“टूटते हुए रिश्ते” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा : Moral Stories in Hindi

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नीलिमा जी ने अपने तीसरे और सबसे छोटे बेटे की शादी बड़े ही धूमधाम से संपन्न कर लिया। आज उनकी बहू विदा होकर आने वाली थी। नीलिमा जी ने उसके स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ा था। पूरे घर को दुल्हन की तरह सजवाया था। डाला -दउरा ,फूलों का हार,आरती का थाल जिसमें अक्षत- चंदन … Read more

मेरे सैय्या सुपरस्टार. – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा: Moral Stories in Hindi

New Project 38

अपने भैया के साथ लंबी बातचित् में मशगूल बुआ जी  को देख कर पूरे घर में बच्चों के साथ-साथ सभी  बुआ जी को तिरछी नजरो से देख रहे थे। इतना खुश तो वह होली- दिवाली में भी नहीं होती थीं। फोन पर उनके चेहरे और भाव भंगिमा से एक अलग ही खुशी टपक रहीं थी। … Read more

“महापुरुष” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा : Short Stories in Hindi

New Project 36

Short Stories in Hindi : खुशी का आज ससुराल में दूसरा दिन था। इन दो दिनों में वह परिवार के लगभग सभी महिलाओं से अनेकों बार कहते सुन चुकी थी कि हमारे यहां के पुरुष औरतों वाली काम नहीं करते हैं। उसके समझ में नहीं आ रहा था कि किस काम पर नाम लिखा है … Read more

“प्रतिरोध” ( भाग 2)- डॉ .अनुपमा श्रीवास्तवा : Moral stories in hindi

बुआ बनारसी साड़ी पहनकर माथे पर आँचल डाले बाहर निकली। ये बनारसी साड़ी की भी एक कथा है । बुआ जब विदा होकर ससुराल आई थी तब मैके वाले ने अपने हैसियत से ढेरों साड़ियां दी थीं पर उसमें बनारसी साड़ी नहीं थीं। दुल्हन को साधारण चुनरी में देख बुआ के सास ससुर भड़क गए। … Read more

“प्रतिरोध” ( भाग 1)- डॉ .अनुपमा श्रीवास्तवा : Moral stories in hindi

मानसी बुआ आज बहुत खुश थीं। चंदेरी साड़ी और बालों में गजरा लगाए वह पूरे हवेली में चक्कर लगा रही थीं। खुश होने का कारण भी था उनके बेटे की शादी जो तय हो गई थी। सगुन का दिन आज के लिए ही निकल आया था। लड़की वाले पंहुचने वाले थे।  इतने सालों के बाद … Read more

“भेद नजर का”(भाग 2 ) – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

शहर के एक महंगे होटल में लड़की देखने की व्यवस्था लड़की वाले ने की थी। लड़की तो समान्य थी। नयन नक्स भी उतने तीखे नहीं थे   लेकिन उनके  खातिर दारी और तैयारियों के चकाचौंध में सभी ने लड़की पसंद कर लिया। लड़की के पिता ने बिन मांगे ही बिदाई में उपहारों की ढेर लगा … Read more

“भेद नजर का”(भाग 1) – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

सीमा सुबह से तैयारियां कर रही थी। सबके लिए  नाश्ते बनाने के बाद उसे खुद के लिए तैयार होना था। काम इतना बढ़ गया था कि कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था। सासु माँ बार- बार किचन में आकर बोल रही थीं “-  बहू जल्दी करो,जल्दी से काम निपटा लो और तैयार … Read more

गिरवी आत्मसम्मान की – डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा 

New Project 58

तुमको क्या लगा कि तुम्हारे साथ रहता हूँ तो मेरा कोई अस्तित्व ही नहीं है। यह सोचना तुम्हारा भूल भ्रम है। मैंने परिस्थिति वश निर्णय लिया था तुम्हारे साथ रहने का समझी।” “हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी जुबान को ऐसी घटिया शब्द निकालने की ।” शादी के बाद  पहली बार अनुज को इस तरह आग बबूला … Read more

अधिकार नहीं परिवार – डॉ.अनुपमा श्रीवास्तवा : Moral stories in hindi

New Project 46

Moral stories in hindi  :  “माँ जी आपके लिए चाय लाई हूँ  पी लीजिये।”  शशि चाय की प्याली लेकर सासू माँ के कमरे में घुसते हुए बोली । उसने देखा माँ जी जल्दी- जल्दी अपने आँचल की छोर से आंखें पोंछ रही थीं। उससे रहा नहीं गया उसने पूछ लिया-” माँ जी क्या बात है … Read more

“मैं कोई सीता नहीं” – डॉ .अनुपमा श्रीवास्तवा

New Project 45

पल्लवी लगभग दो मिनट तक बेल बजाती रही पर किसी ने भी दरवाजा नहीं खोला। वह थककर वहीं बैठ गयी।  प्यास से उसका हलक सूख रहा था। जल्दी घर पहुंचने के चक्कर में उसने रूककर पानी भी नहीं पिया था। अभी वह सोच ही रही थी कि क्या करे इतने में भड़ाक से दरवाजा खुला। … Read more

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