तोहफा – संगीता श्रीवास्तव

खुशी आंखें बंद किए आराम कुर्सी पर बैठी भूली बिसरी यादों में खोए अनुभव का इंतजार कर रही थी । तरह-तरह के विचारों में खोई, कभी पीड़ा, कभी आनंद के मननशीलता से विचारों के प्रवाह में बहती जा रही थी। क्यों न बहे? जीवन में तरह-तरह के उतार -चढ़ाव होते जो रहे हैं! कैसे -कैसे … Read more

दिखावे का व्यवहार – पुष्पा जोशी

  विधि जब से उस विवाह समारोह से लोटकर आई है, तभी से उसका मन बहुत विचलित है। उसके कानों में रह रह कर वो बातें गूंज रही है जो उसके करीब बैठी महिलाऐं आपस में कर रही थी, विधि उन्हें पहचानती नहीं थी और न शायद उन महिलाओं को यह ज्ञान था, कि वे किसके … Read more

मतलब – माता प्रसाद दुबे

सीमा बहुत खुश थी..उसके जीवन का सपना आज साकार हो गया था। रवि ने दिन रात मेहनत करके उसे पाश कालोनी में शानदार घर की मालकिन बना दिया था..वह खुशी से झूम रही थी। उसके और रवि के दोनों बच्चे प्रशान्त और परी अपने नए घर में आकर बहुत खुश थे। घर के सामने खुबसूरत … Read more

दिखावा – मधु वशिष्ठ

जब दोनों ड्राइंग रूम में घुसे  तो उन्होंने शानदार करीने से सजा हुआ सोफा, बड़ा सा म्यूजिक सिस्टम वगैरह-वगैरह इत्यादि रखे हुए देखे। उस सरकारी मकान को भी उन लोगों ने बड़ी शिद्दत से सजाया गया था। पूरी रसोई भी आधुनिक साज सामानों से घिरी हुई थी। रीना खुशी खुशी नीता और राघव को अपना … Read more

दिखावा – मधु वशिष्ठ

जब दोनों ड्राइंग रूम में घुसे  तो उन्होंने शानदार करीने से सजा हुआ सोफा, बड़ा सा म्यूजिक सिस्टम वगैरह-वगैरह इत्यादि रखे हुए देखे। उस सरकारी मकान को भी उन लोगों ने बड़ी शिद्दत से सजाया गया था। पूरी रसोई भी आधुनिक साज सामानों से घिरी हुई थी। रीना खुशी खुशी नीता और राघव को अपना … Read more

कहानी बहु की कहानी – मनीषा देबनाथ

हां हम लेखक है, हम रोज कहानियां ढेर सारी लिखते है हर रोज नई रचनाएं बनाते है। उन रचनाओं में हम कितने किरदारों को नाम देते है। कितनी बार किसी को मौत देते है तो कितनी बार हम अपनी कहानियों में किसी को चमत्कारिक जीवन दान देते है। हमारी कहानी के किरदार और घटनाए हमारे … Read more

चकाचौंध – स्नेह ज्योति

रिम झिम बरसात हो रही थी , तभी फोन की घंटी बजी और प्रतीक की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा । इतना ठुकराए जाने के बाद तो उसने आस ही छोड़ दी थी ,पर कहते है ना कि भगवान के घर देर हैं, अंधेर नहीं ।चाहे उसका रंग काला है , पर आज वो खुश … Read more

दिखावे से परे प्रेम, पिता – मंजू तिवारी

जब बचपन में घर के बाहर खेलते खेलते गिर गई तो मम्मी ने पापा से उठाने के लिए कहा  संयुक्त परिवार था लेकिन इत्तेफाक से घर में कोई नहीं था मम्मी घर से बाहर नहीं निकलती थी और पापा को उठाने में बड़ी झिझक लग रही थी,,,,,,, पापा ने प्यार से बुलाया उत्साहित  किया और … Read more

फर्क – गुरविंदर टूटेजा 

शालिनी सुबह से तैयारियों में लगी हुई थी उसने घर की हालत ही बदल दी थी  कमरों में नई चद्दरें , नये टॉवल व नैपकिन और क्रॉकरी भी सारी अंदर से नई वाली निकाली थी…वो तो हाल में भी ए.सी. लगाने की जिद्द कर रही थी अजय ने मना कर दिया कि अभी नहीं लगा … Read more

 पुरषोचित अहम – शिप्पी नारंग

रेस्त्रां में घुसते ही सौम्या ने नजरें इधर उधर दौड़ाई और उसकी नजर एक टेबल पर जाकर स्थिर हो गई और वह उस टेबल की तरफ बढ़ी जहां बैठे रंजीत ने उसे देख लिया और खड़ा हो गया । दोनों ने एक मुस्कुराहट के साथ एक दूसरे का स्वागत किया और बैठ गए । औपचारिक … Read more

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