अपमानित सिंदूर – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

निशा जल्दी जल्दी घर के कामों को निपटाने में लगी थी , आज उसकी किटी थी उसे वहां पहुंचना था। मां जी मैंने खाना बनाकर डाइनिंग टेबल पर लगा दिया है,आप और पापाजी खा लीजिएगा,मैं शाम की चाय से पहले आ जाऊंगी निशा ने अपनी सास से कहा। ठीक है बहू तुम निश्चिंत होकर जाओ शाम के चाय की चिंता न करना मैं बना लूंगी तुम आराम से आना  निशा की सास ने उससे कहा।निशा ने महसूस किया कि, उससे बात करते हुए उसकी सास के चेहरे पर उदासी है।

जबकि निशा ने हमेशा अपनी सास को मुस्कुराते हुए ही देखा था। फिर आज उनके चेहरे पर यह उदासी क्यों है निशा सोच में पड़ गई, मां जी आप उदास क्यों हैं कोई परेशानी है क्या अगर कुछ हुआ है तो मुझे बताइए शाय़द मैं कोई मदद कर सकूं निशा ने चिंता जाहिर करते हुए पूछा। नहीं बहू ऐसा कुछ नहीं है वह रात में ठीक से नींद नहीं आई इसलिए चेहरा उतरा हुआ है, थोड़ी देर सो लूंगी तो ठीक हो जाऊंगी  निशा की सास ने मुस्कुराने की कोशिश करते हुए कहा।पर निशा को उनकी बात पर विश्वास नहीं हुआ

फिर भी उसने बात को आगे नहीं बढ़ाया और तैयार होकर किटी पार्टी में चली गई।किटी में सभी सहेलियां अपने पति के प्रेम और विश्वास पर बात करती रहीं।  निशा ने कहा, जब हम किसी से प्रेम करते हैं तो उस पर विश्वास हो ही जाता है क्योंकि प्रेम और विश्वास एक दूसरे के पूरक हैं  मैं तेरी इस बात से पूरी तरह सहमत नहीं हूं कभी प्रेम में अति विश्वास घातक सिद्ध हो सकता है।जब हम प्रेम में अंधविश्वास करने लगते हैं तो हमारे विश्वास को टूटने में देर नहीं लगती उसकी सहेली मोना ने कहा।

वहां बैठीं सभी औरतें मोना की बात का समर्थन करने लगी। उन्होंने कहा कि, प्रेम करना और अपने प्रेमी पर विश्वास करना ठीक है पर अंधविश्वास नहीं करना चाहिए। वह व्यक्ति हमारे पति ही क्यों न हों, मैं तुम लोगों की बातों से सहमत नहीं हूं मैं अपने पति से प्रेम भी करतीं हूं और विश्वास भी क्यों मुझे पता है कि, वह भी मुझे प्यार करते हैं और इस जन्म में तो क्या वह हर जन्म में मुझसे ही प्यार करेंगे। मेरी मांग का सिंदूर और मेरा श्रृंगार इसका प्रतीक है मैं दूसरी औरतों की तरह नहीं हूं

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जिनके पति उनके साथ विश्वासघात करते हैं और वह तब भी उनके नाम का श्रृंगार करके चेहरे पर झूठी मुस्कान लिए फिरतीं हैं। मैं ऐसा दिखावा कभी नहीं कर सकती मैं जानती हूं कि, मेरा यह विश्वास कभी नहीं टूटेगा निशा ने गर्व से मुस्कुराते हुए कहा।किटी पार्टी के बाद जब निशा घर जा रही थी तो उसकी नज़र अपने पति की कार पर पड़ी जो उसकी बगल से अभी अभी निकली थी। क्रासिंग पर उसकी टैक्सी रूकी हुई थी तब उसने देखा था उसके साथ कोई लड़की भी थी जो उसके पति से सटकर बैठी हुई थी।

निशा को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ उसके मन में एक क्षण के लिए शक का बीज पनप उठा, फिर उसने सोचा हो सकता है वह उनकी सिक्रेट्री हो और वह लोग आफिस मीटिंग के लिए जा रहे हों।उसने अपने दिमाग से उस बात को निकाल दिया और अपनी ही बेवकूफी पर मुस्कुरा उठी।जब वह घर के दरवाजे पर पहुंचीं तो अंदर से उसकी सास की आवाज सुनाई दी वह अपने पति से कह रहीं थीं ,” शायद मेरे संस्कारों में ही कोई कमी रह गई होगी,हमने अपने बेटे को ऐसे संस्कार तो नहीं दिए थे

