परिवार ही सबसे बड़ी जमापूंजी है – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

 रमा जी के लिए यह दिन विशेष रूप से कठिन था। उनके पति रात में घर में अचानक गिर पड़े थे, और डॉक्टर ने बताया कि उनकी पैर की हड्डी में फ्रेक्चर है। उम्र के इस पड़ाव पर एक छोटी सी चोट भी बड़ी मुश्किल बन जाती है, और वे अकेले अपने पति की देखभाल … Read more

सच्चे रिश्ते प्यार, सम्मान और समझ पर टिके होते हैं – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

  आज नीता की शादी थी। नीता ने जब से अपनी दुल्हन की जोड़ी पहनी थी, तब से उसके चेहरे पर चमक और मुस्कान थी, लेकिन मन में कुछ हल्का सा डर भी था, जो हर दुल्हन के मन में होता है—अपने मायके से विदा होने का, एक नये घर में कदम रखने का। नीता के … Read more

“नज़ाकत रिश्तों की” – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“कान खोल कर सुन लो तुम दोनों! नीमा और दामाद जी राखी पर आ रहे हैं कोई कमी ना होनी चाहिए!और बहू जी तुम? तुम तो अपनी कंजूसी अपने घरवालों के लिए ही बचा के रखना !मेरी बेटी की आवभगत खूब अच्छी तरह होनी चाहिए बस!” मयंक तुम आज ही जाके बैंक से पैसे निकाल … Read more

सिर्फ बहू से बेटी बनने की उम्मीद क्यों? – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“लो बहूरानी संभालो अपना राजपाट! ,और मुझे छुट्टी दो इस जंजाल आज से  इस घर की मालकिन तुम!” मुझे तो तुम्हारा ही इंतज़ार था कि कब आओ और इस घर गृहस्थी के झंझट से निजात पाकर मैं भी सुकून की सांस ले सकूं! भगवान ने हमें बेटी नहीं दी पर आज तुम्हारे आने से हमारे … Read more

“ये बंधन तो प्यार का बंधन है” – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

” करण! जल्दी कर जीजी की फ्लाईट का टाइम हो रहा है”?नयन ने गाड़ी निकालते हुए कहा! बाकी दोनों बहनें भी लपक कर गाड़ी में जा बैठीं। दरअसल वो सब साथ रहने का एक मिनट भी कम नहीं होने देना चाहते थे । क्रिसमस की छुट्टियां शुरू होने ही वाली थी कि करण और नयन … Read more

“अपने तो अपने होते हैं” – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“उमा! सुनो ग्रीन लेबल टी तो मंगा ली ना, जीजी वही पीती हैं!” “क्यूँ परेशान हो रहे हो? मैंने जीजी की पसंद की हर चीज़ जो जो तुमने बताई सब मंगा ली हैं” उमा ने हंसते हुए विजय से कहा? विजय की बड़ी बहन आज बरसों बाद एक हफ़्ते के लिए रहने को आ रही … Read more

“इंतहा स्वार्थ की” – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“देखो बेटा। मैं अब अगले महीने रिटायर होने वाला हूँ। बहुत दिनों से अम्मा के मोतियाबिंद का आपरेशन टाल रहा था कि ऑफिस से छुट्टी पाऊंगा तो आराम से करा दूंगा। घर का खर्च तो मेरी पेंशन में जैसे तैसे हो ही जाएगा। मैं ये चाहता हूँ कि तुम भी अब घर के खर्चे में … Read more

ससुराल वाले अपनी बेटी की चिंता करेंगे या बहू की-बहू तो दूसरे की बेटी है – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“इना!करवा नहीं भेजा तुम्हारी माँ ने?”करवा चौथ के दिन इना की सास सुनीता जी इना के मायके से आए बायने का समान फैलाकर बैठी थीं! इना-“मम्मी जी!माँ ने चेक भेजा है कि अपनी पसंद का चाँदी का करवा मंगा लें, कोरियर में खोने का डर था”, “हाँ पर चेक में पानी भर कर अर्ग देगी … Read more

“जाने कहाँ गए वो दिन” – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

देविका जी उम्र के आठवें शतक में अपने आलीशान मकान के बरामदे में अकेली बैठी बाहर होती घनघोर बारिश देख रही थी!बिजली चमकने और बादलों की घड़घड़ाहट से उनका बूढ़ा शरीर डर के मारे रह रह कर कांप जाता! आंघी की वजह से लाईट भी चली गई थी! बैठे बैठे उनका मन अतीत के गलियारे … Read more

कभी खुशी -कभी गम – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“सुनो जी एक बात कहूं!विभा ने डरते डरते अपने पति महेश से कहा!” “जल्दी कहो जो कहना है टाइम नहीं है मेरे पास?”झुंझलाकर. महेश ने जवाब दिया! “वो सिया की सहेली मीना है ना उसके चाचा का लड़का मुम्बई की एक कंपनी में इंजीनीयर है!” विभा के आगे कुछ कहने से पहले महेश गुर्रा कर … Read more

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