स्वयं की कीमत का समझना – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 अरे अंशू पिछले एक सप्ताह से  तुम ऑफिस आ ही नही रहे हो, क्या बात है?सब ठीक तो है हाँ अंकल सब ठीक है,वो मैंने आपकी वाली कंपनी को छोड़ दिया है,त्याग पत्र कुरियर कर दिया है,मिल जायेगा। लेकिन बात क्या हुई?अगर वेतन की बात है तो मैं डायरेक्टर साहब से बात करता हूँ,तुम  कल … Read more

किस्मत मुट्ठी में – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

मेरी बात मान ले यशोदा, जब खसम ही दगा दे गया तो तू भी किसी के साथ बैठ जा।कम से कम तेरा तथा इस नन्ही जान का पेट तो भरता रहेगा। क्या कह रही हो बुआ,आदमी लंपट निकल गया तो क्या मैं भी वेश्या बन जाऊं?ऐसे ही किसी के साथ बैठ जाऊं।बुआ भगवान ने पेट … Read more

सुहानी पवन – बालेश्वर गुप्ता   : Moral Stories in Hindi

पापा पापा, क्या मम्मी कभी नही आयेंगी, भगवान के घर ही रहेगी? हाँ मेरी बच्ची,तेरी मां को भगवान ने अपनी बेटी बना लिया है ना,वो अब नही भेजेंगे।पर तू ऐसा क्यों पूछती है, मैं हूँ ना। पर पापा, सब ऐसा क्यूँ कहते हैं, मैं पैदा होते ही माँ को खा गयी?भला बच्चे माँ को खाते … Read more

नमकहराम – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 1960 के दशक में मेरे घर मे काम करने के लिये मेरे पिता ने दुर्गा नामक अधेड़ व्यक्ति को नियुक्त किया था।मेरे पिता का ईंटो के भट्टो का व्यापार था,सामाजिक होने के कारण घर पर काफी लोगो का आवागमन रहता था, इसलिये मेरे पिता ने अपने विश्वासपात्र दुर्गा को भट्टे पर मजदूरी करने से हटाकर … Read more

भेड़ की खाल में भेड़िया – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

अंकल आपको शर्म आनी चाहिये।पापा आप पर कितना विश्वास करते हैं, और आप—-?छी.. मुझे तो आपसे घिन आ रही है।खबरदार जो आप  अब मेरे पास आये ।         रोहित को चिंता थी,अपनी बड़ी होती बेटी शुभ्रा की।जब तक वह उनके पास रह कर पढ़ रही थी तो वे बेफिक्र थे, पर जब अब वह अपनी उच्च … Read more

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दुराव – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

पीछे से भैय्या भैय्या की जानी पहचानी आवाज सुन शंकर ठिठक कर रुक गया, अरे ये आवाज तो पलक की है।शंकर का अनुमान सही था,पलक ही शंकर को पुकार रही थी। शंकर भैय्या, मैं कब से आपको ढूंढ रही हूं,रुआँसी पलक  बोली।क्या बात है,पलक,सब ठीक तो है,परेशान सी लग रही हो? शंकर और मनु दोनो … Read more

नियति का रंग – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 देखो मनीष,कुसुम मेरी बहू है,पर जब वह वंश बढ़ाने में सक्षम नही है,मुझे पोता नही दे सकती,मां ही नही बन सकती तो कुछ तो सोचना पड़ेगा ना।वह घर मे रहे मुझे आपत्ति नही,पर तुझे दूसरा ब्याह करना ही पड़ेगा।समझ रहा है ना तू? मैं सब समझ रहा हूँ माँ, तुम्हारा आशय यह है कि जिस … Read more

जिंदगी रोबोट सी – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

बेटी अब ससुराल ही तेरा घर है, मायके में तो तू मेहमान है-यही कहा था ना माँ। जिसके साथ गठबंधन कर रिश्ता जोड़ा था, वह तो हर दूसरे दिन चोटी पकड़कर घर से निकल जाने की धौंस देता है, बता ना मां तू किस घर की बात कर रही थी? क्या ऐसा ही होता है … Read more

आशंकित आंखे – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 भैय्या मैंने आपका सूटकेस ऊपर के कमरे में रख दिया है,आप और भाभी वही आराम करना। अरे ठीक है अन्नू,अपना घर है,कही भी कैसे भी रहे,क्या फर्क पड़ता है।बाबूजी के जाने के बाद उनकी याद तो यहां आकर आती ही है, पर अन्नू तेरा प्यार और सम्मान पाकर यहाँ अपनापन लगता है।      बंसीधर जी के … Read more

अपना अपना धर्म – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

अपना नाम सुन वीरेन ठिठक गया।दरवाजा खुला था,सो पहले की तरह वह अंदर चला गया।धीरेंद्र अपनी पत्नी को समझा रहा था, देखो वीरेन की नौकरी भी कोविड के समय चली गयी है, इस समय बेरोजगार है,जरूरतमंद है,पता नही मिलते ही क्या डिमांड कर दे,मैं तो इसीलिये उससे मिलने से कतराता हूँ।ध्यान रखना मेरे पीछे आये … Read more

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