कौन अपना- कौन पराया – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

एक क्षणिक आस और गोद मे लिये अपने आठ माह के रानू के साथ उर्मि बदहवास सी हॉस्पिटल के खाली पड़े कॉरिडॉर में चक्कर पे चक्कर लगा रही थी।इतना बड़ा हॉस्पिटल,पर उसमें सन्नाटा पसरा पड़ा था।उर्मि के सामने ही उसके सागर को सामने वाले रूम में ले जाया गया था।उसके बाद कही से कोई जवाब … Read more

सच से सामना – बालेश्वर गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

 माँ, मुझे दो दिन यहां आये हुए हो गये हैं, मैं देख रही हूं,भाभी तुम्हारा कोई विशेष ध्यान  नही रखती है।मुझे ये अच्छा नही लग रहा।         अरे नहीं,सुशी बेटी,ऐसा नही है,माधवी मेरा पूरा ध्यान रखती है।वो तो तुम आयी हुई हो ना,इसलिये काम बढ़ गया है, वह इसी में लगी रहती है।फिर इससे हम माँ … Read more

तारणहार – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

नहीं पापा नहीं, मैं सपने में भी ऐसा नही सोच सकती।पापा, राजीव अब भी मुझमें जीवित हैं, मैं उसका वजूद अपने दिल दिमाग शरीर मे हरदम महसूस करती हूं।       बेटी,देख तीन वर्ष हो गये, राजीव के जीवित रहने की कोई आशा नहीं।तुम्हारे सामने पूरा जीवन पड़ा है,बेटी मैंने इसीलिये कहा तुम दूसरी शादी कर लो।जहां … Read more

नारी का पुरुषार्थ – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

   रवि,क्या मेरी एक बात मान लोगे?        बोलो ना,सुमन तुम जो कहोगी मैं करूँगा।        देखो मैंने ये प्राइवेट रूप में इंटर करने के लिये फॉर्म मंगवाया है, इसे भर कर भेजना है।सब पुस्तके मैं मंगवा दूंगी, पर पढ़ना तो पड़ेगा।बाद में एग्जाम होंगे।देखना तुम निश्चित रूप से सफल होंगे।फिर मैं हूँ ना।       क्या तुम चाहती हो … Read more

*निःशब्द रिश्ते* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 भाई रमेश तुमने नोट किया,जबसे माँ बीमार पड़ी है, तब से नयना ने यहां जल्दी जल्दी आना शुरू कर दिया है।         बस सुरेश तुमने कह दिया जबकि मेरे मन मे ये बात पहले से ही थी।         माँ के तो अब चला चली के दिन है,ये घर और प्लाट पिता छोड़ कर गये हैं।नयना कहीं हिस्से … Read more

घर का चिराग – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

   बाबूजी,एक बार केवल एक बार मुझे स्वीकार कर लो।मैं जिंदगी से हार गया हूं,मुझे सहारा दे दो बाबूजी मुझे अपना लो बाबूजी।कह कर चिराग फूट फूट कर रोने लगा।       निर्विकार भाव मे खड़े आनंद स्वरूप जी अपने बेटे का अंतर्नाद सुन अंदर तक कांप गये।असमंजस में अंदर उमड़े स्नेह प्यार के भावों को प्रकट कर … Read more

बदलता जमाना – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  माँ जी, हिचक छोड़ मुझे नौकरी करने की इजाजत दे दे।अब पहले वाला जमाना नही रहा है, माँ जी अब लड़कियां भी हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है।और अपने परिवार में सहयोग कर रही हैं।         वो सब मैं भी जानती हूं पर बेटी हमारे खानदान में महिलाएं नौकरी नही करती।अब तू ही बता,तू तो … Read more

स्वाभिमान – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  एक बात बोलूं राजीव,मैं चाहती हूं हम अपने घर मे अपने कस्बे में ही शिफ्ट कर ले।मेरा मन यहां नही लगता।मुन्ना के स्कूल की बस तो अब वहां भी आने लगी है,हमारा मुन्ना अब स्कूल बस से स्कूल आ सकता है।         अचानक शिवि के मुख से ये बात सुन राजीव हक्का बक्का रह गया।शिवि क्या … Read more

*हत्या एक विश्वास की* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

     अमावस की रात, कड़ाके की ठंड दिसंबर का सर्द महीना, सब अपने अपने घरों में रजाइयों में लिपटे बंद, ऐसे घनेरे अंधेरे में सन्नाटे को चीरती रुदन की आवाज ने पूरी गली को झकझोर दिया।कोई न कोई तो अनहोनी हुई है, तभी तो इतनी सर्दी में भी यह रुदन।गली के अधिकांश लोगों की निद्रा के … Read more

आशियाना – बालेश्वर गुप्ता   : Moral Stories in Hindi

  जानती हो गुड़िया की माँ,हमारी गुड़िया सचमुच में लक्ष्मी है,इसका घर मे आना हुआ उधर मालिक ने बहुत कम कीमत पर वो छोटा सा प्लाट दे दिया।अब हम धीरे धीरे अपना घर बना लेंगे।हमारी गुड़िया बहुत भागवान है,री।      अरे ये तो बहुत ही अच्छा हो गया।अब हमारा भी घर हो जायेगा।कब से अपने घर का … Read more

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