जीत या हार – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

        मेरे पास एक पोस सोसायटी में एक अच्छा खासा फ्लैट था,मुझे इस फ्लैट में कोई दिक्कत भी नही थी।यह फ्लैट मेरे बेटे ने खरीदा था,उसने इसे खूब अच्छे से फर्निश करा रखा था।सबसे अच्छी बात यह थी इसी फ़्लैट में उसने एक खूब सुंदर मंदिर भी बनवाया था।मुझे मंदिर में बैठकर पूजा करना काफी सुकून … Read more

*खुलना ग्रंथि का* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

           अरे अदिति अपने अस्तित्व को पहचानो,जब हर पल कचौटा जाता है, अपमानित किया जाता है तो फैसला तो तुम्हे लेना ही पड़ेगा।        तुम ठीक कह रही हो सपना।फैसला तो करना ही पड़ेगा।तुम मेरी बचपन की सखी हो,इसीलिये तुमसे अपने मन की हर बात शेयर कर लेती हूँ, इससे मेरा मन भी हल्का हो जाता है। … Read more

पूर्णमासी की रजनी – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

अरे तेजू ये क्या तेरी बिटिया है?       हां, बाबूजी मैं बापू की बिटिया ही हूँ।बापू आज घर पर ही खाने का टिफिन भूल बआये थे,इसीलिए मैं टिफिन ले आयी।      अच्छा किया बेटा।तुम तो पढ़ी लिखी लगती हो?      हां,बाबूजी पढ़ी लिखी तो हूँ,इंटर पास किया है,मैंने, आगे भी पढ़ना चाहती थी,पर पढ़ न सकी,बी.ए. प्राईवेट करूँगी। … Read more

*इंतजार* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

       पता नही यह सज्जू कितनी देर में आयेगा।प्यास के मारे गला और होंठ सूखे जा रहे हैं।भगवान अपने पास भी तो नही बुला रहा।         पलंग पर पड़े पड़े ओमप्रकाश जी,अपने नौकर सज्जू पर खीझ रहे थे,उसे बाजार भेजा था,आ जाना चाहिये था,पर काफी देर हो गयी थी,आया नही।उन्हें जोर से प्यास लगी थी,पर पानी देने … Read more

अपने तो अपने होते हैं – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 देख छोटू तुझे किसी बात की चिंता करने की जरूरत नही है।रात में तेरी भाभी राज के पास   रुक जाया करेगी और दिन में मझले की घराली सुमन रहेगी।और हम सब हैं ना,तू काहे फिकर करे है।        आशीष ने अपने बड़े भैय्या के बोल सुनकर उनके कंधे पर अपना सिर रख लिया और सुबक … Read more

कौन अपना- कौन पराया – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

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एक क्षणिक आस और गोद मे लिये अपने आठ माह के रानू के साथ उर्मि बदहवास सी हॉस्पिटल के खाली पड़े कॉरिडॉर में चक्कर पे चक्कर लगा रही थी।इतना बड़ा हॉस्पिटल,पर उसमें सन्नाटा पसरा पड़ा था।उर्मि के सामने ही उसके सागर को सामने वाले रूम में ले जाया गया था।उसके बाद कही से कोई जवाब … Read more

सच से सामना – बालेश्वर गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

 माँ, मुझे दो दिन यहां आये हुए हो गये हैं, मैं देख रही हूं,भाभी तुम्हारा कोई विशेष ध्यान  नही रखती है।मुझे ये अच्छा नही लग रहा।         अरे नहीं,सुशी बेटी,ऐसा नही है,माधवी मेरा पूरा ध्यान रखती है।वो तो तुम आयी हुई हो ना,इसलिये काम बढ़ गया है, वह इसी में लगी रहती है।फिर इससे हम माँ … Read more

तारणहार – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

नहीं पापा नहीं, मैं सपने में भी ऐसा नही सोच सकती।पापा, राजीव अब भी मुझमें जीवित हैं, मैं उसका वजूद अपने दिल दिमाग शरीर मे हरदम महसूस करती हूं।       बेटी,देख तीन वर्ष हो गये, राजीव के जीवित रहने की कोई आशा नहीं।तुम्हारे सामने पूरा जीवन पड़ा है,बेटी मैंने इसीलिये कहा तुम दूसरी शादी कर लो।जहां … Read more

नारी का पुरुषार्थ – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

   रवि,क्या मेरी एक बात मान लोगे?        बोलो ना,सुमन तुम जो कहोगी मैं करूँगा।        देखो मैंने ये प्राइवेट रूप में इंटर करने के लिये फॉर्म मंगवाया है, इसे भर कर भेजना है।सब पुस्तके मैं मंगवा दूंगी, पर पढ़ना तो पड़ेगा।बाद में एग्जाम होंगे।देखना तुम निश्चित रूप से सफल होंगे।फिर मैं हूँ ना।       क्या तुम चाहती हो … Read more

*निःशब्द रिश्ते* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 भाई रमेश तुमने नोट किया,जबसे माँ बीमार पड़ी है, तब से नयना ने यहां जल्दी जल्दी आना शुरू कर दिया है।         बस सुरेश तुमने कह दिया जबकि मेरे मन मे ये बात पहले से ही थी।         माँ के तो अब चला चली के दिन है,ये घर और प्लाट पिता छोड़ कर गये हैं।नयना कहीं हिस्से … Read more

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