उसने हमारा सर शर्म से झुका दिया है जब उसकी करतूत बहू को पता चलेगी तो उसके दिल पर क्या गुजरेगी।उसका तो विश्वास ही टूट जाएगा वह हम पर बहुत विश्वास करती है मेरी तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है कि मैं उसे कैसे बताऊं कि, उसके पति ने दूसरी शादी कर ली है। मोहित ने इस घर के अलावा भी एक दूसरा घर बसा लिया है,अपनी सास की बात सुनकर निशा के पैरों के नीचे की जमीन खिसक गई।

उसके सोचने समझने की शक्ति क्षीण होने लगी उसने लड़खड़ाते हुए दरवाजा खोला।उसकी हालत देखकर उसकी सास समझ गई कि, निशा ने सब सुन लिया है। “बहू हम तुम्हें बताना चाहतें थे पर हिम्मत नहीं जुटा पाए मुझे माफ़ कर दो मुझे अपने बेटे से ऐसी उम्मीद नहीं थी मैंने कभी उसे ऐसे संस्कार नहीं दिए थे की वो अपने घर की मान-मर्यादा को मिट्टी में मिला दे और अपनी सीता जैसी पत्नी के साथ विश्वासघात करे” निशा की सास ने दुखी होकर कहा।

” मां जी यह बात आपको पता था फिर भी आपने मुझे नहीं बताया धोखे में रखा आपने ऐसा क्यों किया?” निशा ने रोते हुए पूछा,

“बहू मुझे कल ही पता चला है, तबसे मैं यहीं सोच रही थी कि, मैं तुम्हें कैसे बताऊं”निशा की सास ने कहा,

” मां जी इसमें सोचने जैसी क्या बात थी आपको मुझे बता देना चाहिए था। आपने मेरा विश्वास तोड़ा है जबकि आप मुझसे कहती थीं कि, आप मुझे अपनी बेटी मानती हैं पर ऐसा नहीं है मैं सिर्फ़ बहू हूं बेटी नहीं आपको सब पहले से पता था कि, आपके बेटे ने दूसरी शादी कर ली है” निशा ने व्यंग से मुस्कुराते हुए कहा।

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“बहू तुम मुझे दोषी करार नहीं दे सकती मैंने तुम्हें बहुत पहले सचेत किया था,कि मोहित अब हर हफ्ते आफिस के काम के सिलसिले में बाहर क्यों जाता है। कहीं किसी लड़की का चक्कर तो नहीं है पर तुमने मुझसे बहुत गर्व और विश्वास से कहा था कि, मां जी वह मेरे सिवा किसी भी लड़की की ओर आंख उठाकर भी नहीं देखेंगे।उस समय मैंने तुम्हें समझाने की कोशिश की थी कि, किसी पर अति विश्वास नहीं करना चाहिए।

पर तुमने मेरी बात को हंसी में उड़ा दिया था, अपने पति पर विश्वास करना ठीक है पर उसकी गतिविधियों पर नज़र भी रखना चाहिए।अपने साज श्रृंगार से उसे रिझाना चाहिए तुमने ऐसा करना छोड़ दिया, तुम यह समझतीं रहीं कि शादी के 15 साल बाद अब इसकी क्या जरूरत है।पर शायद तुम यह भूल गई कि, पति को हमेशा ख़ुश रखने के लिए समय-समय पर अपने प्रेम को जताना पड़ता है। जबकि तुमने ऐसा नहीं किया इसलिए तुम्हारा पति किसी और के रूप पर मोहित हो गया” निशा की सास ने गम्भीरता से कहा।

निशा ने कोई जवाब नहीं दिया  उसे कुछ समय नहीं आ रहा था कि,वो क्या जबाब दे वो अपनी सास की बात सुनकर मन ही मन सोचने लगी ” क्या पति पत्नी का रिश्ता सिर्फ शारीरिक आकर्षण में बंधा होता है पत्नी की सुन्दरता जबतक बरकरार है तभी तक वो पति के दिल की मलिका है जहां उसका सौन्दर्य ढलने लगा तो पति का प्यार भी खत्म हो गया लेकिन सुंदरता सिर्फ पत्नी की ही नहीं ढलती पति भी तो उम्र के साथ पहले जैसे जवान नहीं रहते लेकिन पत्नी को तो पति में कोई कमी नहीं दिखाई देती

