क्या करूं बहन मेरी तो तक़दीर ही फूटी है। – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

अरे क्या हुआ भाभी जी आप तो बेटा बहू के पास गई थी ,कब वापस आ गई।आप तो कुछ दिन रहने के लिए गई थी न । कुछ दिन क्या अब तो आपको उन्हीं के पास रहना चाहिए ।विजय भाई साहब की इतनी तबियत खराब रहती है कितना कितना तो उनका आपरेशन हो चुका है … Read more

अपने घर में रहूंगी – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

विमला जी ने अपना बिखरा सामान समेट कर बैग में रख लिया और अटैची में अपने कपड़े करीने से लगा दिए । टेबल पर रखी पति की फोटो भी उठा कर रख ली और बाहर निकल पड़ी । गार्ड को फ्लैट की चाबी दी और नारायण राय जी के साथ कैब से स्टेशन आ गई … Read more

 इंसान हूं रोबोट नहीं – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

आज आफिस से निकलने में श्रुति को पूरा एक घंटा लेट हो गया था । कुछ काम आ गया था जिसको पूरा करना था आज के ही आज बांस का आदेश था कि फाइल आज पूरी होनी चाहिए। फिर बाहर आकर बस पकड़ने में भी देरी हो गई क्योंकि रोज जो एक घंटे पहले बस … Read more

 आज बन पाई हूं सही मायने में इस घर की बहू और भाभी : मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

डोरवेल बजी तो प्राची ने दरवाजा खोला सामने अंकिता खड़ी थी । झटके से प्राची के गले लग गई भाभी भाभी,,,,,,,,,,,।इस अप्रत्याशित घटना से प्राची थोड़ा अचकचा गई क्योंकि अंकिता कभी प्राची को भाभी नहीं कहती थी। हमेशा नाम लेकर बुलाती थी और ताने देती रहती थी और तीखे शब्दों में ही प्राची से बात … Read more

मन की गांठें – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

आज शर्मा जी ने अपनी अंतिम सांसें ले ली।उनका पार्थिव शरीर कमरे में पड़ा था ।भरा पूरा परिवार था शर्मा जी का । पत्नी थी चार चार बेटे बहुएं थी ।एक बेटी थी जो अपने ससुराल में थी ।एक बेटे बहू को छोड़कर सब बेटे अलग-अलग रहते थे। सबसे बड़े बेटे ने कुछ लोगों को … Read more

समझौता अब और नहीं – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

ये लो ये दो पतले से बच्चे के सोने के कड़े यही भेजा है मीरा ने पैसे के बदले मां गायत्री के सामने बेटे विकास ने पोटली फेंक दी। आपके कहने पर दो लाख रूपए मैंने मीरा के पास भेज दिए हैं । नहीं देना था मीरा को जेवर तो न देती मैं तो पैसे … Read more

संयुक्त परिवार का सुख – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

यार रति तेरे यहां कितना अच्छा है न तेरी तीन तीन भाभियां है ,इतने सारे भतीजे भतीजियां है कितनी चहल-पहल रहती है न तेरे घर में ।मैं जब भी तुझसे मिलने आती हूं तेरी कोई न कोई भाभी चाय नाश्ता लेकर आ जाती है तुझे तो उठकर जाना भी नहीं पड़ता।और जब मैं तेरे घर … Read more

क्यों हो जाते हैं लोग इतने स्वार्थी – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

अपने आप बिस्तर से न उठ पाने की स्थिति में नर्मदा जी की बार बेटे को और पति को आवाज दे चुकी थी बाथरूम जाने के लिए लेकिन कोई सुन ही न रहा था । अपनी बेबसी पर खीज जाती नर्मदा जी और कह उठती है भगवान उठा क्यों नहीं लेता मुझे , बुला क्यों … Read more

मेरी आत्मा को तकलीफ़ देकर तुम कैसे खुश रह सकती हो – मंजू ओमर

अपने नन्ही पोती को देखकर सुमन की आंखों से आंसू बह निकले। क्या जिंदगी बना दी है भगवान तूने मेरी बच्ची को देखने को छूने को तरस रही हूं , उसकी एक मुस्कुराहट को तरस रही हूं। क्यों तूने मेरे सारे अरमानो पर पानी फेर दिया है। क्या कुसूर था मेरा और सुमन चेहरे को … Read more

 बाप से मुंह मोड़ लिया बच्चों ने – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

आज बद्रीनाथ जी की मृत्यु हो गई थी। बड़ा ही कष्टकारी जीवन था उनका। वहां मौजूद हर व्यक्ति कह रहा था बेचारे बद्रीनाथ जी की तो आज जिंदगी सुधर गई।हर वक्त भगवान को कोसते रहते थे कि सबको तो बुलाते हो अपने पास मुझे कब बुलाओगे, कबतक ये अंधकार मय जीवन जीता रहूंगा। भरा-पूरा परिवार … Read more

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