टूटते रिश्ते जुड़ने लगे – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 86

एक छोटी सी गलतफहमी की बजह से घर मे ऐसा बबाल मचा की घर चार हिस्सों में बंट गया। आंगन के नाम पर चार गलियां सी बन गई और हंसता खेलता परिवार एक दूसरे का दुश्मन बन गया। अब एक दुसरे से बात करना तो दूर एक दूसरे को देखना भी गंवारा न था। और … Read more

भटकती आत्मा – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 98

आज न तो मेरा शरीर दवाब में था न वो मेरे पास बैठी मगर आज वो बहुत गुस्से में थी मैं उसका चेहरा तो मैं नही देख पा रहा था मगर उसकी आवाज स्पष्ट सुन पा रहा था। वो बोली कि मैंने सोचा था तूँ आराम से मान जाएगा मगर तू ऐसे नही मानेगा अब … Read more

भूत और एक शर्त – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 42

जैसे ही वो गांव के पास पहुंचा उसे अचानक लगा कि सुबह हो गई दिन निकल आया है। सामने से उसके ही घर से गांव के लोग एक अर्थी उठाकर ला रहे हैं उसने एक को पूछा भाई ये क्या हो गया कौन गुजर गया। सामने से उसने जोर से हंसकर कहा कि तू मर … Read more

पैसे का गरूर – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 94

बो तुमसे नही हमारी दौलत से प्यार करता है उसकी औकात हमारे घर का नौकर बनने की नही और तू उसे मेरा दामाद बनाना चाहती हो? वो एक मामूली सा केशियर जो पूरा दिन लोगों के नोट गिन गिनकर बैंक की तिजोरी में डालता है शाम को पांच सौ रुपये कम हो जाएं तो पूरी … Read more

अनकहा दर्द – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 34

बाबा के घर आते ही मेरा सबसे पहला काम होता किसी पुलिस वाले कि तरह उनकी जेबों की तलाशी लेना। उनकी जेबें किसी हलवाई की दुकान से कम नही थी जब भी हाथ डालता कुछ न कुछ मिल जाता कभी टॉफियां कभी गच्चक कभी बिस्कुट तो कभी कागज में लिपटा हुआ लड्डू। और यकीन मानिए … Read more

ढलती सांझ – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 42

गर्मियों की दोपहर समय करीब तीन बजे का रहा होगा। मैंने दराती उठाई और खेतों की तरफ निकल पड़ा। गेहूं की फसल पक चुकी थी और खेत लहलहा रहे थे फसल बहुत अच्छी हुई थी इसबारऔर होती भी क्यों न आखिर हर कीटनाशक ,यूरिया की खाद भर भरकर डाला था। खेतों तक पहुंचते पैर तपने … Read more

जो अपने माँ बाप का दिल दुखाता है वो खुद भी कभी खुश नही रह पाता है। – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 55

पकौड़े तलने की खुशबू हवा में घर के आंगन तक फैली हुई थी, छोटी सी रसोई में माया देवी जिसका चेहरा समय और कठिनाइयों से उकेरी गई झुर्रियों का आईना सा था, वो सावधानी से सुनहरे पकौड़ों को एक प्लेट पर रख रही थी । उसकी टेढ़ी-मेढ़ी उंगलियाँ अभ्यास से बड़ी सहजता से चलती थीं, … Read more

घर की इज्जत – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 100

“साढ़े छः फुट के तुम्हारे पिताजी पगड़ी पहनकर सिर झुकाकर चलेंगे तो कैसे लगेंगे? तुम्हारा छोटा भाई क्या लोगो के तानो के बाद जी भी पाएगा? तुम्हारी माँ किसी से नजर मिला पाएगी? कल को हमारी बेटी कोई गलत कदम उठाएगी तो उसे कैसे रोकेंगे वो सवाल करेगी तो क्या जवाब देंगे?”  मुझे नही पता … Read more

पड़ोसियों और परिवार में यही तो अंतर होता है बेटा – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 50

पूरा दिन तुम्हारी बीबी गाय भैंस गोबर घास के काम मे लगी रहती है एक मिनट कभी उसे आराम करते नही देखा। और छोटी वाली बस चार रोटियां बना दी या थोड़ी बहुत साफ सफाई कर दी भला ये भी कोई काम हुआ। कहना तो नही चाहती मगर तुम्हारी बीबी को नौकर बनाकर रखा है। … Read more

फूटी आंख न भाना – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 88

मां बाप की जिद्द के आगे न चाहते हुए मानव कुछ बोल न  सका और मनप्रीत से शादी करने को तैयार तो हो गया मगर दिल से अपनाने को नही। मानव ऊंचा लंबा कद एक दम हीरो के माफिक दिखने वाला गबरू जवान था। अच्छा पढ़ा लिखा होने के साथ साथ संस्कारी भी था। उसके … Read more

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