उम्मीद की उजास – लतिका श्रीवास्तव 

#एक_टुकड़ा       “पांच हजार से एक रुपया कम नहीं लेंगे …..ओ बड़ी भाभी सुन लो,अपनी बिटिया के लिए तो नही किया अब अपनी देवरानी की बिटिया के लिए तो गांठ खोलो जल्दी ….कहां छुप कर बैठी हो बाहर आओ ….. हाय हाय बड़ी भाभी , हाय हाय बड़ी भाभी…”कमला के साथ अन्य सभी किन्नरों की … Read more

एक पिता ऐसे भी –  लतिका श्रीवास्तव #लघुकथा

……शादी की धूम धाम समाप्ति पर थी,मुझको  दो दिन हो गए थे ससुराल में आए हुए सुबह से लेकर शाम रात तक बहु देखने और मिलने वालों का तांता लगा हुआ था…अभी तक तो मैं अपने इस नए घर अपनी ससुराल के सभी कक्षों से ही परिचित नहीं हो पाई थी तो फिर घर के … Read more

बाबुल बादल प्रेम का हम पर बरसा आई – लतिका श्रीवास्तव

#पितृ दिवस पर मन के भाव इस बार कोई कहानी नहीं सीधे सीधे शब्दों में अपने श्रद्धेय पिता के बारे में अपने मन के ही भाव व्यक्त करने की कोशिश कर रही हूं मेरे पापा मम्मी उस विशाल वट वृक्ष की भांति हैं जिनकी अविरल अगाध स्नेहिल शीतल छाया और सुदृढ़ आधार ने हम सबको … Read more

गूंगी चीख – लतिका श्रीवास्तव

चित्रकथा मां… ओ मां  .. रूक जा …वो फिर चीखी… हृदय विदारक तीव्र चीख  ने  ट्रेन की पटरियों की ओर बढ़ते शालू के कदमों को त्वरित रोक  दिया!  ….ये तो उसी के अंदर से आती हुई आवाज है , वो घबरा सी गई,”कौन है “उसने थोड़ा डर और घबराहट से पूछा….”तेरी अजन्मी बच्ची हूं मां … Read more

मीठा घट – लतिका श्रीवास्तव

 सजा हुआ मीठा जल भरा घट…..आता जाता हर व्यक्ति आज उस सजे धजे मिट्टी के घड़ेमे भरे हुए शीतल जल को उसमे लगे हुए नल से जरूर पी रहा  था…… विनय उसमे पानी भरते हुए सोच रहा था बाबूजी कितना सही कहते है , मनुष्य का जीवन भी माटी के घट जैसा ही तो है,जब … Read more

मेरी संजीवनी बूटी – लतिका श्रीवास्तव : Short Moral Stories in Hindi

 लक्ष्मण जी की मूर्च्छा को जीवन देने वाली संजीवनी बूटी थी मां ,और मैं जानता हूं प्रिया की संजीवनी बूटी मां आप सब हो….अविनाश अपनी सास यानी प्रिया की मां से  बहुत आत्मीयता से मोबाइल में बात कर रहा था…इतने में प्रिया ने पीछे से आकर हंसकर कहा अच्छा जी तो फिर तुम्हारे हनुमान बनने … Read more

वाह – लतिका श्रीवास्तव

“वाह वाह आपका गला भी इतना अच्छा है ये तो आज ही पता चला….”अब बताओ भला ये भी कोई तारीफ हुई !!अरे भई गला सुरीला होता है मधुर होता है अगर गाने की तारीफ कर रही हो ,अच्छा गला मतलब तो सुडौल गला सुंदर गला हुआ ना ! सौरभ ने उसकी ग़ज़ल गायकी की तारीफ … Read more

एक रुकी हुई ज़िंदगी – लतिका श्रीवास्तव 

उससे मिलने गई तो देखती ही रह गई उसे,क्या ये वही सुनीता है जिसे एन आईटी संस्थान में प्रवेश करवाने का गर्व हमारे एनजीओ अभी तक भुना रहे हैं….मुझे देख कर पहचान ही नही पा रही थी,निष्प्रभ निस्तेज चेहरा,डार्क सर्कल वाली निराश रिक्त सी आंखे जिनमें कभी आसमान की ऊंचाइयां नापने की बेशुमार ख्वाहिशें थीं,अशक्त … Read more

तुम्हारे लिए व्रत – लतिका श्रीवास्तव 

आज वट सावित्री पर्व है…. सुमित घर के आंगन में शांत अविचल विशाल वटवृक्ष के नीचे खड़ा था… खड़ा क्या था खोया था यादों में मानो कल की ही बात हो….सुधा को ,अपनी पत्नी को महसूस कर रहा था उसे यकीन ही नहीं हो रहा था की सुधा अब इस दुनिया में नहीं है …सारे … Read more

सच्चा साथ – लतिका श्रीवास्तव 

  नई नवेली दुल्हन मानसी  सौरभ के साथ जैसे ही अपनी सासू मां सुनंदा देवी के चरण स्पर्श करने के लिए झुकी ,सुनंदा देवी ने अपने पैर तत्क्षण तेजी से पीछे हटा लिए यह सौरभ की तेज नजरों से अछूता नहीं रहा….मानसी की खूबसूरत आंखों के अनमोल  आंसू उसके हाथो के आश्वासन भरे स्पर्श से पलकों … Read more

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