जहरी – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

New Project 80

कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनको दूसरों के मामलों में टांग अढ़ाने की आदत होती है और कुछ लोग इधर की बात उधर करने में माहिर होते हैं और वह भी मिर्च मसाला और चाट मसाला डालकर। ऐसी ही औरत थी जहरी देवी।  उनके घर के सामने वाले घर में सुशीला और प्रमिला रहती थी। … Read more

जीवन की वास्तविकता – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

New Project 49

कौशल्या देवी ने पति के गुजर जाने के बाद बड़ी कठिनाइयों  से अपने बेटे नरेश को पढ़ा-लिखा कर बड़ा किया था। बेचारी पढ़ी लिखी तो थी नहीं, जो उसे कोई नौकरी देता।उसे झाड़ू पोछा, बर्तन कटका का ही काम मिला। खुद अनपढ़ थी पर बेटे को पढ़ाना चाहती थी। कई बार सोच कर रो पड़ती … Read more

जीत ना सकी – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

New Project 86

पुराने जमाने में अक्सर ऐसा होता था कि परिवार में बच्चों की संख्या अधिक होती थी, जैसे की 5 -6 भाई बहन या फिर 7- 8 भाई बहन आपस में होते थे। और कई बार ऐसा भी होता था कि सबसे बड़े भाई या बहन के विवाह में सबसे छोटा भाई या बहन गोद वाली … Read more

एक टुकड़ा रोटी – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

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अखिल और राजेश आज अपने बेस्ट फ्रेंड विवेक की शादी में आए हुए थे। उसकी सगाई में भी दोनों ने बहुत इंजॉय किया था और खूब डांस किया था।  वे लोग शादी में भी सुबह तक रुकना चाहते थे लेकिन अगले दिन सुबह अखिल की ऑफिस में एक अर्जेंट मीटिंग थी, पहुंचना जरूरी था। इसीलिए … Read more

“मां “अभागन नहीं होती – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

New Project 95

“बापू बापू उठो, देखो, जागो, उठो ना, मुन्ना कितना रो रहा है। उसके लिए बाजार से दूध ले आओ या फिर मुझे पैसे दो,मैं लेकर आती हूं।”8 साल की रानी ने सुबक कर हुए अपने पिता से कहा।     पर उसके पिता काशीलाल को होश ही कहां था। नशे में बड़बड़ाता हुआ, रानी को धक्का देकर … Read more

हमारी बहू महिमा – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

New Project 70

राजन ने घर आकर शाम की चाय अपनी पत्नी रीना के साथ पीते पीते उससे कहा-“कह देना, अपने साहबजादे से कि मैंने उसके लिए एक सुंदर ,पढ़ी लिखी योग्य लड़की विवाह करने के लिए ढूंढ ली है। जब उसके पास समय हो हमें बता दे, उनके घर चलेंगे बात करने और साहब जादे भी लड़की … Read more

टूटते रिश्ते जुड़ने लगे – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

New Project 47

रात का खाना खाते समय रेवती बहुत चुप चुप थी। एकदम शांत और गंभीर, पर उसके भीतर एक बहुत बड़ा तूफान करवटें ले रहा था। रेवती समझ नहीं पा रही थी कि वह सही सोच रही है या गलत। उसे गहरी सोच में डूबे देख कर उसके पति राघव ने पूछा -“क्या बात है रेवती, … Read more

मेरी बेटी मेरा गुरूर – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

New Project 50

प्रदीप जी तैयार होकर ऑफिस के लिए निकलने ही वाले थे कि तभी उनका दोस्त रजत अचानक उनसे मिलने आ गया। उसे देखकर प्रदीप जी खुश हो गए और अपनी पत्नी रमा से बोले-“रमा, जल्दी से दो कप कॉफी बना दो।”तभी रजत जी बोले -“प्रदीप, मैं तो वैसे ही मिलने चला आया था, कॉफी के … Read more

बड़ा बेटा – गीता वाधवानी Moral Stories in Hindi

New Project 40

छोटा भाई जितेंद्र उर्फ जीतू गुस्से में अपने बड़े भाई नरेंद्र के सामने रखी सेंटर टेबल पर कागज पटकते हुए बोला-“साइन कर दीजए।”  नरेंद्र ने पूछा -“क्या है यह?”  जीतू इस सवाल के लिए तैयार नहीं था इसीलिए हड़बड़ा गया और घबराकर बोला-“मैं अपने बिजनेस के लिए बैंक से लोन लेना चाहता हूं। उसी के … Read more

सुखी बुढ़ापा -गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

New Project 58

शशिकांत जी पार्क से सैर करके वापस आए तो देखा कि उनकी माताजी आंगन में कुर्सी पर बैठी है। उन्होंने अपनी माता जी के चरण स्पर्श किए और उन्ही के पास दूसरी कुर्सी खिसका कर बैठ गए और उनका हाल चाल पूछने लगे। वे लगभग प्रतिदिन ऐसाही करते थे। तभी बच्चों की स्कूल वैन उन्हेंलेने … Read more

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