वो तो पहले से ज्यादा पति को प्यार करने लगती है वो पति पर अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने को तत्पर रहती है अगर पति पत्नी का रिश्ता सिर्फ शारीरिक आकर्षण पर टिका है तो पति के नाम पर किया गया दिखावे का श्रृंगार किस काम का जब पति ने उसके हिस्से का सिंदूर उसकी मांग से नोचकर किसी और की मांग में सजा दिया तो फिर उस अपमानित सिंदूर को मांग में सजाने का का मतलब है

ये तो एक पति की मर्यादा और उसके प्यार का अपमान है जब पति ने पत्नी के स्वाभिमान और आत्मविश्वास को अपनी वासना की आग में जला डाला तो फिर ऐसे झूठे रिश्ते में बंधे रहने का कोई मतलब नहीं है” निशा ये सोच ही रही थी की उसका फोन बज उठा फोन उसकी किटी की सहेली का था निशा ने लम्बी सांस लेकर फोन आन किया उधर से आवाज आई ” निशा मुझे तुम्हें कुछ बताना है लेकिन पहले तुम अपने दिल को मजबूत कर लो” निशा की सहेली ने गम्भीर लहज़े में कहा

” क्या बात है रमा तुम ऐसा क्यों कह रही हो!!?”निशा ने गम्भीर लहज़े में पूछा वो रमा की बात का मतलब समझ गई थी लेकिन उसने अंजान बनते हुए पूछा

” निशा मैंने तुम्हारे पति को किसी और औरत के साथ देखा है वो औरत बहुत ही सुन्दर और जवान है शायद तुम्हारे पति ने उससे शादी कर ली है तुम्हें तो अपने पति के प्यार पर बहुत ही भरोसा था पर तुम्हारे पति ने तुम्हारा भरोसा तोड़ दिया है ये बात झूठ नहीं है बिल्कुल सही है जिस लड़की से तुम्हारे पति ने शादी की है वो मेरी दूर की रिश्तेदार है उस लड़की के चंगुल से तुम्हारे पति का छूटना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है क्योंकि वो लड़की बहुत ही लालची और घमंडी है

उसने अपने रूपजाल में तुम्हारे पति को फंसा लिया है अब तुम क्या करोगी!!? क्या अपने घर में अपनी सौतन को बर्दाश्त कर सकोगी या अपने पति का घर छोड़कर चली जाओगी ये तुम्हारे अंधविश्वास के कारण हुआ है अगर तुमने अपने पति को अपने प्यार और आकर्षक में बांध रखा होता तो तुम्हारा पति तुम्हें छोड़कर नहीं जाता । पर तुम अपने पति को आकर्षण में बांधती कैसे तुम तो अपना आकर्षण बहुत पहले ही खो चुकी हो तुम अपनी उम्र से 20 साल ज्यादा लगती हो

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मुझे देखो मैंने कैसे अपने आपको इस उम्र में भी अपने को कितना सुंदर और फिट बनाकर रखा हुआ है। इसलिए मेरे पति आज भी मेरे सौन्दर्य में बंधे हुए हैं फिर भी मैं अपने पति पर अंधविश्वास नहीं करती उनपर नजर रखतीं हूं कि,वो बाहर क्या कर रहें हैं।तुम्हें तो बहुत अहंकार था अपने पति के प्यार पर फिर उन्होंने तुम्हें धोखा क्यों दिया!!?” रमा ने निशा को अपमानित करने वाले लहज़े में कहा निशा ने कोई जबाब नहीं दिया फोन स्पीकर पर था जो रमा की बातों का जबाब निशा की सास ने दिया

” रमा बहू तुम अपने आपको निशा की दोस्त कहती हो अगर दोस्त तुम जैसे होते हैं तो निशा को दुश्मनों की क्या जरूरत है !!? तुम निशा की दोस्त नहीं उसकी दुश्मन हो तभी उसके ज़ख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रही हो अगर सच में तुम उसकी हितैषी होती तो उसे सांत्वना देती उसके दर्द को बढ़ाने की कोशिश न करतीं वैसे भी ये हमारे घर का मामला है हम खुद को सुलझा लेंगे हमें तुम्हारी सलाह की जरूरत नहीं है ” निशा की सास की बात सुनकर रमा ने जल्दी से फ़ोन काट दिया वो समझ गई की अब उसकी असलियत निशा के सामने आ गई है ।

दूसरी तरफ निशा चुपचाप अपनी सहेली और सास की बात सुनती रही फिर वहां से उठकर अपने कमरे में चली गई। थोड़ी देर बाद जब वह कमरे से बाहर आई तो उसका रूप बदला हुआ था।उसको देखकर उसकी सास चौंक गई क्योंकि निशा ने अपनी मांग का सिंदूर,माथे की बिंदी और चूड़ियां को निकाल दिया था उसे देखकर लग रहा था जैसे वह अभी, अभी विधवा हुई है।निशा की सास ने उसे देखकर आश्चर्य से पूछा, बहू यह क्या किया अभी तुम्हारा पति जिंदा है और तुमने विधवा का रूप धारण कर लिया यह तो अपशकुन है?

