जीवन का सवेरा (भाग -6) – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

“मोहतरमा तभी इतनी इठलाती किचन के अन्दर गई थी”, रोहित कैफ़े के बाहर जाकर बोर्ड देखकर अंदर आता है और जोर से हँसते हुआ बोलता है, “आरुणि कैफे बड़े बड़े अक्षरों में लिखा है। मैंने कभी देखा ही नहीं, मेरे जैसे लोग आँख होते हुए भी अंधे होते हैं।” “और दिमाग होते हुए भी कमअक्ल”… … Read more

मेरे हमसफ़र – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

लंच ऑवर में शिक्षिका दीया अपना लंच खोलकर बैठी ही थी कि सासु माँ का कॉल आ गया क़ि ससुर जी के सीने में दर्द हो रहा है। दीया सासु माँ को सांत्वना देती डब्बा बंद क़र प्रधानाध्यापक को वस्तुस्थिति से अवगत कराती मौखिक छुट्टी लेकर आनन-फानन में स्कूटी स्टार्ट क़र घर की ओर दौड़ी … Read more

जीवन का सवेरा (भाग – 5) – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

आरुणि रोहित को भावनाओं में गुम हुआ देख़ टेबल थपथपाते हुए “नोक नोक” बोल रोहित को ख्यालों की दुनिया से बाहर लाती है, “रोहित कहाँ खो गए थे, मैंने कुछ पूछा है तुमसे”… आरुणि ने चिंता और परेशानी के भाव से उससे पूछा। वह रोहित की परेशानी जानने के लिए उत्सुक थी, जबकि रोहित की … Read more

जीवन का सवेरा (भाग – 4) – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

“जब तक चाय आती है, अपने बारे में बताओ रोहित। दोस्त के बारे में कुछ तो मालूम होना ही चाहिए।” रोहित के फिर से बैठते ही आरुणि कहती है। “करेक्ट.. फिर हम सब भी चाय के साथ अपना अपना परिचय देंगी।” तृप्ति आरुणि के कथन पर स्वीकृति की मुहर लगाती हुई कहती है। रोहित सबको … Read more

जीवन का सवेरा (भाग – 3) – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

रोहित वहाँ से उठकर आरुणि और उनकी सहेलियों के साथ चलते हुए बोला, “सच कह रही थी योगिता, मन बहुत शांत लग रहा है। हृदय शांति सुकून से भर गया है।” उसके चेहरे पर एक गहरे आनंद और शांति की मुस्कान थी, जो उसके मन की स्थिति को प्रकट कर रही थी। उसके वचनों में … Read more

जीवन का सवेरा (भाग – 2) – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

आरुणि शीशे से रोहित को जाता हुआ देखती हुई बुदबुदाती है, “कन्फ्यूजड है ये बंदा। महादेव की इच्छा हुई कि इसका दिमाग संतुलित हो जाए तो फिर से यही भेज देंगे.. आरुणि कैफे.. आरुणि से मिलवाने”…जी हाँ.. बिल्कुल सही सुना आपने.. ये आरुणि का कैफे है… इसीलिए वो हमेशा यहाँ मिलती है। रोहित होटल में … Read more

जीवन का सवेरा (भाग – 1) – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

आसमान में मद्धम मद्धम चमक रहे सूरज के साथ बारिश की बूँदों से नहाया रोहित जल्दी जल्दी पैर बढ़ाता कैफे के सामने रुकता है। रोहित खुद से भागने की कोशिश में पचमढ़ी आया था, खुद के बारे में रोहित की यही सोच है। छींकते हुए रोहित को एक अदद गर्म कॉफी की तलब हो रही … Read more

प्रेम का बंधन – आरती झा आद्या  : Moral stories in hindi

“भैया ये घर मत बेचो, अंकल यहीं रहते थे, वो अभी भी यहीं हैं। जब तक मैं हूॅं, घर की देख रेख करुॅंगा। आप इसके लिए मुझे कोई मेहनताना मत देना, बस जब तक मैं यहाॅं हूॅं, अंकल की यादों को मत बेचो।” उमंग बार बार रोते हुए विजय के दोनों बेटों अभिनव और अभिषेक … Read more

मन का तकरार – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

यह तो बिल्कुल मेरे जीवन की ही कहानी है। पत्रिका में छपी एक कहानी पढ़ते पढ़ते नीना खो सी गई थी, शादी के तेईस साल बाद भी उसके पति भी तो इसी तरह हर बात में “दिक्कत है तो अपना रास्ता देख लो”, कहते हिचकते नहीं है और वो तनाव से भर उठती है और … Read more

रिश्ते को भी रिचार्ज करना पड़ता है (भाग-5) – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi

वह उन्हें देखते हुए मुस्कराते हुए कहती है, “क्या हो गया, सबके हाथ रुक क्यों गए। हाँ, रसोई के साथ-साथ जीवन को भी नमक मिर्च के सही अनुपात के साथ बनाना काफी महत्वपूर्ण होता है। जीवन में सामाजिक, आर्थिक और नैतिक पहलुओं को सही रूप से संतुलित रखा जाना चाहिए, क्यों नवीन गलत कह रहे … Read more

error: Content is protected !!