औकात – कमलेश राणा : Moral stories in hindi

आज जब स्नेहा कॉलेज पहुंची तो हर नज़र उसका मुआयना कर रही थी ऐसा लग रहा था मानो सब उसे देखने और उससे मिलने के लिए बेकरार थे। उसने अपने दिमाग पर बहुत जोर डाला पर उसे ऐसा कोई कारण नज़र नहीं आया जिसके लिए आज वह बहुत खास बन गई थी वह प्रश्नात्मक नज़रों से सबकी ओर देख रही थी पर उसे हर नज़र में एक सवाल दिखाई दे रहा था। 

जब उससे रहा नहीं गया तो वह अपनी प्रिय सखी उर्मि को एक तरफ खींच कर ले गई.. देख तो जरा मेरे चेहरे पर कुछ लगा है क्या जो सब लोग इस तरह घूर रहे हैं मुझे मानो मैं कोई अजूबा हूँ। 

अजूबा तो हो ही तुम स्नेहा मुझे तुम से ऐसी उम्मीद नहीं थी और हाँ आज के बाद हमारी दोस्ती भी खत्म ही समझो क्योंकि तुमसे दोस्ती रख कर मैं सबकी नज़रों में गिरना नहीं चाहती। 

पर ऐसा क्या किया है मैंने जरा मैं भी तो सुनूँ कि जिस सखी की दोस्ती पर गर्व था तुम्हें आज उसके साये से भी दूर भाग जाना चाहती हो तुम। 

स्नेहा के सवाल के जवाब में उर्मि ने अपना मोबाइल उसके सामने कर दिया उस पर चल रही वीडियो को देख कर स्नेहा के होश उड़ गये। उस वीडियो में वह आपत्तिजनक स्थिति में किसी लड़के के साथ थी। उसे एकदम से चक्कर आ गये ऐसा तो कभी हुआ नहीं फिर यह वीडियो??? 

ढेर सारे सवाल थे मन में पर जवाब शून्य था अब वह किस – किस को और कैसे अपनी बेगुनाही का सबूत देगी और कैसे इस बदनामी से बाहर निकल पायेगी उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था बस एक ही विचार मन में आ रहा था और वह था अपने जीवन का अंत… हाँ आत्महत्या ही अब उसे और उसके परिवार को इससे मुक्ति दिला सकती थी। 

वह भारी कदमों से अपने घर की ओर चल दी क्या जवाब देगी वह अपनी माँ को जिसने बड़े अरमानों से उसको पाला- पोस कर बड़ा किया था वह हमेशा कहती थी… तू मेरी बेटी नहीं बेटा है तू दुनियां में मेरा नाम रोशन करेगी और आज दुनियां की नज़रों में मैंने उनका नाम डुबो दिया पर मैं करूँ तो क्या करूँ यह सब हुआ कैसे कुछ समझ नहीं पा रही थी वह। 

स्नेहा बेटा आज इतनी जल्दी कैसे आ गई कॉलेज से। 

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माँ के प्यार भरे शब्दों के जवाब में उसके दिल का गुबार आँसू बनकर बह निकला वह माँ के गले से लिपट गई। 

माँ आप मुझ पर कितना विश्वास करती हैं??? 

पगली यह भी कोई पूछने वाली बात है पर तुमने आज अचानक क्यों पूछा यह? 

स्नेहा ने वह वीडियो जो उसने उर्मि के मोबाइल से लिया था माँ को दिखाते हुए कहा… माँ मैं बिल्कुल निर्दोष हूँ मैंने कुछ नहीं किया पर इसे देखकर सब मुझे गुनहगार समझ रहे हैं?? कैसे घर से बाहर निकल कर उन नज़रों का सामना कर पाऊँगी अब मैं? कैसे अपनी बेगुनाही साबित करूँ समझ नहीं पा रही हूँ बस सबकी नज़रों से दूर भाग जाना चाहती हूँ जहाँ कोई मुझ से कोई न सवाल पूछे और न ही कोई जवाब देना पड़े। 

अपनी माँ के बारे में भी सोचा है एक बार कि वह कैसे जियेगी तुम्हारे बिना और तुम पूछ रही थी कि मैं तुम पर कितना विश्वास करती हूँ तो बेटा मेरा दिल कहता है कि मेरी बेटी कोई ऐसा काम नहीं करेगी जिससे उसकी माँ का सर शर्म से झुक जाये अब तुम मुँह धो कर आओ और मेरे साथ चलो। 

लेकिन कहाँ माँ??? 

पुलिस स्टेशन…क्योंकि जिसने भी यह करतूत की है उसका पता लगाना और उसे सज़ा दिलाना बहुत आवश्यक है ताकि वह किसी और की जिंदगी बर्बाद न कर सके। 

उन्होंने जब थाने में इंस्पेक्टर को यह सारी बात बताई तो उन्होंने पूछा कि तुम्हारा किसी से झगड़ा तो नहीं हुआ? 

हाँ सर कुछ दिनों से एक लड़का मुझे बहुत परेशान कर रहा था उसकी गंदी फब्तियों को मैं नज़रअंदाज़ कर देती थी पर एक दिन तो हद हो गई जब उसने सबके सामने मेरा दुपट्टा खींच लिया। मैंने आव देखा न ताव और एक जोरदार तमाचा उसके गाल पर जड़ दिया वह गुस्से से मेरी तरफ देखते हुए बोला.. तुम्हारी इतनी हिम्मत कि मुझ पर हाथ उठाया तुमने। बहुत घमंड है तुम्हें खुद पर अब मैं दिखाऊँगा तुम्हारी औकात क्या है इस बात को काफी दिन हो गये और मैं निश्चिंत हो गई क्योंकि उस दिन के बाद वह मुझे दिखाई नहीं दिया। उसका नाम आकाश है वह हमारा सीनियर है। 

ठीक है अब आप आराम से घर जाइये अब हम उसे उसकी औकात दिखाएंगे। 

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जब पुलिस ने सख्ती के साथ आकाश से पूछताछ की तो उसने सब उगल दिया कि अपनी बेइज्जती का बदला लेने के लिए ही उसने स्नेहा की फोटो से यह फेक वीडियो बनाया था और वायरल कर दिया था। 

इंस्पेक्टर बहुत ही अच्छे इंसान थे आखिर वह भी एक बेटी के पिता थे और एक बेटी के दर्द को बहुत अच्छी तरह से समझते थे। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर इस केस का खुलासा किया ताकि स्नेहा पूरे समाज के सामने इज्जत से जी सके और साथ ही लोग जान जाएं कि विज्ञान का दुरूपयोग करके लोग किस तरह दूसरों के जीवन से खिलवाड कर सकते हैं ऐसे लोगों को उनकी औकात दिखाना बहुत जरूरी है जिससे फिर कोई ऐसा दुस्साहस न कर पाए। 

#औकात

कमलेश राणा

ग्वालियर

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