करमजली – निभा राजीव निर्वी : Moral Stories in Hindi

New Project 2024 04 29T105042.754

काम पर जाते हुए करुणा जैसे ही गली के मुहाने पर सखाराम हलवाई की दुकान के सामने से निकली, उसके कानों तक फुसफुसाता हुआ एक स्वर पहुंचा, “-लो..निकल पड़ी करमजली! लोक लाज को तो घोल कर पी गई है..”           वह स्वर से ही पहचान गई कि ये सखाराम की पत्नी केतकी का स्वर था जो … Read more

जीवन के नए रंग – निभा राजीव निर्वी  : Moral Stories in Hindi

New Project 2024 04 29T105042.754

अस्पताल के बिस्तर पर पड़े पड़े उसका मुंह पोंछती चंदा पर जब दिनेश की दृष्टि पड़ी तो उसके सूने कान को देखकर उसने पूछ लिया, “- चंदा तेरे झुमके कहां गए?? आज तूने नहीं पहने!”  चंदा की दृष्टि अनायास ही झुक गई, स्वर को मृदुल बनाने का प्रयास करते हुए उसने कहा, “- अरे.. हर … Read more

घर_वापसी – निभा राजीव निर्वी : Moral Stories in Hindi

New Project 56

अवधेश बाबू और निर्मला जी पुत्र उदित के साथ जब घर के द्वार पर पहुंचे तो बहू कनक सर पर पल्लू डाले आरती का थाल लिए उनके स्वागत को मुस्कुराती हुई खड़ी मिली। दोनों की आरती करने के पश्चात कनक ने उनके पांव छूते हुए उन्हें आदर सहित अंदर बुलाकर बिठाया। शीघ्र ही उन दोनों … Read more

नेह का बंधन – निभा राजीव “निर्वी”  : Moral Stories in Hindi

New Project 35

वीडियो कॉल पर भाई से बात करके फोन रखने के बाद अदिति की आँखे सावन भादो की तरह बरसने को आतुर हो गईं। छुट्टी ना मिल पाने के कारण भाई नहीं आ पाया रक्षाबंधन पर.. दोनों भाई बहन का मन भर आया लेकिन क्या कर सकते थे। वह इतना दूर ही था कि एक दिन … Read more

ममता – निभा राजीव “निर्वी” : Moral Stories in Hindi

New Project 48

सोफे पर बैठ नेलपेंट लगाते हुए सुषमा ने वरुण से पूछा, “- वरुण! शॉपिंग के लिए हम कब चल रहे हैं..?.. मुझे ढेर सारी शॉपिंग करनी है जाने के पहले…” वरुण ने लैपटॉप पर दृष्टि जमाए हुए ही कहा, “-अरे चलते हैं ना थोड़ी देर में…सोचा पहले मैं पेंडिंग काम तो निपटा लूं ऑफिस का…” … Read more

नया सवेरा – निभा राजीव “निर्वी”  : Moral Stories in Hindi

New Project 2024 05 05T225422.575

“-मालती मौसी, मेरा कुर्ता पाजामा निकाल दो ना..” प्रणव ने मालती को आवाज देते हुए कहा। “-अरे हां बेटा, निकाल दिया है और तुम्हारे कमरे में रख भी दिया है..”आह्लाद से भरकर मालती ने उत्तर दिया।      सुखद भावनाओं के उद्वेग और पुलक को संभाले मालती दौड़ दौड़कर सारे काम निपटा रही थी। आज उसकी खुशियों … Read more

अशांति – निभा राजीव “निर्वी” : Moral Stories in Hindi

New Project 50

दुल्हन बनी रचना सज संवरकर बैठी थी और 7 वर्षीय रोहन उसकी गोद में बैठा कभी उसकी चुनरी से खेल रहा था तो कभी कंगनों पर हाथ फेर रहा था। उसके हर्ष का पारावार नहीं था। उसके पापा उसके लिए प्यारी सी मांँ जो ले आए थे। माँ के प्यार को तरसता रोहन आनंद के … Read more

कलंक – निभा राजीव “निर्वी” : Moral Stories in Hindi

New Project 68

रात के 9:15 हो रहे थे। आंगन के दरवाजे में खटका होते ही रजनी ने आंगन की तरफ वाली खिड़की खोल कर देखी। विधवा जेठानी वैशाली अंदर घुसी थी और आंगन का दरवाजा बंद कर दिया और अपने कमरे की तरफ बढ़ गई। वितृष्णा से रजनी की भवें टेढ़ी हो गईं..’आ गई महारानी जी गुलछर्रे … Read more

प्यार के दो चार दिन – निभा राजीव “निर्वी” : Moral Stories in Hindi

New Project 65 1

प्रशांत ने जैसे ही कार्यालय में प्रवेश किया प्रतिदिन की भांति सदानंद बाबू उसे देखकर मृदुलता से मुस्कुरा दिए।  सदानंद बाबू इस कार्यालय के सबसे वरिष्ठ कर्मचारी थे। अब सेवानिवृत होने में उन्हें बस 4 महीने बचे थे, इसलिए कार्यालय में सभी उनका बहुत सम्मान करते थे। और उनका व्यवहार भी सभी के प्रति बहुत … Read more

कड़वाहट – निभा राजीव “निर्वी” : Moral Stories in Hindi

New Project 84

वर्तिका पिछले दस दिनों से मायके में ही थी। उसका उतरा हुआ और मायूस चेहरा देखकर उसके मां-बाप को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उस हुआ क्या है… कुछ पूछने पर भी वह बस हां हूं मैं टाल दिया करती थी। कुल 3 महीने ही तो हुए हैं उसके विवाह को..फिर … Read more

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