अपने लिए टाइम…! – लतिका श्रीवासत्व

New Project 89

..आहा कल से कितना सुकून मिलेगा …. प्रिया सुखद कल्पनाओं में खोई हुई थी …. दोनों बच्चों की स्कूल trip है दो दिनों की…..उसके पति अनुराग का भी अचानक ऑफिस टूर आ गया है….कल सुबह सुबह ही तीनों को जाना है….फिर तो दो दिन मेरे है….! मेरे अपने लिए…! … उफ्फ!!कितना काम रहता है उसकी … Read more

अपमान का प्रतिकार – लतिका श्रीवास्तव

New Project 34

..और मोबाइल बज उठा…….लपक के अंजली ने उठाया .. हां हां बेटा आलोक …अच्छा… हे भगवान तेरा लाख लाख शुक्रिया …अच्छा बेटा मैं तो तैयार ही बैठी हूं .. तू आ जा साथ में चलेंगे….! थोड़ी ही देर में बाहर से जोर जोर से हॉर्न की आवाज़ सुन कर अंजली लगभग दौड़ते हुए आई और … Read more

कर्तव्य क्षेत्र – लतिका श्रीवास्तव

New Project 48

वो अवाक खड़ी थी जैसे कोई बेजान मूर्ति हो…। मैंने गुरु दीक्षा ले ली है आज….उन्होंने मुझसे कहा। तो..! मेरा मन  जिज्ञासा जाहिर करने ही वाला था कि जवाब आ गया..”इसलिए आज ये मेरा अंतिम दिन है इस घर में ….गुरु जी के ही आश्रम में आश्रय ढूंढ लिया है मैंने… अब मृत्यू पर्यंत समाज … Read more

प्रयासों का इंद्रधनुष – लतिका श्रीवास्तव 

New Project 43

..” अरे अरे ठीक से मुंह खोल कर बोलो !जोर से बोलो..!हल्ला तो बहुत जोर से करते हो अभी आवाज़ ही नहीं निकल रही है….”..आस्था कक्षा 9 के छात्र सोहन से पूछ रही थी जो प्रश्न का जवाब नहीं दे पा रहा था …मुंह बंद करके खड़ा था…! मैडमजी मुंह में तो गुटखा है इसके … Read more

 खुद्दारी –  लतिका  श्रीवास्तव

कल से मयंक तुम्हें सुपरवाइज करेगा…..बॉस अभय ने जैसे ही किशन से कहा..किशन अपनी जगह खड़ा रह गया था!…लेकिन बॉस मयंक तो अभी नया ही है मुझसे जूनियर है ….आपने उसका प्रमोशन कर दिया !!!उसने पूछना चाहा था क्यों??क्यों मेरा प्रमोशन नहीं किया ….!!मैं तो पिछले दो वर्षों से पूरी ईमानदारी से इस कम्पनी के … Read more

खिला खिला मन – लतिका श्रीवास्तव 

New Project 56

.सभी को खाना खिलाने के बाद सुमी अपने लिए भी थाली लगा रही थी….ये उसका रोज का नियम था सबको गरम गरम खाना खिलाने के बाद ही वो खुद खाना खाती थी ….. वर्षों से यही नियम चला आ रहा था …पर आज अचानक उसे अपना मन कुछ बुझा बुझा सा प्रतीत हो रहा था…जाने … Read more

 वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी – लतिका श्रीवास्तव

वो सुनहरे बचपन के दिन बरबस ही सजीव हो उठते हैं… जब बारिश की झड़ी लगती है…जगह जगह पानी भर जाता है ..तब मेरा मन अपनी बचपन की उसी टीचर्स कॉलोनी में पहुंच जाता है और उन छोटी छोटी कागज़ की बनाई नावों को ढूंढता है जो मैं बचपन में अपने घर के आस पास … Read more

मासूम रिश्ता – लतिका  श्रीवासत्व

New Project 98

बारिश की भीगी भीगी फुहार….ठंडी हवाओं की शोखियां….नीर भरे सांवरे कजरारे मेघों की मीठी आंख मिचौलियां…… उजली उजली धुली धुली सी फिज़ा…..मोहक  खुशमिजाज अलमस्त मौसम ….मन उत्साह और नई स्फूर्ति से भर गया।पहले तो मन किया आज वॉकिंग पर ना जाऊं …आराम से अदरक तुलसी की चाय और पकोड़े के साथ बरसात का आनंद लूं….. … Read more

बेचारी शैली – लतिका श्रीवास्तव

New Project 2024 04 29T211239.414

सन्डे की अलसायी सुकून भरी सुबह की अभी आंख भी नहीं खुल पाई थी कि मैन गेट की खड़ खड़ ने मीता को बिस्तर छोड़ने पर मजबूर कर दिया….हालांकि उसने वेट किया था कि शायद राजन उसके पति की नींद खुल जाए और वो दरवाजा खोल दें!!पर व्यस्त सप्ताह का आराम तलब संडे अपनी नींद … Read more

गरम चिमटा – लतिका श्रीवास्तव : Moral stories in hindi

New Project 34

Moral stories in hindi  : नमिता बहुत व्यथित थी आज…..कुंठित सी हो रही थी आपने आप में… ये अक्सर मेरे साथ ही क्यों होता है….क्या सोचती हूं और क्या हो जाता है…! हर बार स्वयं को लानत भेजती हूं …हर बार ये संकल्प दुहराती हूं … कि अब किसी से कुछ नही कहूंगी जिसको जो … Read more

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