दो गोरे चिट्टे भाई बहन के बाद उसका जन्म हुआ था.. नर्स ने जैसे हीं दादी के हाथ में नवजात बच्ची को दिया, दादी लगभग चीख पड़ी.. ये हमारे खानदान की नही हो सकती है काली कलूटी…
समय गुजरता गया.. उसका नाम मां ने कृष्णा रखा… पड़ोसी रिश्तेदार परिचित तीनों बच्चों को साथ देखते तो कहते ये बच्ची आपके परिवार की नहीं लगती.. माता पिता भाई बहन दादी सब दूध जैसे और ये..इसकी शादी कैसे होगी..अरे इसे देखनेजब लड़के वाले आयेंगे तब इसकी बहन भाई कोसामने मत जाने देना वरना…और बाकी बातें ठहाकों में दब जाती…
कृष्णा बचपन से ये सब सुन रही थी.. स्कूल में भी भाई और बहन के सहपाठी अक्सर ब्यंगात्मक हंसी के साथ पूछ देते ये तुम्हारी बहन है…. धीरे धीरे कृष्ण अंतरमुखी स्वभाव की होती गई..
अपना अधिकतर समय अकेले बिताती.. बालमन पर सांवले रंग को लेकर पड़े शब्दों के चोट अब गहरे हो गए थे.. कहीं भी जाना होता पूरे परिवार के साथ कृष्णा कन्नी काट जाती.. घरवाले भी ज्यादा जिद नहीं करते… कृष्णा के पापा की एक बुआ भी साथ में रहती थी जो बाल विधवा थी… कृष्णा को उनसे अंदरूनी लगाव था और वो भी अपनी ममता कृष्णा पर लुटाती… उनके एकाकी जीवन में एकमात्र कृष्णा हीं थी जो उनको अपनापन का अहसास कराती थी.. बुआ कृष्णा को खूब पढ़ने के लिए प्रेरित करती.. कहती कान्हा जी भी सांवले थे जिन्हे पूरा संसार पूजता है… और अक्सर। कान्हा जी की कहानियां और बाल लीला सुनाती…
बुआ की बातों से कृष्णा को बहुत हिम्मत मिलता और उसका आत्मविश्वास बढ़ता…
कृष्णा के भाई बहन अब पढ़ाई से ज्यादा फैशन की तरफ आकृष्ट हो गए थे… बहन तरह तरह के ड्रेस पहन हेयर स्टाइल बना जब मम्मी पापा और दादी को दिखाती तो दादी नजर का काला टीका लगाना ना भूलती… मम्मी पापा की प्रशंसा भरी नजरें बिना कहे सब कुछ कह जाती… और फिर उसी वक्त कृष्णा का जिक्र जरूर होता उफ्फ ये लड़की….
भाई बहन साधारण नंबर से प्लस टू किए… इसलिए अच्छे कॉलेज में दाखिला नहीं मिला.. बहन को फैशन डिजाइनिंग और भाई को मॉडलिंग के क्षेत्र में जाना था..
तीन एटेंप के बाद भी निफ्ट क्वालीफाई नही कर पाई… और भाई चार साल दिल्ली और मुंबई में पिता का आटा गीला कर वापस आ गया…
कृष्णा ग्रेजुएशन के फाइनल ईयर में थी… स्कूल से हीं उसका सहपाठी था मयंक.. बेहद शांत पढ़ाई में जीनियस और बेहद शरीफ देखने में बहुत खूबसूरत..
मयंक के बहुत प्रयास के बाद कृष्णा मयंक से पिछले साल से बात करना शुरू किया था.. कृष्णा बहुत सुंदर पेंटिंग बनाती थी.. शहर के आर्ट गैलरी में लगे एग्जिबिशन में कृष्णा की पेंटिंग को मयंक ने बहुत मिन्नतों के बाद रखवाया…
बड़े बड़े कलाकारों के बीच कृष्णा को दूसरा पुरस्कार मिला… अखबार में कृष्णा का नाम आया…
कैरियर में असफल होने के बाद कृष्णा की बहन की शादी हो गई.. और भाई बिजनेस शुरू किया..
अर्थशास्त्र में ऑनर्स कर रही थी कृष्णा.. मयंक ने उसे प्रशासनिक सेवा के लिए बहुत मोटिवेट किया था…
कृष्णा अपने कॉलेज में टॉप की…
अपने माता पिता से प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली जाने की इजाजत मांगी… पिता ने अपनी माली हालत का हवाला देकर हाथ जोड लिया.. बेटा बेटी दोनो काफी पैसा बर्बाद कर चुके थे जिसका खामियाजा कृष्णा को भुगतना पड़ा…
मयंक ने दौड़ धूप कर खुद गारंटर बन लोन दिलवाया और कृष्णा दिल्ली चली गई…
मयंक भी तैयारी के लिए दिल्ली चला गया…
भाग्य और ईश्वर अगर किसी से कुछ छीन लेते हैं तो बदले में बहुत कुछ देते भी है… कृष्णा के जीवन में बुआ और मयंक भगवान बन के आए थे… मयंक और कृष्णा अब #अटूट बंधन #में बंध चुके थे…परिस्थितियां दोनो को बेहद करीब ले आई थी..
और वो सांवली लड़की जीजान से तैयारी में जुट गई.. एक शहर में रहते हुए भी मयंक से मिले उसे महीनो बीत जाता… दोनो के उपर बस एक ही धुन सवार थी… एग्जाम निकालना…
और पूरे दो साल के बाद वही सांवली लड़की इंडियन इक्नॉमिक्स सर्विस क्वालीफाई कर आईपीएस अफसर मयंक के साथ अपने शहर लौटी है… दादी और बूढ़ी हो गई हैं…
अपनी कांपती हाथों से आरती उतारती आंखों से पश्चाताप के गंगा जमुना बहाती रही.. और माता पिता भाई नजरें झुकाए अपराधी की तरह कृष्णा को देख रहे थे.. और बुआ की बूढ़ी हड्डियों में उत्साह जोश खुशी और गर्व की ताकत भर गई थी.. कृष्णा को पकड़ कर नाचने लगी खुशी से…
सादे समारोह में कृष्णा और मयंक की शादी हो गई…
और वो बहु प्रतीक्षित रात भी आ गई जिसका दोनो को इंतजार था… दोनो एक खूबसूरत #अटूट बंधन # में बंध गए थे….मयंक दरवाजे के पास खड़ा होके झुक के बोला क्या मैं दुनिया की सबसे खूबसूरत दुल्हन के कमरे में आ सकता हूं… और कृष्णा दौड़ कर मयंक के गले लग गई….
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Veena singh..
Sundar ati sundar
बहुत ही बढ़िया कहानी है। मेहनत और तकदीर के आगे रंग रूप मायने नहीं रखते। इसलिए किसी को भी रंग रूप के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए ।
🙏 लेखिका महोदया को सादर प्रणाम 🙏
🙏🌹🌹🙏
Bakwaas