सम्मान की सूखी रोटी – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi

 धर्मपाल और  अनीश्वर एक ही मोहल्ले में रहते थे। दोनों पड़ोसी थे। दोनों के मकान पास पास ही थे। दोनों दो विभाग में सर्विस करते थे। अंतर सिर्फ इतना था कि  अनीश्वर अपने दफ्तर का बॉस था, जबकि धर्मपाल अपने ऑफिस का बड़ा बाबू था। कभी- कभार किसी फंक्शन या पर्व त्यौहार के मौकों पर … Read more

औलाद के मोह के कारण वो सब सह गई। – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi

  मदन एक छोटा-मोटा किसान था। उस शहर से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर उसका गांव था। उसके पास थोड़ी सी जमीन थी, उसमें खेती बाड़ी का काम करता था। इसके साथ ही उसको चार-पाँच  गायें भी थी।जिसका दूध वह बेचता था। उससे भी कुछ आय हो जाती थी।    उसके दो पुत्र रविंद्र और संतोष … Read more

दिखावे की जिन्दगी – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi

  प्रीती और सुशांत की शादी हाल ही में हुई थी। नई-नई शादी के उमंग-उत्साह में सराबोर प्रीती अपने और अपने पति के संग विभिन्न आकर्षक मुद्राओं में खींचे गए फोटोग्राफ्स को कभी फेसबुक पर तो कभी व्हाट्सऐप पर निरंतर बिना किसी दिन नागा किए हुए डालती जा रही थी। इन तस्वीरों में दोनों नवविवाहित जोड़ी … Read more

*हरि* – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi

   सन्नाटे ने लीला के बढ़ते कदम को रुकने के लिए विवश कर दिया। ज्योंही वह अपनी कोठरी से बाहर निकली सुबह पौ फटते ही वह  कुम्हला उठी । उसने अपनी पैनी दृष्टि इधर-उधर दौड़ाई।अचानक उसकी नजर टकरा गई  छप्पर से लटकते पिंजड़े से उसका दिल धक् से रह गया।पिंजड़ा खाली पड़ा था फांसी पर लटकते … Read more

*सदाबहार* – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi

” उठो!.. जल्दी उठो!..” चारपाई पर सोई हुई जसोदा को उसके पति हरिहर ने उसे झिंझोड़ते हुए जगाया।   ” क्या हुआ?.. पागल  हो गये हो क्या? .. सुबह-सुबह..”   “ठेला गायब हो गया है, तुमको नींद सूझ रही है..”   “ऐं!.. ठेला नहीं है?.. कल शाम में तो घर के बाहर यहीं पर किनारे रखा हुआ था … Read more

घर टूटने पर आखिर हर बार बेटे-बहू को ही दोष क्यों दिया जाता है? – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi

   सुबह अंधेरे मुंँह उस दिन विपिन के घर में शोरगुल हो रहा था। उसके परिवार के सदस्य हर्षोल्लास के साथ यात्रा करने की तैयारी में मशगूल थे। विपिन की तीनों बेटियों को उसकी पत्नी कीमती नए डिजाइन की पोशाकें पहनाकर उन्हें सजाने  संवारने में लगी हुई थी। थोड़ी देर के बाद स्मृति स्वयं कीमती परिधान … Read more

पैसे का गरूर – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi

  सर्विस के लिए कई वर्षों तक भटकने, लिखित प्रतियोगी परीक्षाओं में असफल होने और साक्षात्कार की खानापूर्ति में शामिल होते-होते जब प्रणव थक गया तो उसके पिता जटाधार ने कह दिया कि तुम्हारी किस्मत में नौकरी नहीं है। उसकी शादी की उम्र भी निकलती जा रही थी इसलिए उसने उसकी शादी कर देने का निश्चय … Read more

विष उगलना – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi

  प्लेटफार्म पर ट्रेन के रुकते ही दुर्लभ अपनी प्रेमिका पर्णिका के साथ एक अटैची और बैग लिये हुए डिब्बे की ओर बढ़ने लगा कुछ कदम आगे बढ़ा ही था कि अचानक उसकी पत्नी तृप्ति आ धमकी उसने उसका रास्ता छेंकते हुए आक्रोश में कहा, “कहांँ भागे जा रहे हो हमको  छोड़कर मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड नहीं … Read more

कुछ गुनाहों का प्रायश्चित नहीं होता है। – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi

   रोगियों का गांवों में इलाज करके एक सप्ताह बाद जब चतुर्भुज एक युवती के साथ अपने घर में दाखिल हुआ तो उसकी पत्नी सौम्या के मन में कुछ अनहोनी की आशंका दस्तक देने लगी। उस वक्त वह खामोश रहते हुए अपने पति को सवालिया नजर से देखा तो उसने कहा, “यह  लड़की पेशेंट है इस … Read more

मैं अपने अहंकार में रिश्तों के महत्व को भूल गई थी। – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi

 अजेय अपने दफ्तर से छुट्टी लेकर अपनी पत्नी स्नेहा दोनों बच्चे धीर व साची के साथ अपनी छोटी साली प्रतिमा की शादी में शामिल होने के लिए ससुराल पहुंँचा । वहांँ घर में दाखिल होते ही अजेय, उसकी पत्नी और बच्चों ने भव्या(सासु मांँ) का चरणस्पर्श किया। उसने हल्की मुस्कान बिखरते हुए खुश रहने का … Read more

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