अपना घर अपना ही होता है – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

सुमन चार भाई – बहनों में सबसे बड़ी थी। पिता जी कम उम्र में जिम्मेदारियों का बोझ उसके कंधे पर डाल कर दूसरी दुनिया बसा लिए थे। उनकी सहकर्मी थी रंजना जिसके प्रेम जाल में फंस कर मां और बच्चों को छोड़कर दूसरे शहर जा कर विवाह कर लिया था। मां बहुत टूट गई थी… … Read more

 “इज्जत इंसान की नहीं पैसे की होती है” – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

बड़ी बुआ जी की शान शौकत और रुतबा समाज में तो था ही साथ में परिवार में भी खूब चलती थी।जो देखो उनका गुणगान करते नहीं थकता था। बुआ जी को भी अपनी अमीरी पर बहुत घमंड था। जब भी मायके आती सब के लिए कीमती तोहफे लातीं और पैसे भी बताया करती कि फला … Read more

 आखिरी पल – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

————- डॉक्टर रेखा ने राघव को बुलाया और कहा कि “सावित्री जी को घर लेकर जाओ और उनके साथ वक्त बिताओ क्योंकि अब वो कुछ ही दिनों की मेहमान हैं।अब दवा का कोई भी असर उन पर होना बंद हो गया है।चंद सांसें शेष हैं उनके पास। जितनी खुशी दे सकते हो दो और उनकी … Read more

 रसोई घर – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

दिन भर रसोई घर में ही लगी रहती हो,सारा वक्त बर्बाद कर देती हो अपना। खाना बनाने के लिए कामवाली क्यों नहीं लगाती हो…. पड़ोसन कंचन जी रेनू को सुना रहीं थीं। रेनू को घर के कामों में बहुत रूचि थी ।क्या किसको चाहिए पसंद ना पसंद और घर को सलिके से रखना उसको अच्छा … Read more

 प्रायश्चित – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

सुरेश बाबू की आंखों में आज पश्चाताप के आंसू बह रहे थे उन्होंने पत्नी यशोदा के जाने के बाद दूसरी शादी वसुधा से कर ली थी। पहले तो वसुधा ने चिकनी – चुपड़ी बातों में उलझाकर उनके बच्चों को अपना बच्चा कह कर बहुत प्रेम और स्नेह जताया था और सुरेश बाबू भी बच्चों को … Read more

इंतजार – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

———- कमला जी गांव में रहती थी।उनके दो बेटे थे और जो गर्मी की छुट्टियों में परिवार के साथ आते और मां के साथ वक्त बिताया करते थे। लड़के तो कुछ दिन रहते थे और अपनी नौकरी पर चले जाते पर परिवार गांव में ही रहता था कुछ दिनों के लिए। कमला जी को इस … Read more

 सात फेरे – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

बड़ी मन्नतों के बाद लाली का विवाह तय हो पाया था। गुणों की खान थी,बात व्यवहार और मददगार के रूप में पूरे गांव में सबकी जुबान पर सिर्फ लाली का नाम रहता था,पर क्या ही मायने रहता है इस समाज में जहां रूप ही सबसे ज्यादा मायने रखता है। सांवली सलोनी सी थी लाली यही … Read more

 मेरी दोनों बहू आपस में बहन जैसी रहती हैं : प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

सरिता जी मायके आईं थीं। वैसे मायके के नाम पर बड़े भइया का परिवार था, छोटे भाई भाभी ने तो कभी रिश्ता निभाया ही नहीं था। बड़ी भाभी बड़े सरल स्वभाव की थीं, कभी भी मां – बाप की कमी नहीं खलने दिया था उन्होंने। परिवार को एक सूत्र में बांध कर रखने की पूरी … Read more

 सम्मान की सूखी रोटी : प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

पापा जी!” जो कुछ बना है चुपचाप खा लिया करिए।ये रोज – रोज आपके नखरे उठाने के लिए मैं नहीं बैठीं हूं…एक तो दिन भर काम करो ऊपर से इनके नखरे झेलो… कविता बड़बड़ाती हुई कमरे से बाहर निकल गई। सुबह के नाश्ते का वक्त था और कविता ने कड़क सी थोड़ी जली रोटी सूखी … Read more

 पहली किरण : प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

————- रात कितनी भी गहरी काली हो पर उसको जाना ही होता है और बादलों के रथ पर सवार अरूणोदय धरती को छूने के लिए बेताब पहली किरण के रूप में झांकता हुआ सारी दुनिया को अपने आने की दस्तक दे देता है।बस यहीं से शुरूआत होती है एक नए दिन की। हमारी निद्रा टूटते … Read more

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