आत्मसम्मान की जीत – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

चंद्रकांत और विमला जी की दो बेटियां थी। बड़ी मालिनी और छोटी नलिनी। छोटी को सब प्यार से नीलू कहते थे। चंद्रकांत जी इतना कमा लेते थे कि आराम से घर चल जाता था। फालतू खर्च और अधिक सुख सुविधाएं नहीं थीं।  एक बार मालिनी को ऐसा बुखार आया कि जाते-जाते मालिनी को भी साथ … Read more

बाबुल का दिल – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

“रंजना ,ओ रंजना! सुनो जरा जल्दी इधर आओ भई।”नरोत्तम जी खुशी से चहकते हुए बोले।  रंजना -“हां हां बोलिए क्या हुआ? बड़े खुश दिख रहे हैं।”  नरोत्तम-“मुंह मीठा करवाओ। गुप्ता जी ने हमारी अनुराधा के लिए बहुत अच्छा रिश्ता बताया है।”  रंजना -“गुप्ता जी? वही जो रिश्ते करवाते हैं?”  नरोत्तम-“हां हां वही”  रंजना -“रिश्ता बताया … Read more

घर लौट जाओ – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

25 वर्षीय माधुरी अपने पति के ऑफिस से आने से पहले ही शाम के धुंधलके में घर से निकल पड़ी और ऑटो से रेलवे स्टेशन पहुंच गई। वहां पर मुंबई जाने वाली ट्रेन खड़ी थी। पूछने पर पता लगा, ट्रेन के चलने में अभी काफी समय है।       माधुरी चुपचाप जाकर एक बेंच पर बैठ गई। … Read more

हक खो दिया है – गीता वाधवानी  : Moral Stories in Hindi

पूनम और विवेक, मध्यम वर्गीय मध्यम आय वाले पति पत्नी। एक बेटा गौरव और बिटिया सुरभि। एक खुशहाल परिवार। विवेक का सपना था कि वह भविष्य में गौरव को उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजे और सुरभि को भी खूब पढ़ा लिखा कर आर्थिक रूप से मजबूत बनाए और फिर दोनों की शादी भी अच्छे … Read more

झूठी इज्जत – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

मीनाक्षी दोपहर  बाद राजमा उबलने के लिए रख ही रही थी कि तभी डोर बेल बजी। वह जल्दी से कुकर गैस पर रखकर दरवाजा खोलने गई। दरवाजे पर उसके जेठ नंदलाल और जेठानी मंदिरा खड़ी थी।  उसने दोनों को अंदर आने के लिए कहा। अंदर आने पर उसने उनके पांव छुए और बैठने के लिए … Read more

हिटलर मत बनो – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

आज से लगभग 20 वर्ष पहले सुगंधा का विवाह सुनील से हुआ था। सुगंधा एक छोटे से शहर से मुंबई जैसे बड़े शहर में विवाह उपरांत आ गई थी। वह बहुत सीधी और संस्कारी थी। उसने अपने बड़ों से यही सीखा था कि पलट कर जवाब नहीं देना चाहिए और यदि सामने वाला बहुत गुस्से … Read more

चांद पर दाग  – गीता वाधवानी   : Moral Stories in Hindi

अपनी बेटी साक्षी को विवाह के उपरांत विदा करके रवि अंदर आकर रोने लगा।  उसकी मां जानकी ने कुर्सी पर बैठते हुए  रवि को अपने पास बिठाया और समझाने लगीं -” पगले, आजकल तो लड़कियां भी विदाई के समय रोती नहीं है और तू और तेरी साक्षी कितना रो रहे थे और तू तो अभी … Read more

जहरी – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनको दूसरों के मामलों में टांग अढ़ाने की आदत होती है और कुछ लोग इधर की बात उधर करने में माहिर होते हैं और वह भी मिर्च मसाला और चाट मसाला डालकर। ऐसी ही औरत थी जहरी देवी।  उनके घर के सामने वाले घर में सुशीला और प्रमिला रहती थी। … Read more

जीवन की वास्तविकता – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

कौशल्या देवी ने पति के गुजर जाने के बाद बड़ी कठिनाइयों  से अपने बेटे नरेश को पढ़ा-लिखा कर बड़ा किया था। बेचारी पढ़ी लिखी तो थी नहीं, जो उसे कोई नौकरी देता।उसे झाड़ू पोछा, बर्तन कटका का ही काम मिला। खुद अनपढ़ थी पर बेटे को पढ़ाना चाहती थी। कई बार सोच कर रो पड़ती … Read more

जीत ना सकी – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

पुराने जमाने में अक्सर ऐसा होता था कि परिवार में बच्चों की संख्या अधिक होती थी, जैसे की 5 -6 भाई बहन या फिर 7- 8 भाई बहन आपस में होते थे। और कई बार ऐसा भी होता था कि सबसे बड़े भाई या बहन के विवाह में सबसे छोटा भाई या बहन गोद वाली … Read more

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