ससुराल ऐसा ही होता है – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

आज  इतवार था ।सुबह उठकर चाय ही बनाने जा रही थी कि फोन बज उठा । देखा तो मम्मी जी का फोन था । मन में अनेकों पुरानी बातें घूमने लगी..हमारी बातें तो काफी समय से बंद है तो आज क्यों कॉल आ रहा  , सब ठीक तो होगा ? खैर ..सवालों को अपने दिमाग … Read more

कलंकित रिश्ता – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

संध्या ने चीखते हुए कहा..”बस कर अंशिका ! कुछ भी बोलती रहती है, जब देखो तब चाचू की शिकायत करती रहती है । एक तो तेरे चाचू नहीं हैं कोई ,ऊपर से ये पवन चाचू तेरे पापा के ममेरे भाई ! हमारे पड़ोसी होने के साथ – साथ तुम्हें पढ़ाने में भी कितनी मदद करते … Read more

स्नेहसूत्र – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

 मायका ! इस नाम का एहसास ही इतना सुखद होता है न कि नाम सुनते ही अधरों पर मुस्कान और दिल में एक उमंग छा जाती है । पर कविता की किस्मत विधाता ने जाने किस कलम से रची थी। उसके  हिस्से में शादी के बाद कभी मायका सुखद एहसास लेकर आया ही नहीं । … Read more

मंझली भाभी – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

शानदार घर की बेटी थी चंपा पर शान-ओ- शौकत नहीं मिली उसे कभी ।उसके पापा का शहर में बहुत नाम था  पर ईश्वर ने रुप देने में कंजूसी कर दी थी जिसकी मार का शिकार हुई वो…। गमले में पानी डालकर  चंपा  मंझली भाभी के आने का इंतज़ार कर रही थी ।  मंझली भाभी मायके … Read more

अहो भाग्य – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

दूसरी बार सुलेखा ने आज बेटी को जन्म दिया । शायद विधाता की यही मर्जी थी । ये आखिरी मौका था और कहीं एक उम्मीद भी थी कि शायद अब बेटी के बाद बेटा ही होगा । पर डॉक्टर ने जुड़वा बिटिया को  दिखाकर भरम तोड़ दिया । सुलेखा के पति माधव तो दुःखी हो … Read more

बिन मांगे मोती मिले – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

आज सुबह – सुबह अखबार खोलते ही  जिस फोटो को देखी नज़रें जैसे चुंधिया सी गई और दिल – दिमाग शंकाओं से घिर आया । बहुत कुछ बदल गया था इन पाँच सालों में । बड़े असमंजस में थी वही मीरा आंटी हैं जिन्हें मैं जानती हूँ या उनकी हमशक्ल हैं । लेकिन मीरा आंटी … Read more

भुक्तभोगी – अर्चना सिंह  : Moral Stories in Hindi

तूलिका सुबह से तरह – तरह के व्यंजन बनाने में लगी थी । यूँ तो दिल से बुरी नहीं थी वो पर ससुराल वालों के पुराने व्यवहार की टीस उसे कभी – कभी बुरा बनने पर मजबूर कर देती थी । आज तूलिका की सासु माँ पूर्णिमा जी और अविवाहित ननद कृति आने वाले थे … Read more

कद्र – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

अपना जीवन मैंने हमेशा दूसरों के लिए जिया है । स्वभाव अच्छा होते हुए भी न जाने मुझे शायद हर वक़्त अच्छा सुनने की आदत  या यूँ कहें लत लग गयी थी । नाती – नातिन, पोते – पोतियों से भरा घर, बेटी- बहुएँ, जेठानी – देवरानी । कहने को घर में अथाह लोग लेकिन मेरा … Read more

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श्रद्धा नहीं तो श्राद्ध कैसा – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

कल भादो की पूर्णिमा है और दो दिन बाद मम्मी जी का श्राद्ध वाला दिन है । सामान की लिस्ट बना दी हूँ आप ऑफिस से आते वक्त सारे सामान लेते आइयेगा या मैं तैयार रहूँगी आप मोड़ पर पहुँच कर कॉल करिएगा तो दोनों साथ में चल के ले आएँगे, ये भी सही ही … Read more

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उसका फैसला – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

उसूल था उसके जीवन का …”जब तक असमर्थ न हो किसी को तकलीफ न दो । पर नियति भी सबके हिसाब से कहाँ चलती है ।  हाथों में मेहंदी , भर हाथ चूड़ियाँ, सुंदर गुलाबी सिल्क साड़ी, पावँ में महावर, पायल और बिछुए ..उम्र के जिस मोड़ पर थी वो स्वाभाविक चमक आ जाती है … Read more

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