नई जिंदगी – डाॅ उर्मिला सिन्हा

   शिल्पा ने दोपहर में गेहूं अपने हाथों से  साफ कर आटा पिसवाया  था  फिर रोटियां  किन-किन कैसे हो गई .सब्जी भी उसने बडी़ मन से बनाया था फिर उसमें मिर्चे कहां से आ गयी।शिल्पा ने जरा सा तोड़कर रोटी सब्जी चखा …मुंह का स्वाद बिगड़ गया।रोटी में कंकड़ और सब्जी कड़वी थू थू।      आज फिर … Read more

ये कैसा प्यार – संगीता अग्रवाल

” कितनी खूबसूरत है वो लगता है भगवान ने बड़ी फुर्सत से बनाया है उसे !” राजीव एक तरफ देखते हुए अपने दोस्त नितीश से बोला। ” कौन है वो जिसने हमारे दोस्त के दिल पर कब्जा कर लिया है ?” नितीश मुस्कुराता हुआ बोला। ” यार वो सामने जो खिड़की खुली दिखाई दे रही … Read more

ज़िंदगी “कलंक” नहीं कस्तूरी है – शुभ्रा बैनर्जी

सुगंधा ने ट्रेन छूटते ही बच्चों को फोन पर जानकारी दे दी।आज कॉलोनी की हम उम्र महिलाओं के साथ बनारस जा रही थी,घूमने। बनारस का नाम सुनते ही, जाने क्यों मन बांवरा सा हो जाता था उसका।वैसे बनारस से इश्क़ करने वाली वह पहली और अकेली नहीं थी।बनारस के रस ने ना जाने कितनी जिंदगियों … Read more

सपनों की उड़नपरी – सीमा पण्ड्या

रीमा और उसका परिवार आज शोरूम से  अपनी ड्रीम कार ऑडी ख़रीद कर पूजा करवाने मंदिर जा रहे थे।पिछले तीन दशकों में उसकी और उसके पति की मेहनत और लगन ने एक छोटे से व्यवसाय को एक बहुत अच्छे मुक़ाम पर पहुँचा दिया था।पूरा परिवार बहुत प्रफुल्लित था पर रीमा चुप थी, उसकी आँखें छलछला … Read more

ख्वाहिशें –  मुकुन्द लाल

 जब भी सत्येंद्र दफ्तर में ड्यूटी समाप्त कर साईकिल से डेरे की ओर लौटता तो रास्ते में हमेशा वह सशंकित रहता कि आज न जाने कौन सा लफड़ा हुआ होगा डेरा में। कभी पानी, कभी बिजली, कभी बच्चों के लङाई-झगङे, कभी नाली की सफाई, कभी बाथरूम की गन्दगी… आदि पर अक्सर विवाद होते ही रहते … Read more

सर्दी की धूप – डॉ.पारुल अग्रवाल

मानव घर से ऑफिस के लिए निकला ही था तभी उसने देखा कि एक तरफ की सड़क महिला मुक्ति मोर्चा वालों ने किसी महिला पर अत्याचार के विरुद्ध आवाज़ उठाते हुए बंद कर रखी थी,उनके विरोधाभास के नारे उसके कानों तक भी पड़ने लगे, उनके नारों की आवाज़ ने उसके मन में उथल-पुथल मचा दी … Read more

ज़िन्दगी कैसी है पहेली – कुमुद मोहन

“जिज्जी!नेहा का रिश्ता कानपुर से आया है आप जरा छानबीन कर लोगी?निशा ने अपनी ननद रेखा से पूछा! “अरे इसमें पूछने की क्या बात है,अपनी लाडो के लिए तो उसकी बुआ हमेशा तैयार है,कल ही सब पता करके बताती हूं!”रेखा ने जवाब दिया! अगले दो चार ही दिनों में रेखा  लड़के वालों के पूरे खानदान … Read more

 अनमोल ज़िन्दगी – डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा

 होश आते ही रावी ने अपने चारो तरफ नजरों को गोल  गोल घुमाया। उसे पता नहीं चल पा रहा था कि वह इस वक्त कहां है और यहां कैसे आई। थोड़ा सा अपने  यादाश्त पर जोर डाला। कुछ याद आते ही वह जोर से चीख पड़ी-”  मैं यहां क्यूँ हूँ?,  “मैं यहां कैसे आई?” “मुझे … Read more

और जिंदगी मुस्कुरा उठी…. – संगीता त्रिपाठी

आज रेवती जी फिर उसी चौखट पर खड़ी थी, जहाँ कई साल पहले वो दुल्हन बन कर आई थी..। इन पांच सालों में कुछ नहीं बदला, दरवाजे का नीला रंग जरूर इन पांच सालों में थोड़ा बदरंग हो गया…,उनकी जिंदगी की तरह….,दरवाजा खोल कर सासू माँ मुँह फिरा चली गई.. वो पैर ही न छू … Read more

एक ऐसी भी जिंदगी – बालेश्वर गुप्ता

अरे छमिया मान भी जा,क्यूँ अपनी जवानी खराब कर रही है।अब रामू नहीं आयेगा।मेरी बात मान चल मेरी खोली में चलकर रह,वही मजा करेंगे।        देख गबरू मैंने तुझसे पहले भी कहा है,मैं नही तेरे साथ जाने वाली।देखना मेरा रामू जरूर आयेगा।        खूब सोचले छमिया,मेरे साथ ऐश करेगी,कल ही अपनी खोली में टीवी भी लगवा लिया … Read more

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