काली रात- श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

अपनी मौसेरी बहन की शादी अटेंड करके आनंद अपने परिवार के साथ वापस घर लौट रहा था। रात का समय था। सभी गप्पें मारते, हॅंसी मजाक करते हुए गाड़ी में अपना सफर तय कर रहे थे। फ्रंट सीट पर आनंद, ड्राइवर के साथ बैठा था। बीच वाली सीट पर उसके माता-पिता, छोटी बहन और पीछे … Read more

अब और नहीं – श्वेता अग्रवाल :  Moral Stories in Hindi

आँगन में तुलसी का चौरा, दीवार पर टंगी घड़ी की टिक-टिक और रसोई से आती सब्ज़ी की हल्की-सी ख़ुशबू… यही था वह घर, जहाँ सबकी चहेती खुशी रहती थी। नाम के अनुरूप सबको खुशियाँ बाँटने वाली। कोई काम कह दो, तो तुरंत हाज़िर। कोई ज़िम्मेदारी सौंप दो, तो पूरी शिद्दत से निभाने वाली। खुशी हमेशा … Read more

कठोर कदम – श्वेता अग्रवाल :

Moral Stories in Hindi “मम्मा! मेरा हेडफोन कहाँ है?” कृष्णा चिल्ला रहा था। उसने पूरा कमरा अस्त-व्यस्त कर दिया था। तभी उसकी आवाज सुनकर माँ नीरा वहाँ आईं और बोलीं – “क्या हुआ कृष्णा? इतना शोर क्यों मचा रखा है?” “ओह मम्मा! कितनी बार कहा है कि मुझे ‘कृष्णा’ मत बुलाया करो,  ‘कृष’ बुलाओ, पर … Read more

शुभ विवाह – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

पहलगाम की खूबसूरत वादियाॅं, देवदार और चिनार के पेड़ दूर-दूर तक बिछी सफेद बर्फ की चादर यह सभी खूबसूरत नजारे आज स्नेहा और अभि की शादी के गवाह बनने जा रहे थे। इन्हीं खूबसूरत नजारों के बीच आज स्नेहा और अभि सात फेरों के अटूट और खूबसूरत बंधन में बंधने जा रहे थे। स्नेहा को … Read more

स्वरा – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

अलार्म बजे जा रहा था और स्वरा बार-बार उसे snooze करके 5 मिनट की एक्स्ट्रा नींद लेने की कोशिश कर रही थी। बार-बार इस तरह अलार्म बजने से उसका हस्बैंड रमेश चिड़चिड़ा गया “स्वरा, पता नहीं कितना आलस भरा है तुममें। अलार्म बजते ही नहीं उठ सकती क्या? सारी नींद खराब कर दी है। आदमी … Read more

ये बंधन है नेह का – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

शर्माती,लजाती लाल जोड़े में लिपटी पीहू ने जैसे ही चावल भरे कलश को गिराकर गृह-प्रवेश किया,वैसे ही उसकी जेठानी मुग्धा ने उसे गले से लगा लिया और धीरे से उसके कान में प्यार से बोली “टेंशन मत लो, मैं हूँ ना।” इतना वात्सलय और अपनापन था उन शब्दों में कि पलभर में ही पीहू का … Read more

कहो कैसी रही? – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“शेखर, पता है मेरी फ्रेंड्स कल चार दिनों के लिए ऊटी जा रही हैं|” शिखा अपने हस्बैंड से बोली| “तो तुम भी चल जाओ, तुम्हें किसने रोका है|” शेखर ने छूटते ही कहा| “हाँ, मन तो मेरा भी बहुत है| चली भी जाती, अगर तुम अकेले मैनेज कर पाते तो| तुम तो एक गिलास पानी … Read more

रिश्ते की डोर-श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

सरला जी की बहू निम्मी की आज पहली रसोई थी। सरला जी अपनी बहू की मदद करना चाह रही थी लेकिन रिश्ते की चाचियाँ, मामियाँ, ननदें उन्हें किसी ना किसी बहाने से रोक ले रही थी। उधर किचन में निम्मी की हालत खराब हो रही थी। उसने तो आज तक चाय-कॉफी के अलावा कुछ बनाया … Read more

The Hidden Pain-श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

“माई मैं जा रही हूॅंं।” कस्बे के सरकारी स्कूल में टीचर प्रतिभा ने घर का गेट खोलते हुए कहा। “अरे! रुक लाडो। इतनी हड़बड़ी में कहाॅं भागे जा रही है?” “स्कूल जा रही हूॅंं, माई।” “लेकिन, इत्ती सुबह-सुबह। अभी तो 6:00 बजे हैं। स्कूल तो 8:00 बजे लगे हैं ना!” “हाॅं माई। लेकिन, आज हमारे … Read more

धड़ाम! – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

दोपहर का काम खत्म करके रमा अपनी जेठानियों के साथ गप्पें मार रही थी। सासू माॅं मालादेवी भी अपने कमरे में आराम कर रही थी। तभी किचन से खूब जोर की धड़ाम! की आवाज आई।आवाज़ सुन मालादेवी और उनकी बहुऍं किचन की ओर दौड़ पड़ी। वहाँ रमा के ससुर जी(बाबूजी) मुँह में लड्डू ठूँसे दोनों … Read more

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