गुंजन और रजनी दोनों पड़ोसी थी । एक ही स्कूल में पढ़तीं थीं । वे दोनों सिर्फ़ सोने के लिए ही घर जाती थीं वरना दो जिस्म एक जान के समान एक साथ ही दिखाई देतीं थीं । दोनों ने गाँव में जो स्कूल है वहाँ की पढ़ाई पूरी की थी । अब उन्हें शहर जाकर ग्यारहवीं की कक्षा में दाख़िला लेना था ।
उन दोनों के घरवालों ने उन्हें बहुत सारी हिदायतें दी और कहा कि अपनी मर्यादा को नहीं लाँघना । हमारे घर के बारे में सोचना गाँव में हमारी नाक नहीं कटनी चाहिए । सब बातें बता कर समझा बुझाकर दोनों को हॉस्टल में भर्ती करा दिया था । वहाँ उन दोनों ने अपने घर के संस्कारों को ध्यान में रखते हुए अपनी मर्यादा में रहते हुए सिर्फ़ पढ़ाई पर ही पूरी तरह से मन लगाया और ग्यारहवीं बारहवीं में भी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया था ।अब दोनों बच्चियों पर घरवालों को विश्वास हो गया था। इसीलिए जब दोनों को इंजीनियरिंग कॉलेज में सीट मिल गया था तो बेफिक्र होकर उन्हें कॉलेज में दाख़िला दिलाया था । यहाँ माता-पिता ने फिर से दोनों को हिदायतें दी थी कि अब तक आप दोनों ने घर और गाँव में हमारी इज़्ज़त बढ़ाई है। गाँव में सब अपने बच्चों को आप दोनों का ही उदाहरण देते हैं । आगे भी इसी तरह अपनी मर्यादा में रहकर आप दोनों हमारे साथ साथ गाँव का नाम भी रोशन करें । उन्हें कॉलेज के हॉस्टल में दाख़िला दिला कर माता-पिता गाँव वापस चले गए थे ।
यहाँ भी कॉलेज में दोनों को ही अच्छे नंबर आते थे । उन दोनों से पढ़ाई में कोई आगे नहीं बढ़ सकता था । इसी तरह दो साल आराम से गुजर गए थे । उन्हीं दिनों गुंजन ने देखा रजनी में कुछ बदलाव आ रहा है । वह पहले के समान गुंजन के साथ मिलकर कॉलेज नहीं जाती है और ना ही वापस आती थी । ऐसा लगता है कि जैसे उसके कोई और दोस्त बन गए हैं ।वह आए दिन कॉलेज में क्लासेस भी बंक करने लगी थी।
इस बार परीक्षा में भी उसके बहुत ही कम अंक आए थे ।
गुंजन ने उससे पूछा कि — क्या बात है रजनी ऐसे कौन से दोस्त हैं जिनके कारण तू मुझे भी नज़रअंदाज़ कर रही है साथ ही कॉलेज में क्लासेस अटेंड नहीं कर पा रही हो। हमारे घर वालों की मान मर्यादा के बारे में भी नहीं सोचा है कितना विश्वास है उन्हें हम दोनों पर और तुझे घरवालों की फ़िक्र ही नहीं है । कल तेरे पिताजी आए थे किसी तरह मैंने उन्हें समझाकर वापस भेज दिया था ।
रजनी ने कहा— अरे !! गुंजन तू तो मेरे पीछे पड़ गई है । मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि तुम्हें मुझसे क्या तकलीफ़ हो रही है। घरवालों की मर्यादा सम्मान इन सबकी फ़िक्र तू कर मुझे मत पका!!और रही पढ़ाई की बात वह मैं कर लूँगी । तुम तो अपनी पढ़ाई कर रही हो न बस । आगे से मेरे मामलों में दख़लंदाज़ी नहीं करना समझ गई है न। कहते हुए वहाँ से चली गई थी ।
