गरम चिमटा – लतिका श्रीवास्तव : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : नमिता बहुत व्यथित थी आज…..कुंठित सी हो रही थी आपने आप में… ये अक्सर मेरे साथ ही क्यों होता है….क्या सोचती हूं और क्या हो जाता है…! हर बार स्वयं को लानत भेजती हूं …हर बार ये संकल्प दुहराती हूं … कि अब किसी से कुछ नही कहूंगी जिसको जो … Read more

 डर पर जीत – लतिका श्रीवास्तव

आज भी ट्रेन लेट होती जा रही थी…..पानी पीने के लिए बॉटल निकाली ही थी कि हाथ से छूटकर गिर गई उठाने के लिए झुकी ही थी कि किसी ने बॉटल देते हुए …..प्रणाम मैम”…. कहते हुए पैर छू लिए तो शमिता चकित हो गई!कौन है ?का स्वाभाविक प्रश्न उसकी आंखों में पढ़ते हुए सामने … Read more

  वो घुंघरूं की छुन…छुन.. – लतिका श्रीवास्तव

 #जादुई_दुनिया … छुनन…. छूनन…. छुन….. छुन की धीमी आवाज क्रमश: तेज होने  लग  गई थी…..और उसके साथ ही मेरे दिल की धड़कनें भी……!अब तो मैं थोड़ा डरी कही सही में तो कोई चुड़ैल नही है !!!!आज तो मेरी खैर नहीं थी …..मैने फिर हिम्मत करके कदम आगे बढ़ाए आवाज और तेज हो गई…प्रतीत हुआ मानो … Read more

सपने में भी नहीं सोचा था – लतिका श्रीवास्तव

सुबह सुबह मोबाइल बज उठा मिताली जी ने जल्दी से चश्मा ढूंढ कर आंखों में लगाया हड़बड़ी में ठीक से लग ही नहीं पा रहा था फिर मोबाइल ऑन किया तो उनके पोते तुषार का फोन था…..” हेलो हां बेटा ….सब ठीक तों है ना!…..क्या कह रहे हो  ये तो मैने सपने में भी नहीं … Read more

 कत्थई आंखों के ख्वाब – Short Story In Hindi

फिर वही ख्वाब…..मिताली अपनी ही डरावनी आवाज़ से जागकर बिस्तर पर उठ कर बैठ गई…… …..एक कमरा  छोटा सा…. चारों तरफ से बिल्कुल बंद  जिसका केवल एक ही छोटा सा दरवाजा है…..काफी नीची छत है …..एक भी रोशनदान नहीं है… घुप अंधेरा….. उसमें एक लड़की  है उसका पूरा चेहरा अस्पष्ट सा है केवल उसकी  कत्थई … Read more

मीठी सी मिट्ठी – लतिका श्रीवास्तव

मम्मा मम्मा…. देखो ना मेरी फ्रेंड ने मुझे ब्लॉक कर दिया अचानक कल तक तो सब ठीक था अभी सुबह मैने देखा तो ब्लॉक!!!!अब मैं क्या करूं आप ही बताओ इससे बात किए बिना मैं एक दिन तो क्या एक घंटे भी मैं नहीं रह सकती ….. अत्यधिक परेशान कुहू के बोलने पर शुभा की … Read more

गलत को गलत कहने की हिम्मत -लतिका श्रीवास्तव

आज फिर  पड़ोस से जोर जोर से किसी बच्चे और उसकी मां के रोने की आवाजे सुनाई दे रही थीं, शुभ्रा को ऐसा रविवार नही चाहिए था…आवाजे जब करुण रूदन सी चुभने लगी तब उसकी सहन शक्ति जवाब दे गई पतिदेव के टोकने पर भी कि रुको उनके घर का मामला है उसका पति आज … Read more

उम्मीद की उजास – लतिका श्रीवास्तव 

#एक_टुकड़ा       “पांच हजार से एक रुपया कम नहीं लेंगे …..ओ बड़ी भाभी सुन लो,अपनी बिटिया के लिए तो नही किया अब अपनी देवरानी की बिटिया के लिए तो गांठ खोलो जल्दी ….कहां छुप कर बैठी हो बाहर आओ ….. हाय हाय बड़ी भाभी , हाय हाय बड़ी भाभी…”कमला के साथ अन्य सभी किन्नरों की … Read more

एक पिता ऐसे भी –  लतिका श्रीवास्तव #लघुकथा

……शादी की धूम धाम समाप्ति पर थी,मुझको  दो दिन हो गए थे ससुराल में आए हुए सुबह से लेकर शाम रात तक बहु देखने और मिलने वालों का तांता लगा हुआ था…अभी तक तो मैं अपने इस नए घर अपनी ससुराल के सभी कक्षों से ही परिचित नहीं हो पाई थी तो फिर घर के … Read more

बाबुल बादल प्रेम का हम पर बरसा आई – लतिका श्रीवास्तव

#पितृ दिवस पर मन के भाव इस बार कोई कहानी नहीं सीधे सीधे शब्दों में अपने श्रद्धेय पिता के बारे में अपने मन के ही भाव व्यक्त करने की कोशिश कर रही हूं मेरे पापा मम्मी उस विशाल वट वृक्ष की भांति हैं जिनकी अविरल अगाध स्नेहिल शीतल छाया और सुदृढ़ आधार ने हम सबको … Read more

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