अभागी माँ – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

पल्लवी जी अपने पति प्रकाश जी के साथ डॉक्टर के केबिन में बैठी डॉक्टर के मुँह से रिपोर्ट सुनने के लिए व्याकुल थीं । डॉक्टर के चेहरे पर असमंजस और परेशानी के भाव देखते हुए पल्लवी जी ने पूछ ही लिया,…”सब ठीक तो है न डॉक्टर साहब ? डॉक्टर ने पानी पीते हुए कहा…”आपकी रिपोर्ट … Read more

औपचारिकता – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

संध्या जी की दोनो बेटियाँ जया और प्रिया एक ही शहर बनारस में ब्याही हुई थीं । ईश्वर की दया से दोनो दामाद वैभव और नितिन स्वभाव से बहुत अच्छे थे । एक बेटा शिवम जो दोनों बहनों से छोटा है ।  उसकी पत्नी साक्षी जो बहुत ही मेहनती और स्वभाव व विचारों से बिल्कुल … Read more

गृहलक्ष्मी – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

नेहा  और अजीत जुड़वा भाई-बहन थे । दोनो  एक ही स्कूल में साथ पढ़ते थे ।स्कूल सिर्फ दसवीं कक्षा तक था । आज ही रिजल्ट निकला था, अच्छे नम्बरों से पास हुई थी नेहा और उसका भाई अजीत बस किसी तरह पास हो गया था । अपने रईस दोस्तों को देखकर अजीत ने ज़िद ठानी … Read more

किटी पार्टी – अर्चना सिंह  : Moral Stories in Hindi

आज की सुबह बहुत अलसायी हुई, सुस्त सी महसूस हो रही थी ।  मधु ने सोचते हुए झट से खिड़की के पर्दे को हटाया । एक तो आज इतवार भी था, और आज ही उसे देर तक सोने का मन भी था । न जाने क्यों आज स्कूल वाले समय पर आँखें खुल गईं ।  … Read more

प्रेमकड़ी – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

नीलू अपने पति शिशिर को खाना देकर तैयार ही हो रही थी कि उसके फोन पर   कॉल आया । नीलू ने  शिशिर को कहा..”शिशिर ! जरा देखिए  किसका फोन है, मैं तैयार हो रही हूँ । शिशिर ने खाना शुरू कर दिया था । फिर नीलू ने कॉल उठाया तो देखा, मम्मी का कॉल … Read more

तुम्हारे जैसी बहन भगवान किसी को न दे – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

” तनु बेटा !  मिठाई खिलाने के साथ – साथ राखी बाँधते समय वचन दो अपने भाई जय को कि कभी उसे किसी परिस्थिति में अकेले नहीं छोडोगी । राखी सिर्फ बांधने का नाम नहीं , निभाने का भी वचन है । ये सब बातें बोलते हुए तनु की मम्मी सीमा की आँखें नम और … Read more

अपनापन का ढोंग क्यों ..? – अर्चना सिंह   : Moral Stories in Hindi

दो दिन से छाया बाजार करने में व्यस्त थी । काफी महीनों से घर में पूजा कराने को सोच रही थी । पर योजना बनाये गए कार्य अक्सर सफल नहीं ही होते हैं । कभी किसी रिश्तेदार की मौत, कभी उसके बच्चों की छुट्टी नहीं कभी कार्यक्षेत्र में कार्यभार ज्यादा आदि । हद तो तब … Read more

दोनो भाभियों में फर्क क्यों ? – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

“दिव्या ! ये तुमने क्या किया बेटा , ऐसे कोई करता है भला ? दोनों तुम्हारी भाभियाँ ही हैं फिर दोनों में इतना फर्क क्यों ?  दिव्या की मम्मी सुमित्रा जी दिव्या  को  टोकते हुए बोलने लगीं  जो अभी – अभी अपने भाई- भाभी के कमरे से उपहार देकर निकल रही थी ।  दिव्या ने … Read more

वादा … – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

अक्सर लोगों के मुँह से सुना है कि रूप से ज्यादा गुण का महत्व है । पर मैं नहीं मानती, मेरे साथ तो हर कदम हर मोड़ पर मेरे अपनों ने ही मुझे रूप की वजह से अनदेखा किया है । मैं पूर्णिमा ! सिर्फ नाम ही अच्छा रखा माँ – बाप ने , ज़िन्दगी … Read more

परवरिश का मान – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

दस साल का था पीयूष जब उसकी मम्मी को आर्थराइटिस की बीमारी ने बुरी तरह घेरा । पीयूष की चाची स्नेहा जब शादी के बाद दूसरी बार ससुराल गयी तो उससे मासूम पीयूष का दुखद बचपन और अपनी जेठानी ( पीयूष की माँ रूपा ) का दर्द नहीं बर्दाश्त हुआ । घर की स्थिति भी … Read more

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