गुंजन ने उस समय कुछ कहना ठीक नहीं समझा क्योंकि उसे मालूम था कि रजनी अभी कुछ भी सुनने के मूड में नहीं है । एक बार फिर उसके पिता उससे मिलने आए थे पर गुंजन ने उसके ग्रूप के प्रेक्टिकल हो रहे हैं मैं उसे बता दूँगी कि आप आए थे । यह कहकर उन्हें भेज दिया था ।माता-पिता को कितना विश्वास है हम दोनों पर और यह रजनी उनसे विश्वास घात कर रही है ।
उस दिन वह कॉलेज ख़त्म करके अपने हॉस्टल की तरफ़ जा रही थी तब उसने रजनी को एक लड़के के साथ देखा ध्यान से देखने के बाद उसे याद आया था कि यह तो वही राजीव है जो चार साल की इंजीनियरिंग की पढ़ाई को सात साल से पढ़ रहा है । एक साल को दो साल में पढ़ कर पूरा कर रहा है बड़े बाप का बिगड़ैल बेटा है । लड़कियों को थोड़े दिन घुमा फिराकर उन्हें छोड़ देता है ।
उस दिन रजनी रात को दस बजे रूम को पहुँचती है । आज गुंजन ने सोच लिया था कि वह किसी भी तरह रजनी को समझाएगी । रजनी फ्रेश हो कर जैसे ही कमरे में पहुँचती है गुंजन ने उसे आड़े हाथों लिया था ।
उसने रजनी से कहा – रजनी मैंने आज तुझे उस राजीव के साथ देखा है । यह तो फेल हो होकर पढ़ रहा है । दौलतमंद बाप का बिगड़ैल बेटा है । लड़कियों को घुमाकर उन्हें फिर छोड़ देता है । तुम उससे दोस्ती कर रही हो । मेरे ख़याल से तो तुम्हें उससे बचकर रहना चाहिए । आजकल कितने तो हादसे हम सुनते और पढ़ते आ रहे हैं । लड़कियों को घुमाने ले जाना और कूलड्रिंक में नशीली दवा मिला कर देना खुद और अपने दोस्तों के साथ मिलकर उन लड़कियों का उपयोग करके उन्हें छोड़ देना सब । तुम हो कि फिर भी उस बदतमीज़ लड़के के साथ मिलकर घूम रही हो ।
रजनी ने कहा— बस कर गुंजन कुछ भी बकी जा रही है । वह मुझसे बहुत प्यार करता है । दूसरी लड़कियों से प्यार नहीं करता था। उसने मुझे सब कुछ बताया था । तू मेरी फ़िक्र मत कर ।
गुंजन ने कहा— रजनी कल फिर तेरे पापा आए थे । मैंने किसी तरह से तेरे प्रॉक्टिकल चल रहे हैं कहकर उन्हें भेज दिया है पर मुझे अभी भी लगता है कि तुम ग़लत कर रही हो । उन्हें धोखा दे रही हो।
रजनी ने कहा— मैं अपने आप को सँभाल लूँगी । राजीव कोई ऐसी वैसी हरकत करेगा ही नहीं पर तुम्हारी नज़र में किया तो मैं सतर्क रहूँगी ठीक है ।
गुंजन ने कहा कि— सतर्क कैसे रहोगी मेरी सखी । ठीक है मैं तेरे मोबाइल में शी टीम का नंबर फ़ीड कर रही हूँ अपने पास रखना उसे डिलीट नहीं करना तुम्हें मेरी क़सम है समझी ।
रजनी ने कहा कि— ठीक है मैं डिलीट नहीं करूँगी मेरी माँ !!
