बालभोज – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

बालदिवस है कुछ खास करो वरिष्ठ शिक्षक रामप्रसाद जी ने बालदिवस आयोजन की मीटिंग शुरू होते ही उपस्थित छात्र प्रतिनिधियों की तरफ देखते हुए कहा। जी सर … वो …हम लोग भोज का आयोजन करना चाहते हैं जिसे हम बच्चे ही बनाएंगे छात्र प्रतिनिधि रोहित ने जल्दी से अपनी बात रखी। बहुत बढ़िया प्रस्ताव है … Read more

मूवी का टिकट – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

कम्मो आज केवल मां पिताजी का ही डिनर बनाना उनसे पूछ लो उन्हें क्या खाना है वहीं बना दो हम लोग बाहर जा रहे हैं राजन ने मेड के आते ही बताया। जी साब कहती कम्मो मांजी के पास पहुंच गई थी। अम्मा बताए दो क्या बना दूं खाने में आप और बाबूजी के लाने..कम्मो … Read more

मिट्टी के दीये – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

दिन भर घूम घूम कर दीवाली की  सारी खरीददारी करने के बाद  अरूणा थक गई थी।खरीददारी करना भी कितना कठिन काम होता है सबकी पसंद की चीजे सबकी फरमाइश की गिफ्ट्स दुकान दुकान जाकर  खरीदने में पसीने छूट जाते हैं ।ऊपर से दुकानदार भी हर सामान की ऊंची ऊंची कीमत वसूलना चाहते हैं त्यौहार आए … Read more

तानाबाना – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

सोच सोच कर प्रमुदित हो जाती थी मैं … बस अब जल्दी से बेटे की भी शादी कर दूं फिर मेरी जिम्मेदारियां खत्म हो जाएंगी ….वह दिन भी आया और खूब धूमधाम उत्साह से बेटे पृथु की शादी हो गई बहू प्रीति भी जैसा नाम वैसा स्वभाव। निश्चिन्त थी मैं अब ।बेटे की जॉब दिल्ली … Read more

बहुत व्यस्त हूं !! – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

अगले महीने विजय काका के बेटे विपिन की शादी है तुम्हे याद है ना .. ऑफिस से आते ही निशीथ ने प्रियल से कहा जो  कॉलेज से आते ही लैपटॉप लेकर बैठ रही थी। अगले महीने.!! नो निशीथ मैं बहुत व्यस्त हूं अगले महीने कॉलेज के सेमेस्टर एग्जाम हैं और मैं एग्जाम सुपरिटेंडेंट हूं मेरा … Read more

ये जीवन है… – लतिका श्रीवास्तव  : Moral Stories in Hindi

मम्मी जी बहुत हुआ …अब आपके इतने कठिन काम करने के दिन गए …चलिए हम लोगों के साथ रहिए अब आराम से नाती पोतों का सुख लीजिए…. पारस की चहकती हुई आवाज से सुधा चौंक गई।गहराती शाम में वह अपनी बुटीक शॉप के शटर गिरा रही थी तभी पीछे से अपने दामाद की आवाज सुन … Read more

Categories Uncategorized

गलफुल्लो – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

निम्मी बेटा आजा देख थाली लग गई है भूख लगी होगी जिद नहीं करते बेटा जल्दी आ….मां की लगातार आती आवाजों को अनसुनी करती निम्मी अपने कोपभबन से टस से मस नहीं हुई।पहले मुझे नया मोबाइल दिलाओ तभी खाना खाऊंगी गाल फुला कर चिल्ला उठी।अच्छा ठीक है मोबाइल दिला देंगे आज मेरी रानी बिटिया.. अबकी … Read more

प्रतिशोध पिता से – लतिका श्रीवास्तव   : Moral Stories in Hindi

गणपति बप्पा मोरिया….बप्पा को अपने हाथों में अपने कंधों में उठाए स्थापना के लिए घर ले जाते उत्साही भक्तों की बुलंद आवाजे आसमान छू रही थीं पटाखों की तेज आवाजें कान के पर्दे फाड़े दे रहीं थीं उमड़ता हुआ जनसमुदाय विशाल सड़कों को संकरी किए दे रहा था…। लेकिन कैब में बैठे अविनाश के कानों … Read more

कचरे का डिब्बा – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

मां देख मैं क्या लाया हूं.. वीनू ने चहकते हुए कहा तो मुनिया बर्तन रगड़ते पलट कर देखने लगी क्या है री इत्ता चहक रहा है देखा तो वीनू के हाथ में एक अधखाया सेब फल था जो सड़ गया था।कहां से लाया किसका जूठा है .. मुनिया हाथ का काम छोड़ कर खड़ी हो … Read more

मुफ्त की मार – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

सौरभ की शादी पक्की हो गई  पीयूष के बड़े चाचा का फोन आया था घर में बड़ा उत्साह व्याप्त था शादी में जाना था सबको। पीयूष ने मुझसे कहा सुन आलोक तू भी चल हम लोगो के साथ।यहां अकेला क्या करेगा आखिर सौरभ ने तुझे भी तो निमंत्रित किया है मेरा तो भाई है पर … Read more

error: Content is protected !!