मुझे सासू मां के पास ले चलो। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

पूर्वा यहां बॉलकोनी में क्यों बैठी हो? और सारे घर में अंधेरा कर रखा है, मम्मी कहां पर है? मानव ने ऑफिस से आकर पूछा तो पूर्वा कुछ नहीं बोली और बॉलकोनी से एकटक नीचे देखती रही। तब तक मानव कपड़े बदलकर आ चुका था, वो पूर्वा को बांहों में भरते हुए बोला, क्या हुआ? … Read more

सासू मां इतना पैसे का गुरूर भी ठीक नहीं है। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

रितु, ‘ये क्या लाई है अपने मायके से ? तेरी मां कभी कुछ ढंग का देती ही नहीं है।  पुराने बक्से में से साड़ी निकालकर दे दी।  ऐसी साड़ी तेरी मां ही पहनती होगी, मेरे यहां तो कोई नहीं पहनेगा… तुझे क्या अपने ससुराल के स्टेटस का जरा भी ख्याल नहीं है ? जो तू … Read more

अब दर्द सहा नहीं जाता। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

शिरीष तुम्हारे मौजे यही पर रखे हैं और तुमने मुझे पुरे घर में घुमा दिया, एक मौजें भी तुमसे संभाल कर नहीं रखे जाते हैं, आजकल तुम भुलक्कड़ हो गई हो, शिरीष ने तंज कसा और तैयार होने लगा। ये सुनकर स्वाति को बड़ा बुरा लगा, उम्र तो ज्यादा नहीं थी, पचास की पार होने … Read more

ढलती सांझ में तो आराम चाहिए। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

सुधा आज क्या चाय नहीं मिलेगी? किशोर जी ने बिस्तर से आवाज लगाई, कोई आवाज नहीं आने पर वो खुद ही पलंग से उतरकर रसोई की ओर चले गये, रसोई में चिमनी चल रही थी और उनकी आवाज से बेपरवाह होकर सुधा जी तवे पर परांठे सेंक रही थी। उन्होंने फिर दोहराया, आज चाय नहीं … Read more

बहू के पल्लू नहीं रखने से घर की इज्जत नहीं चली जाती – अर्चना खंडेलवाल   : Moral Stories in Hindi

ये क्या बहू !! तू बिना सिर पर पल्लू रखें, घर के बाहर चली गई, बहू घर की इज्जत होती है, ये तेरा शहर नहीं है, जहां कुछ भी चलता है, ये गांव है और आस-पास सारे रिश्तेदार रहते हैं, पुराने पड़ौसी है, वो बिना पल्लू के देखेंगे तो क्या सोचेंगे कि सुमित्रा ने अपनी … Read more

बहू बड़ा दिल रखो। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

रश्मि जब से शादी करके ससुराल आई थी, तब से उसने एक बात समझ ली थी कि इस घर में पत्ता भी उसकी ननद आशी की मर्जी से हिलता था, आशी की शादी हुए अभी दो साल हो गये थे, पर एक ही शहर में रहने के कारण वो कभी भी आ धमकती थी, और … Read more

बहू अब मै भी अपने पैरों पर खड़ी हूं। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

ये क्या!! डिब्बे में दो लड्डू रखे थे, दोनों खत्म हो गये !! अभी थोड़ी  देर पहले तो मैंने देखे थे।  मीनल ने गुस्से मे कहा…  वो रसोई से बाहर निकली तो देखा उसकी सास के कमरे की लाइट जल रही थी, वो धीरे से कमरे में पहुंची और उनके हाथ में एक लड्डू देखकर … Read more

हमारी भाभी – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

दरवाजे की घंटी बजती है, कूरियर वाला आया है, मैंने दरवाजा खोला तो वो मुझे कार्ड दे गया, मैंने उत्सुकतावश कार्ड देखा, और खुशी से मां से कहा कि, ‘मोनू भैया की शादी का कार्ड आ गया है, मां झट से बोली इस की भी शादी हो रही है, विश्वास नहीं होता। इतनी तो उम्र … Read more

दोनो बेटे मां को भीख मांगने स्टेशन पर छोड़ आयें…. – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

भगवान के नाम पर कुछ दे दें बेटी! दो दिन से कुछ नहीं खाया है, विभा की नजर उस बूढ़ी अम्मा पर पड़ी तो वो सिहर गई, इस उम्र में भी उनको भीख मांगनी पड़ रही है, वो अपना पर्स खोलती कि इससे पहले ही ट्रेन चल पड़ी, लोकल ट्रेन से वो रोज इसी रास्ते … Read more

मां तो सिर्फ पैसे वाले बेटे की होती है……. – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

सुरभि दीदी अभी कहां जा रही हो? बाहर बहुत बारिश हो रही है, अभी अंदर आ जाओ, मीना बाई ने जाती हुई मालकिन को रोका। आप काम करो मै देव दर्शन करके आती हूं,बस पांच मिनट में आ रही हूं, सुरभि स्कूटी स्टार्ट करके जाने लगी। मगर दीदी, इस वक्त सड़क पर बहुत फिसलन है, … Read more

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