अब गुंजन निश्चिंत हो गई थी कि रजनी को बात समझ में आ गई है ।
उस दिन भी गुंजन कॉलेज ख़त्म होते ही हमेशा की तरह अपने रूम में आ गई थी । उस रात को रजनी रूम में नहीं आई । गुंजन को फ़िक्र होने लगी थी। उसके मोबाइल पर फ़ोन किया था पर वह उसे नहीं उठा रही थी । उसे रात भर नींद नहीं आई थी। उसका मन किसी बुरी ख़बर की आशंका से डर रहा था। ईश्वर से प्रार्थना करने लगी कि रजनी सही सलामत रहे ।
गुंजन को सुबह सुबह हल्की सी नींद लगी तभी किसी ने दरवाज़ा खटखटाया गुंजन ने सोचा रजनी आ गई है। उसकी ख़बर लेती हूँ । यह सोचते हुए उसने दरवाज़ा खोलकर देखा तो एक महिला पुलिसकर्मी के साथ रजनी आई हुई थी । गुंजन को देखते ही रजनी उसके गले लग जाती है और ज़ोर ज़ोर से रोने लगती है ।
महिला पुलिसकर्मी ने कुछ नहीं कहा और रजनी को छोड़कर चली जाती है ।
गुंजन जल्दी से उसे कमरे के अंदर ले जाती है। उसके लिए चाय बनाती है और चुपचाप बैठ कर उसे चाय पीते हुए देखती रही । वह चाहती है कि रजनी खुद उसे बताए कि आख़िर हुआ क्या है। चाय ख़त्म करके——-
रजनी ने बताया था कि— कल शाम को राजीव ने मुझसे कहा था कि शहर से बाहर उनका एक गेस्ट हाउस है वहाँ थोड़ा समय बिताकर आते हैं ।
मैंने कहा— वह तो ठीक है पर जल्दी से वापस आ जाएँगे। देर रात तक मैं नहीं रह सकती हूँ। हॉस्टल में प्राब्लम हो जाएगा ।
उसने कहा— मैं तो तुमसे प्यार करता हूँ। रजनी मुझ पर भरोसा तो करो। हम लोग जल्दी ही आ जाएँगे चलो ना। मैं उसकी बातों पर यक़ीन करके उसके साथ गेस्टहाउस चली गई थी।
हम दोनों जब गेस्ट हाउस पहुँचे तो मैंने देखा राजीव के दूसरे दोस्त भी वहाँ थे । जिन्हें मैंने पहले कभी नहीं देखा था । उन सबको देखते ही मैं समझ गई थी कि कुछ तो गड़बड़ होने वाला है । मैं समय बर्बाद नहीं करना चाहती थी । इसलिए फ्रेश होने के बहाने बाथरूम में गई और तुमने मेरे मोबाइल में जो शी टीम का नंबर फ़ीड किया था ना उनको फ़ोन किया और अंदर ही रहकर उनका इंतज़ार करने लगी थी । इस बीच राजीव ने बहुत कोशिश की थी मुझे बाहर निकालने की परंतु मैंने उसकी एक नहीं सुनी वह बार बार कहता रहा कि उसके दोस्त उसे सरप्राइज़ देना चाहते थे इसलिए आ गए हैं । उसे नहीं मालूम था कि वे भी आ रहे हैं ।
मैंने फिर भी उस पर यक़ीन नहीं किया और पुलिस का इंतज़ार करने लगी । उनके आने के बाद मैं वाशरूम से बाहर आई थी । मैं बहुत डर गई थी। गुंजन बार बार मुझे तुम्हारी बातें याद आ रही थी। मैं तुम्हें शुक्रिया अदा करना चाहती हूँ कि तुमने शी टीम का फ़ोन नंबर मेरे फ़ोन में डालकर कसम दी थी कि डिलीट नहीं करना । उसी की वजह से आज मैं सहीसलामत तेरे सामने खड़ी हूँ ।
मैं अपनी दोस्ती की कसम खाती हूँ कि अब पढ़ाई पर ध्यान दूँगी। घरवालों ने हम पर भरोसा किया है उनकी मर्यादा का ध्यान रखूँगी।
गुंजन ने कहा — हमारे माता-पिता के दिए संस्कार हमारे साथ हमेशा रहते हैं । कोई बात नहीं तुम थोड़ा सा भटक गई थी पर ईश्वर की कृपा से सब ठीक हो गया है । चल कल ही एक बार गाँव जाकर अपनों से मिलकर आते हैं । दोनों वीकेंड के लिए अपने गाँव जाने की तैयारी में लग गए थे ।
दोस्तों बचपन से माता-पिता लड़कियों को कॉलेज या स्कूल जाते समय बहुत सारी हिदायतें देकर भेजते हैं । बच्चे अपनी नादानी में ऐसा कर देते हैं जिससे उनकी जान मान भी ख़तरे में पड़ जाती है घरवालों की मर्यादा भी दाँव पर लग जाती है । दोस्तों सिर्फ़ लड़कियों को ही नहीं समझाना कि ग़लत संगत से बचो बल्कि लड़कों को भी समझाने की ज़रूरत है कि अपने साथ पढ़ने वाली लड़कियाँ ही नहीं औरत की इज़्ज़त करना सीखें ।
मर्यादा
के कामेश्वरी