स्वयंसिद्धा – निभा राजीव निर्वी : Moral Stories in Hindi
विवाह की रौनक पूरे घर से छलकी पड़ रही थी। पूरा घर रिश्तेदारों से भरा पड़ा था। उत्सव का सा वातावरण हो आया था। वंदिता जी का उत्साह तो देखते ही बन रहा था, उनकी इकलौती बिटिया दुल्हन बनने जा रही थी। इस दिन को देखने के लिए उनके नयन न जाने कब से तरसे … Read more