गहरा रिश्ता – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

जाने किस घड़ी में इसे पसंद किया था, मेरी तो मति ही मारी गई थी जो मै इसे बहू बनाकर लाई, एक काम भी ये ढंग से नहीं करती है, पता नहीं कैसे घर संभालेंगी? इसके तो खुद के ही काम नहीं होते हैं।’ मंजुला जी बड़बड़ कर रही थी, लेकिन सोनिया पर कोई असर … Read more

“रिश्तों की अहमियत” – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

सोनिया अपनी मां साधना के साथ गर्मियों की छुट्टियों में अपनी दादी के घर आई थी। 13 वर्षीय सोनिया बहुत चंचल और मासूम थी, लेकिन अपने बचपने और कम उम्र के कारण कभी-कभी चीजों को पूरी तरह समझ नहीं पाती थी। दादी के घर की गर्माहट और अपनापन उसे अच्छा तो लगता था, लेकिन दादी … Read more

मुझे किसी पुरूष का सहारा नहीं चाहिए – अर्चना खंडेलवाल  : Moral Stories in Hindi

बहुत दिन हो गये थे, शिखा ने अपनी मौसी की बेटी को फोन लगाया, लेकिन फोन व्यस्त आ रहा था तो शिखा ने फोन रख दिया, बीस मिनट बाद वही से फोन आया। कैसी हो रीमा दीदी? आप तो आजकल बहुत व्यस्त रहती हो, अपनी बहन से बात करने की ही फुर्सत नहीं है, शिखा … Read more

भाग्यहीन – अर्चना खंडेलवाल  : Moral Stories in Hindi

क्या कहा? इस बार भी बेटा हुआ है, बड़ी नसीब वाली है, हमारी मीना, जो इसके होने के बाद चार बेटे और हो गये, हमारा तो जीवन सफल हो गया, ईश्वर ने एक बेटी और चार बेटे दे दिए, अब तो हमारा कुनबा और बढ़ेगा, सुरेश नानाजी जी ने पूरे गांव में लड्डू बंटवाये और … Read more

एक ही बेटी है। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

सुबह से ही सुधा की मां कांता जी बहुत खुश थी कि आज उनके कलेजे की कौर वापस घर आयेगी, वो सुबह से ही पकवान बनाने में जुटी हुई थी। उसकी पसंद का सारा खाना बना दिया, और पलकें बिछाकर उसका इंतजार करने लगी।  अभी तक भी नहीं आई वो बरामदे में बेचैनी से चहलकदमी … Read more

बहू आते ही सास की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

अरे!! घर में इतनी शांति कैसे हैं? मुझे तो लग रहा है कि तुम दोनों सास-बहू में आज कुछ तो हुआ है, दमयंती काकी जानबूझकर मन को कुरेदते  हुए बोली तो सावित्री जी सब समझ गई और वो ज्यादा बात को तूल नहीं देना चाहती थी। सब कुछ भुलाकर उन्होंने अपनी बहू राखी को आवाज … Read more

सौभाग्यवती बनी रहो – अर्चना खंडेलवाल  : Moral Stories in Hindi

“मम्मी, मुझसे ये रोज-रोज साड़ी नहीं बंधती है, पर मम्मी जी की जिद है कि जब तक दादी जी गांव नहीं चली जाती, मुझे साड़ी पहननी है, ये भी कोई बात हुई, मम्मी जी भी ना कितने पुराने विचारों की है, मुझे तो लगा था कि मुझे मॉर्डन सास मिली है, नव्या शिकायती लहजे में … Read more

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बेटा, हम तेरे परिवार का हिस्सा नहीं है। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

सुधीर फोन नहीं उठा रहा है? मैंने सुबह से कितने फोन कर दिये, आज तो रविवार है, आज की आने की कहकर गया था, और अभी तक भी आया नहीं, भारती जी ने हांफते हुए कहा तो उमेश जी ने उनका हाथ पकड़ाकर बैठा दिया, ये दरवाजे पर बार-बार चक्कर लगाने से सुधीर नहीं आ … Read more

बेटा, तूने घर-वापसी में बहुत देर कर दी। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

बेटा, सब कुछ रख तो लिया, कुछ छूट तो नहीं गया? गीता जी ने भारी मन से पूछा, और अपने आंसू छुपा लिए। हां, मम्मी सब कुछ रख लिया  है, आप फ्रिक मत कीजिए, फिर कोई सामान छूट भी गया तो, बाहर से नया खरीद लूंगा, वैसे भी हमारे शहर में इस शहर से अच्छी … Read more

मेरा आत्मसम्मान मुझे प्यारा है। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

मधु, कहां हो ??? मेरी शर्ट नहीं मिल रही है, कब से चिल्ला रहा हूं, तुम्हें कुछ समझ नहीं आता है क्या?? रोहित गुस्से से बड़बड़ाता हुआ, कमरे से बाहर आया और अंदर चला गया। ड्राइंग रूम में बैठे मधु के सास- ससुर चाय पी रहे थे, ससुर जी के चेहरे पर कुटिल मुस्कान छा … Read more

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