“राहुल देखो ये साड़ी कैसी रहेगी दीवाली के दिन पहनने के लिए?”
“अरे तुम्हें जो पहनना है पहनो मेरा दिमाग मत खाया करो।कहीं जाना हो तो तब तुम्हे बताओ क्या पहनो,कोई घर में आए तब तुम्हें बताओ क्या पहनो।कुछ अपनी अकल से भी काम ले लिया करो।”राहुल झुँझलाते हुए बोला।
नेहा बड़े चाव से साड़ी लेकर पति के पास के आई थी पर उसकी बेरुखी देखकर अपना सा मुँह लेकर चली गई।नेहा की पहली दीवाली थी इसलिए उसकी सास रमा उनके पास रहने आई हुई थी।रमा ने जब बेटे को इस तरह बहू के साथ बर्ताव करते देखा,तो उसे बहुत बुरा लगा।
रात को जब नेहा किचन में खाना बना रही थी तब रमा ने सोचा यही मौका है बेटे से बात करने का।राहुल ड्राइंग रूम में टी वी देख रहा था,रमा उसके पास आकर सोफे पे बैठ गई और धीरे से बोली-“बेटा,तू इतना पत्थर दिल कब से हो गया?
आज तूने जिस तरह से बहू से बात की मुझे अच्छा नहीं लगा।उस बेचारी ने यही तो पूछा था ना,कि ये साड़ी कैसी लगेगी?प्यार से हाँ बोल देता तो तेरा क्या चला जाता?वो खुश हो जाती।”
“माँ मेरे से ये चोंचलेबाजी नहीं होती।”
“बेटा दरअसल ये चोंचलेबाजी नहीं बल्कि एक औरत के दिल तक पहुँचने का रास्ता हैं।एक बार तूने मुझसे पूछा था न कि माँ जब हम छोटे थे तब पापा की तनख्वा भी ज्यादा नहीं थी।परिवार की जिम्मेदारियां भी थीं,फिर भी आप कैसे खुश रहती थीं?”
“हाँ माँ,मगर आज आप ये बात क्यों कह रही हो?”
“तुझे ये बताने के लिए कि मैं अभावों में भी कैसे खुश रहती थी?”
“कैसे रहती थीं?”
“तेरे पापा मेरी बातों को तवज्जो देते थे।वो मेरी भावनाओं की कद्र करते थे और मेरा सम्मान करते थे।बस यही छोटी छोटी बातें मेरे खुश रहने की वजह बन गईं और मैंने बड़ी सरलता से वो कठिन समय गुजार लिया।हम औरतें बहुत भावुक होती हैं पति का थोड़ा सा प्यार व समय पाकर खुश हो जाती हैं,हमें कुछ ज्यादा की चाहत नहीं होती।
तू भी अपनी आदतों को बदल ले।” राहुल सिर नीचे किए चुपचाप माँ की बाते सुनता रहा।उसने किसी बात का विरोध नहीं किया।और करता भी कैसे क्योंकि वो कहावत हैं ना,कि प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरुरत नहीं होती।माँ के जीवन को उसने देखा था और आज उसकी खुशी का राज भी मालूम पड़ गया।
“माँ..राहुल,आ जाइए खाना तैयार है।” नेहा ने डाइनिंग टेबल पर खाना लगाते हुए दोनों को खाना खाने के लिए बुलाया।
रमा और राहुल डाइनिंग रूम में आ गए।
“क्या बनाया है बहू बहुत बढ़िया खुशबू आ रही है?”
“माँ,कड़ाई पनीर और मटर पुलाव बनाया है।”
“अरे वा कड़ाई पनीर तो मुझे बहुत पसंद है।”रमा चहकते हुए बोली
“हाँ माँ,मुझे भी बहुत पसंद है वो भी नेहा के हाथ का बना हुआ।” राहुल की बात सुनकर नेहा कुछ बोली नहीं बस हल्के से मुस्कुरा दी।
दीपावली का दिन था।सुबह उठते ही राहुल ने नेहा को किस किया और अपनी बाँहों में भरते हुए बोला-“हैप्पी दीपावली।”
पति की बाँहों में आकर नेहा भी सब भूल गई उसे ऐसा लगा जैसे जन्नत मिल गई।राहुल की सीने से लगते हुए बोली-“सेम टू यू।बाई दवे आज सुबह सुबह इतना इतना प्यार कैसे आ रहा है मुझपर?”
“वो आज अपनी पहली दिवाली है ना इसलिए।” राहुल ने और कसकर नेहा को बाँहों में जकड़ लिया।
“राहुल प्लीज छोड़ो.. मुझे जाने दो वैसे ही आज उठने में बहुत देर हो गई है।माँ क्या सोचेगी?”
“अरे माँ यही सोचेगी,कि मेरा बेटा सही रास्ते पर चल रहा है।”
“क्या मतलब तुम्हारा?”
“मतलब अपनी पत्नी को खुश रखने की कोशिश कर रहा है।”
नेहा शर्मा गई और अपने को राहुल की बाँहों से छुड़ाकर जाने लगी..
“सुनो नेहा,रात को वो ही साड़ी पहनना..जो तुम मुझे दिखाने लाई थी।”
जाते जाते नेहा पीछे मुड़ी और राहुल के गाल पे प्यार से एक किस दे गई।
रात को नेहा सज धजकर तैयार हुई और सबके साथ पहले लक्ष्मी पूजा की और फिर राहुल संग खूब पटाखे चलाए।राहुल और नेहा को खुश देखकर रमा भी बहुत खुश हुई।वो मन ही मन ईश्वर से यही प्रार्थना करने लगी..प्रभु मेरे बच्चों पर सदा अपनी कृपा ऐसे ही बनाए रखना।
दोस्तों पति से थोड़ी सी तवज्जो पाकर नेहा कैसे खिल उठी।कितना सरल होता है न औरतों के दिल तक पहुँचने का रास्ता।पत्थर दिल नहीं नरम दिल बनकर बस ऐसे ही इन्हें प्यार देते रहें,तो आपकी भी जिंदगी भी सँवर जाएगी।कमलेश आहूजा
#पत्थर दिल