अधिकांश लोग बुढ़ापे को एक रोग मानकर रोते कलपते जिन्दगी बिताते हैं,ये लोग बुढ़ापे को ज़िन्दगी का बोझ समझते हैं,इसी मानसिकता के कारण कई सारी बीमारियो को न्योता दे देते हैं।वहीं कुछ ज़िन्दा दिललोग बुढ़ापे को लाइफ़ का स्वर्णिम काल कहते हैं, क्योंकि इस उम्र तक आते-आते आप अपनी जिम्मेदारियों से निश्चित हो चुके होते हैं। जीवनकाल की आपाधापी नहीं रह जाती।बस जरूरत होतीहैइस स्वर्णिम काल को भरपूर शिद्दत से जीता जाय। जिन्दगी के पूरे मजे लिए जांय।
नौकरी से रिटायर होना , लाइफ से रिटायर होना नही होता।
जब से रामनाथ जी ने सीनियर सिटीजन गुरप जॉइन किया है,तबसे उनके लाइफ को जीने के मायने ही बदल गए है।हां इस सब का श्रेय वे अपने दोस्त सोमनाथ जी को देना नही भूलते।
आइए आपको रामनाथ जी से मिलाते हैं कि कैसे उनकी लाइफ मौज मस्ती में कट रही है। बुढापा तो जैसे छूमंतर होगया है उनकी लाइफ से।
रामनाथ जी का छोटा सा परिवार था जिसमें वे अपने बेटे वैभव व बेटी कामिनी के साथ वसंत कुंज के टू बीएचके फ्लैट में रहते थे।समय की गति के अनुसार दोनों बच्चों की शादी उनके नौकरीकाल में हीहो गई।बेटी की शादी भी उसके मनपसंद लडके से करदी।सभी खुश थे,बहू के घर मेंआजाने से रौनक हो गई थी।
कयोंकि बेटी की शादी के बाद घर का खालीपन बहू सीमा ने भर दिया था । स्वभाव से मिलनसार सीमा ने जल्दी ही घर में सबका दिल जीत लिया और समयानुसार घरको दो प्यारे तोफहे भी दे दिये।एकबेटाएक बेटी।
रामनाथ जी की पत्नी व रामनाथ अपने पोते पोतियों के साथ खेलकर खूब खुश रहते। धीरे धीरे जब बच्चे बड़े हुए तो उनके लिए अलग से रूम की जरूरत महसूस होने लगी।
यह बात अलग है कि पहले के जमाने में आठ बच्चों का परिबार छोटे से घर में पल जाता था लेकिन आज-कल के तथा कथित मां बाप अपने बच्चों को इतना अधिक पैमपर करते हैं कि हर छोटी-बड़ी बात में बच्चों की राय को बहुत महत्व दिया जाता है।जिसका परिणाम कभी कभी बहुत भयानक होता है । बच्चे जिद्दी बन जाते हैं,और अपने मन की करबा कर ही रहते हैं।
हां तो रामनाथ जी के बेटे वैभव ने नोएडा की पॉश कालोनी में एक फ्लैट ले लिया और अपनी पत्नी व बच्चों के साथ वहां शिफ्ट करने की सूचना रामनाथ जी को दी।
पापा बच्चे बड़े हो रहे है,यहां उनके लिए कोई अलग से रूम नही है अतः वे ठीक से पढाई नही कर पाते।
बेटे वैभव की बात सुनकर रामनाथ व उनकी पत्नी कांता एकदम भौंचक रह गए।वे कुछ कहते उससे पहले ही वैभव ने कहा,आप मन छोटा मत कीजिए, हमलोग एक-दूसरे से बराबर मिलते रहेंगे,कभी आप आजाना तो कभी हम लोग आजायगे।
बेटा जैसी तुम्हारी मर्जी,कह कर एक लम्बी सांस ली।बहू बेटे चले गया घर में सन्नाटा पसर गया, क्योंकि
रामनाथ व उनकी पत्नी की दुनिया तो बस बच्चों के इर्दगिर्द ही घूमती थी।
एक सप्ताह में ही उनकोलगने लगा कि वे बुढ़ापे की तरफ बढ़ रहे हैं क्योंकि उनकी अपनी कोई रुटीन तो थी नही।
