करमजली – निभा राजीव निर्वी : Moral Stories in Hindi
काम पर जाते हुए करुणा जैसे ही गली के मुहाने पर सखाराम हलवाई की दुकान के सामने से निकली, उसके कानों तक फुसफुसाता हुआ एक स्वर पहुंचा, “-लो..निकल पड़ी करमजली! लोक लाज को तो घोल कर पी गई है..” वह स्वर से ही पहचान गई कि ये सखाराम की पत्नी केतकी का स्वर था जो … Read more