“मां जी मेरे पति ने मेरे सिंदूर को अपमानित किया है मैं अपमानित सिंदूर को अपनी मांग में नहीं सजा सकती मेरा विश्वास प्रेम से उठ गया है, आज मेरा स्वाभिमान चूर चूर हो गया। मैं उन पत्नियों की तरह नहीं हूं जो झूठ का मुखौटा लगाकर जीती हैं।जब मेरा पति मेरा नहीं रहा उसने मेरे विश्वास को तोड़ दिया तो मैंने भी इस झूठें श्रृंगार के बंधन को उतार कर आज फ़ेंक दिया।अब इसी रूप में मैं रहूंगी यदि आपको कोई एतराज़ है तो मैं यह घर छोड़कर जा सकती हूं” निशा ने दृढ़ता से जवाब दिया।

तभी उसके ससुर ने कहा ” निशा तुम आज से इसी तरह हमारे साथ अपने घर में रहोगी” निशा ने आज पहली बार अपने ससुर के जुबान से अपना नाम सुना उसने चौंककर उनकी तरफ़ देखा। वह निशा के सवालिया निगाहों को समझ गए उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा  “आज से तुम हमारी बहू नहीं बेटी हो बेटियों को तो उनके नाम से ही पुकारा जाता है”, अपने पति की बात सुनकर निशा की सास के चेहरे पर भी समर्थन के भाव दिखाई दिए।

“पापाजी “!! कहकर निशा अपने ससुर से लिपट गई

” पापाजी नहीं सिर्फ पापा कहो बेटी “! निशा के ससुर ने मुस्कुराते हुए कहा

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” हां और मुझे मम्मी कहो आज से तुम हमारी बहू नहीं बेटी हो” निशा की सास ने भी मुस्कुराकर कहा

  ” ठीक है मम्मी पापा जो आप लोगों की आज्ञा” निशा ने भी अदब से सिर झुकाकर गम्भीर लहज़े में कहा निशा को ऐसा करते देखकर उसके सास-ससुर ठहाका मारकर हंस पड़े निशा ने भी उनका साथ दिया।

   तभी निशा की नजर दरवाजे पर ठहर गई फिर अचानक उसकी हंसी पर ब्रेक लग गया उसी समय निशा के ससुर ने भी दरवाजे की ओर देखा तो वहां उनका बेटा मोहित खड़ा हुआ था अपने बेटे को देखकर निशा के ससुर का चेहरा कठोर हो गया।

  मोहित जैसे ही घर के अंदर दाखिल हुआ उसके पापा ने कठोर शब्दों में कहा,” मोहित वहीं रूक जाओ अब तुम इस घर में नहीं रह सकते!!”

  ” ये आप क्या कह रहे हैं ये घर मेरा भी है!!?” मोहित ने अचंभित होकर कहा

  ” ये घर तुम्हारा था!! अब नहीं है, ये घर मेरा है और यहां तुम नहीं रह सकते  ” मोहित के पापा ने कठोर शब्दों में जबाव दिया।

  ” तुम्हारे पापा ठीक कह रहे हैं तुमने हमारे संस्कारों को गाली दी है मैंने तुम्हें ऐसे संस्कार नहीं दिए थे “हमारे ही संस्कारों में कोई कमी रह गई होगी जो तुमने इतना बड़ा गुनाह किया एक पत्नी के रहते हुए तुमने दूसरी शादी कर ली तुमने एक बार भी निशा के बारे में नहीं सोचा उसका क्या होगा

उसके दिल पर क्या बीतेगी तुमने हमारे बारे में नहीं सोचा तो हम तुम्हारे बारे में क्यों सोचें अब इस घर के दरवाजे तुम्हारे लिए हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो गए हैं ये घर अब निशा का है और निशा जिसे चाहेंगी वही यहां रह सकता है और जहां तक मैं निशा को जानता हूं वो कभी नहीं चाहेगी कि,वो व्यक्ति यहां रहे जिसने उसके प्यार और सिंदूर को अपमानित किया है” मोहित की मम्मी ने भी गम्भीर लहज़े में अपना फैसला सुना दिया।

