दिली सुकून – लतिका श्रीवास्तव

ये आप किसी और को नही वरन अपने आपको बहला रहे हैं…..धोखा दे रहें हैं….ये रुपए आपकी तनख्वाह के नहीं है ना..!ये ऊपरी कमाई या कमिशन ईमानदारी की कमाई कैसे बन सकते हैं….!.आज की दुनिया अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति हेतु भले ईमानदारी की नई परिभाषाएं गढ़ रहीं हैं……!लेकिन गलत बात सही नहीं हो सकती!…..शिवानी … Read more

और अहम पिघल गया – लतिका श्रीवास्तव 

..”मैं इस हॉस्पिटल का चीफ सर्जन भी हूं और बेस्ट सर्जन भी हूं…..मेरे कारण ही इसकी साख है लोकप्रियता है…..मेरा नाम सुनकर ही लोग यहां आते हैं…..मेरे बिना इसका कोई अस्तित्व नहीं है और आप सभी का भी …. लोग सिर्फ और सिर्फ मुझसे ही सर्जरी करवाने आते हैं….”डॉक्टर विक्रम बोलते बोलते सांस लेने के … Read more

अपने लिए टाइम…! – लतिका श्रीवासत्व

..आहा कल से कितना सुकून मिलेगा …. प्रिया सुखद कल्पनाओं में खोई हुई थी …. दोनों बच्चों की स्कूल trip है दो दिनों की…..उसके पति अनुराग का भी अचानक ऑफिस टूर आ गया है….कल सुबह सुबह ही तीनों को जाना है….फिर तो दो दिन मेरे है….! मेरे अपने लिए…! … उफ्फ!!कितना काम रहता है उसकी … Read more

अपमान का प्रतिकार – लतिका श्रीवास्तव

..और मोबाइल बज उठा…….लपक के अंजली ने उठाया .. हां हां बेटा आलोक …अच्छा… हे भगवान तेरा लाख लाख शुक्रिया …अच्छा बेटा मैं तो तैयार ही बैठी हूं .. तू आ जा साथ में चलेंगे….! थोड़ी ही देर में बाहर से जोर जोर से हॉर्न की आवाज़ सुन कर अंजली लगभग दौड़ते हुए आई और … Read more

कर्तव्य क्षेत्र – लतिका श्रीवास्तव

वो अवाक खड़ी थी जैसे कोई बेजान मूर्ति हो…। मैंने गुरु दीक्षा ले ली है आज….उन्होंने मुझसे कहा। तो..! मेरा मन  जिज्ञासा जाहिर करने ही वाला था कि जवाब आ गया..”इसलिए आज ये मेरा अंतिम दिन है इस घर में ….गुरु जी के ही आश्रम में आश्रय ढूंढ लिया है मैंने… अब मृत्यू पर्यंत समाज … Read more

प्रयासों का इंद्रधनुष – लतिका श्रीवास्तव 

..” अरे अरे ठीक से मुंह खोल कर बोलो !जोर से बोलो..!हल्ला तो बहुत जोर से करते हो अभी आवाज़ ही नहीं निकल रही है….”..आस्था कक्षा 9 के छात्र सोहन से पूछ रही थी जो प्रश्न का जवाब नहीं दे पा रहा था …मुंह बंद करके खड़ा था…! मैडमजी मुंह में तो गुटखा है इसके … Read more

 खुद्दारी –  लतिका  श्रीवास्तव

कल से मयंक तुम्हें सुपरवाइज करेगा…..बॉस अभय ने जैसे ही किशन से कहा..किशन अपनी जगह खड़ा रह गया था!…लेकिन बॉस मयंक तो अभी नया ही है मुझसे जूनियर है ….आपने उसका प्रमोशन कर दिया !!!उसने पूछना चाहा था क्यों??क्यों मेरा प्रमोशन नहीं किया ….!!मैं तो पिछले दो वर्षों से पूरी ईमानदारी से इस कम्पनी के … Read more

खिला खिला मन – लतिका श्रीवास्तव 

.सभी को खाना खिलाने के बाद सुमी अपने लिए भी थाली लगा रही थी….ये उसका रोज का नियम था सबको गरम गरम खाना खिलाने के बाद ही वो खुद खाना खाती थी ….. वर्षों से यही नियम चला आ रहा था …पर आज अचानक उसे अपना मन कुछ बुझा बुझा सा प्रतीत हो रहा था…जाने … Read more

 वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी – लतिका श्रीवास्तव

वो सुनहरे बचपन के दिन बरबस ही सजीव हो उठते हैं… जब बारिश की झड़ी लगती है…जगह जगह पानी भर जाता है ..तब मेरा मन अपनी बचपन की उसी टीचर्स कॉलोनी में पहुंच जाता है और उन छोटी छोटी कागज़ की बनाई नावों को ढूंढता है जो मैं बचपन में अपने घर के आस पास … Read more

मासूम रिश्ता – लतिका  श्रीवासत्व

बारिश की भीगी भीगी फुहार….ठंडी हवाओं की शोखियां….नीर भरे सांवरे कजरारे मेघों की मीठी आंख मिचौलियां…… उजली उजली धुली धुली सी फिज़ा…..मोहक  खुशमिजाज अलमस्त मौसम ….मन उत्साह और नई स्फूर्ति से भर गया।पहले तो मन किया आज वॉकिंग पर ना जाऊं …आराम से अदरक तुलसी की चाय और पकोड़े के साथ बरसात का आनंद लूं….. … Read more

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