एक दिन दोनो पति-पत्नी अपनी बालकनी में बैठ कर चाय पीरहे थे कि उनके दोस्त सोमनाथ का बहां से गुजरना हुआ,वे बड़ी जल्दी में कहीं जारहे थे,। रामनाथ जी ने उनको आबाज दी ,अमां यार कहां भागे चलेजारहे हो,कभी हमसे भी मिलने को समय निकालो।
कल आता हूं तुम लोगों से मिलने तभी भाभी के हाथ की अदरक की चाय और पकोड़े खाकर जाऊंगा।
दूसरे दिन शाम पांच बजे सोमनाथ जी रामनाथ जी से मिलने आये।साथ में एक फॉर्म भी लेकर आए।
बातचीत काफी देर तक चलती रही, रामनाथ जी ने अपना शिकायत का पुलिंदा खोला कि किस तरह उनका बेटा इस बुढ़ापे में हम लोगों को अकेला छोड़कर नोएडा में शिफ्ट हो गया है,अब तुम्हीं बताओ कि क्या बच्चों को पाल-पोस कर इसीलिए बड़ा करते हैं कि बुढ़ापे में हमें अकेला छोड़ कर चले जाय।
अमां यार रामनाथ तुम किस दुनिया में जी रहे हो,जो अभी तक बच्चों की मोह ममता में घुसे हुए हो।
ये क्यों नहीं समझते कि उनको पाल-पोस कर बड़ा करना सैटिलकरना तुम्हारा फर्ज था,तुम कोई अनोंखे थोड़े ही हो एसा करने वाले सारी दुनिया यही करती है।
अब तुम अपनी जिन्दगी जीओ ओर उन्हें उनकी जिंदगी जीने दो।सारी गलती तो तुम्हारी है,जो बच्चों से अलग कुछ देख नहीं पाते।
देखो ये फॉर्म में सीनियर सिटीजन समूह का लाया हूं, तुम लोगों को इसका मेम्बर बननाहै,फिर देखना तुम्हारी लाइफ कैसी खुशियों से भर जायगी।इस समूह में सभी एक ही उम्र के लोगहोते है,जोआपस में बातचीत करकेएक दूसरे की छोटी मोटी समस्याओं का हल भी सुझा देते हैं।
यह हर महीने कहीं न कहीं टूर पर लेजाते है, पिछले साल हम लोग तो इनके साथ बैंकॉक घूम कर आए।बहुत एन्जॉय किया।आखिर पैसा किसलिए कमा कर जमा किया है ।अपनी लाइफ एन्जॉय करो।शौक पालो।नये दोस्त बनाओ, सदैव कुछ न कुछ नया सीखतेरहो,फिर देखो लाइफ में कैसी रसभीनी बहार आएगी।
बदलते समय के साथ अपनी सोच नही बदलेंगे तो बस# हर दम बुढ़ापे का ही रोना रोते रहेंगे,और दो चार बीमारियों को गले लगा लेंगे सो अलग। खुश रहो व बच्चों को भी खुश रहने दो।
रामनाथ जी ने फॉर्म भर कर सोमनाथ जी को दे दिया और साथ में अगले सप्ताह रामेश्वर के मन्दिर जाने केटूर का भी पैसा जमा करबा दिया। खूब मौज मस्ती की अपने संग बराबर के लोगों के साथ। घूम कर उनके मन व शरीर में एक नई उर्जा का संचार हुआ।
सीनियर सिटीजन समूह को जॉइन करने से कुछेक नए दोस्त बन गए है।महीने में एक बार यह लोग किसी दोस्त के घर मिलते है, ढेर सारी बाते गेम खाना पीना होता है। लाइफ की नई पारी को एन्जॉय कर रहे है। देखा जाय तो यही लाइफ की हकीकत है, न कि शिकवा शिकायत पाल कर अपनी ख़ुशी के लिए किसी दूसरे को जिम्मेदार ठहराया जाय।
बुढापा समयानुसार सभी को आता है,तो इसको बोझ न बनाएं, शेष लाइफ खुल कर जीए और
खुशियों से दोस्ती करलें।फिर देखें कि यही बुढापा आपको कितना अच्छा लगेगा। व्यस्त रहें, मस्त रहें व स्वस्थ रहें का फार्मूला जीवन मेंअपनालें।
स्वरचित वमौलिक
माधुरी गुप्ता
बुढापा शब्द पर आधारित कहानी