  अपने मम्मी पापा की बात सुनकर मोहित ने एक नज़र निशा पर डाली निशा की आंखों में अपने लिए नफ़रत देखकर मोहित समझ गया की अब वो अपने परिवार को हमेशा के लिए खो चुका है। लेकिन फिर भी उसने बेशर्मी और ढिटाई से निशा से कहा,” निशा तुमने मेरे मम्मी पापा को अपने वश में कर लिया है लेकिन वो ज्यादा दिनों तक मुझसे दूर नहीं रह सकते तुम देखना बहुत जल्दी ये लोग मुझे और मेरी नई पत्नी को इस घर में बुलाएंगे मैं उनका इकलौता बेटा हूं ये लोग मुझसे ज्यादा दिनों तक दूर नहीं रह सकते तुम देखना मेरा बेटा भी तुम्हें छोड़कर मेरे पास आएगा

तुम जानती हो क्यों क्योंकि मेरे पास पैसा है तुम तो कुछ करती भी नहीं हो अपने बेटे की जरूरतें कहां से पूरी करोगी इस समय तो मैं यहां से जा रहा हूं बहुत जल्दी अपने बेटे को लेने आऊंगा तब मेरा बेटा मेरे साथ जाएगा और तुम देखती रह जाओगी ” निशा ने अपने पति की बातों का कोई जबाब नहीं दिया निशा को चुप देखकर मोहित के चेहरे पर एक गर्वीली मुस्कान फैल गई जैसे वो कह रहा हो तुम कुछ नहीं कर पाओगी मोहित ने एक व्यंग्यात्मक नज़र निशा पर डाली और वहां से जाने लगा

तभी निशा की गम्भीर आवाज सुनकर वो रूक गया निशा उससे कह रही थी,” मिस्टर मोहित शुक्ला मेरी भी बात सुनते जाओ तुम आज के बाद मेरे बेटे से मिलने की कोशिश न करना वरना मैं तुम्हें कहीं का नहीं रखूंगी अगर तुम चाहते हो की तुम अपनी नई पत्नी के साथ खुश रहो तो आज से समझ लेना की तुम्हारा कोई बेटा नहीं है अगर तुमने उसके नज़दीक भी जाने की कोशिश की तो मैं तुम्हारा और तुम्हारी नई पत्नी का वो हाल करूंगी कि तुम इस समाज में मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहोगे “

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  ” तुम मुझे मेरे बेटे से मिलने से नहीं रोक सकतीं ” मोहित ने गुस्से में कहा

  ” आप किस बेटे की बात कर रहें हैं मिस्टर मोहित शुक्ला!!?” तभी वहां एक गम्भीर आवाज़ सुनाई दी।

  मोहित ने पीछे मुड़कर देखा तो वहां उसका बेटा आर्यन खड़ा था उसके चेहरे पर मोहित के लिए नफ़रत के भाव थे अपने बेटे की आंखों में अपने लिए घृणा देखकर मोहित कांप गया क्योंकि उसकी योजना पर पानी फिर गया था।

  ” मिस्टर मोहित शुक्ला मैं आपका नहीं अपनी मां का बेटा हूं  मैं आपको अपना पिता मानता ही नहीं इसलिए आज के बाद आप मुझसे मिलने की कोशिश न कीजियेगा जो व्यक्ति वासना का पुजारी होता है वो न तो किसी का बेटा होता है न ही पति और न ही पिता इसलिए आप यहां से जा सकते हैं आपकी सुन्दर पत्नी आपका इंतजार कर रही होगी!!” आर्यन ने नफ़रत से मोहित को देखते हुए कहा मोहित अपने बेटे की इतनी कड़वी बातें सुनकर शर्म से पानी-पानी हो गया उसने आशा भरी निगाहों से अपने माता-पिता की ओर देखा पर उनके चेहरों पर भी कठोरता दिखाई दी मोहित ने एक असहाय सी नज़र सब पर डाली और एक हारे हुए जुआरी की तरह थके कदमों से घर से बाहर निकल गया।

निशा अपने बेटे से लिपटकर फूट-फूटकर रो पड़ी पर ये आंसू दुःख के नहीं खुशी के थे आज उसके बेटे ने अपनी मां के स्वाभिमान की रक्षा जो की थी।

डॉ कंचन शुक्ला

स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश

( #हमारे ही संस्कारों में कोई कमी रह गई होगी)

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