और मीरा। मीरा और राजू हमेशा अव्वल नंबर से पास होते थे। रमेश जी सीना तान कर निकलते थे ।एक अध्यापक और पिता को और क्या … Read more

देर है अंधेर नहीं – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

वकील साहब हम जिंदा हैं इसका सबूत देते – देते अब थक गए हैं।एक बुजुर्ग महिला कमला अपनी जमीन के केस के लिए दर बदर भटक रही थी लेकिन पेपर पर उसको दस साल पहले मरा घोषित कर दिया था उसके एक रिश्तेदार ने। कमला गांव में अकेली रहती थी परिवार में कोई नहीं था।बाल … Read more

मन की गांठ – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

—————— सीमा सुबह से भाग-दौड़ में लगी थी,मानो सारी जिम्मेदारी सिर्फ उसी के कंधों पर हो ना खाने – पीने का होश और ना ही साज सिंगार का। बड़ी बहू के फर्ज की सारी जिम्मेदारी बखूबी निभाया था सीमा ने। जिसे देखो हर किसी की जुबान पर सीमा का ही नाम था।बहू!” रीति रिवाज की … Read more

भिखारी – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

“कुछ खाने को मिलेगा दो दिन से कुछ भी नहीं खाया है साहब ” भिखारी की आवाज में तड़प सी थी,सुन कर सुंदर दरवाजे पर आया। अरे!” तुम तो जवान हो हट्टे-कट्टे हो कुछ काम क्यों नहीं करते हो। शर्म नहीं आती भीख मांगते हुए तुम्हें” सुंदर बिना रुके बोले जा रहा था। “साहब पानी … Read more

समझौता – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

————- मां!” मैं अपने ख्वाबों से समझौता नहीं कर सकतीं हूं। आपने कितनी मुश्किलों का सामना करके मुझे इस काबिल बनाया कि आज मैं इस मुकाम पर हूं, सिर्फ इसलिए नौकरी छोड़ दूं कि मैं रवि से ज्यादा ऊंचे पद पर हूं और समाज में मेरा मान – सम्मान ज्यादा है। मां मैंने अपनी मेहनत … Read more

दिखावे की जिंदगी – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

————— मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी गुनगन के ख्वाब हमेशा रइसों वाले थे। यहां तक की वो अपने पिता की नौकरी और मां की विवशता की आलोचना भी करती और उनको नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ती थी। पिता क्लर्क थे तो कमाईं भी सीमित थी और मां घर के कामकाज के साथ लोगों के … Read more

error: Content is protected !!