रिश्तों में दूरियां – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

कितने अरमानों से नीलिमा बहू को घर लाई थी । कितने अरमान संजोए थे बहू के , बहुत प्यार से रखूंगी , ऐसा कुछ नहीं होने दूंगी जैसा अन्य घरों में सुनाई देता है सास ने  ये कहा तो बहू ने ये जवाब दिया फिर तू-तू मैं-मैं। नहीं नहीं मैं ऐसा कुछ नहीं होने दूंगी।काहे … Read more

अपनों का साथ – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

आज ट्रेन में घर वापसी के लिए बैठी रूपाली की आंखों के सामने भाई की वो आंसुओं से भरी आंखें रूपाली क्या कोई भी बहन भूल नहीं पा रही थी ।और उनके कहे शब्द पता नहीं अब दोबारा कब मिल पाएंगे कानों में गूंज रहे थे। रूपाली और उसके तीनों और बहनें चाहकर भी भाई … Read more

आखिरी निर्णय – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

भाई कैसे हो , ठीक हूं और तू बता कैसा चल रहा है तू तो बेटे के पास गई थी न कब आई वहां से । हां भइया मैं आ गई वापस और आज एक निर्णय लिया है कैसा निर्णय ,यही कि अब मैं अपने घर पर रहूंगी ।घर पर रहोगी अकेले कैसे ? अकेले … Read more

सौभाग्य वती,चिढ़ होती है मुझे इस शब्द से – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

सौभाग्यवती हो , सौभाग्यवती रहो ये क्या हैं शुभम घर में मैं जब भी मम्मी या दादी के पैर छूती हूं यही सुनने को मिलता है।खुश रहो , हंसते मुस्कुराते रहो ये कोई क्यों नहीं कह सकता ।तो इसमें हर्ज ही क्या है सोनल ये तो बहुत अच्छी बात है कि तुम्हें बड़ों के पैर … Read more

विपत्ति में साथ देना – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

समधी जी आप शादी मत तोडना मैं बहुत बड़ी मुसीबत  फंस गया हूं।बारात वापस चली गई तो बेटी की बहुत बदनामी हो जाएगी ।मैं धीरे धीरे सब भरपाई कर दूंगा विनोद जी ने समधी सुभाष जी के पांव पकड़ लिए । अरे अरे विनोद जी ये आप क्या कह रहे हैं सबकुछ ठीक तो है … Read more

संयुक्त परिवार का प्यार – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

बेटा मेरा टिकट करवा दें मुझे अपने घर जाना है गोपाल जी बोले , अपना घर अब यही अपना घर है बाबूजी अखिल बोला किस घर जाने की बात कर रहे हो जहां आपका कुछ नहीं है ।न कोई अपना कहने को ।घर में बस न का  हिस्सा है बस कहने को दो छोटे छोटे … Read more

जीवन का सच – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

सुमन एकटक सामने पड़े पैसे और जेवर को देख रही थी ।पति राघव ने टोका क्या देख रही हो सुमन ये सब तुम्हारे लिए है ।ये जेवर जिसके लिए तुम हमेशा मुझको ताने मारती रहती थी कि कभी तुमने मुझे कुछ दिलाया ही नहीं।और हां किसी दिन चलना बैंक मां के कंगन निकाल लेना उससे … Read more

सुख-दुख है हमारे साथी – मंजू ओमर  : Moral Stories in Hindi

रितेश जी आपकी मम्मी का ब्रेन डेड हो गया है और बस वेंटिलेटर के सहारे से चल रही है , जैसे ही वेंटिलेटर हटाएंगे सब खत्म हो जाएगा अब कुछ नहीं बचा है इनके शरीर में आप घर ले जाइए डाक्टर बोला। सुनकर रितेश और प्रीतेश दोनों भाइयों को धक्का सा लगा ।प्रितेश बोला भइया … Read more

ससुराल में अपनी जगह बनानी पड़ती है – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

आज अवनि क्षितिज से झगड़ा करके मायके में आकर बैठ गई थी। क्षितिज बार बार फोन कर रहा था पर अवनि फोन नहीं उठा रही थी। शादी के समय बहुत सीधी साधी सी दिखने वाली अवनि शादी के बाद बात बात में तुनक जाती थी और मुंह फुलाकर बैठ जाती थी।और नहीं तो लोकल मायका … Read more

अपना घर – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

घर वापसी, आज मोहन जी जब सुबह सोकर उठे तो अपने आप को बहुत तरोताजा महसूस कर रहे थे। उठकर दैनिक क्रिया से निवृत्त होकर घर के बाहर टपरे पर चाय पीने निकल गए ।चाय का कप हाथ में लेकर चाय पीते पीते चाय वाले से बात भी करने लगे ।अरे राजू तू कब से … Read more

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