ये कैसी बात कर रही हो सुजाता! नंदिनी की शादी तुम्हारे भाई के साथ, वैसे क्या जोड़ है ….
हाँ…मेरे हिसाब से तो ठीक है दोनों का जोड़ … फिर समीर को नंदिनी बहुत पसंद आई थी । तुम्हारी सगाई के दिन उसे देखकर मेरा भाई लट्टू हो गया था उस पर …. छह महीने हो चुके पर आज भी समीर कई बार नंदिनी का ज़िक्र करता है मेरे सामने ।
पागल है तू भी… समझा दे उसको । कहाँ तुम इतने बड़े बिज़नेसमैन और कहाँ मेरी ससुराल? तुम्हें तो पता ही है कि महीप की शादी मुझसे केवल इसलिए हुई क्योंकि उसका सिलेक्शन सिविल सर्विस में हो गया था और आजकल आई० ए० एस० आफ़िसर को भला कौन छोड़ता है? वरना कहाँ मेरी फ़ैमिली और कहाँ मेरा ससुराल…. दो कुर्सी तक तो है नहीं बैठने को … और नंदिनी, उसे तो ढंग से कपड़े पहनने तक नहीं आते ।
पर अब तो उनकी हैसियत बढ़ गई ना ? भई , बेटा आई० ए० एस० और तुम्हारे जैसी वैल रेपुटिड फ़ैमिली के साथ रिश्ता ।
तुम वर्तिका से क्यों नहीं मिलवाती समीर को…. पापा कह भी रहे थे कि उसकी भी जल्दी ही शादी कर देंगे । इस नंदिनी को छोड़ो, वर्तिका के बारे में बताओ अपने भाई को बल्कि मैं तो ये कहती हूँ कि दोंनो को मिलवाओ।
अच्छा, इस बारे में बाद में बात करेंगे । अभी शापिंग के लिए निकलना है वो किट्टू का बर्थडे हैं ना …..
अरे…रे …. सुन ! किट्टू तेरा भतीजा है ना ? तो तूने मेरे घरवालों को नहीं बुलाया?
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अरे ..वो अब तुम तो यहाँ हो नहीं, बस इसलिए….
बस इसलिए तुमने सोचा कि मालिनी की तो शादी हो गई… रिश्ता ख़त्म करो । है ना यही बात ?
अरे पागल है तू , ऐसा कुछ नहीं था । वैसे बर्थडे हफ़्ते बाद है …
चुपचाप मम्मी- पापा को फ़ोन कर देना और सुन वर्तिका को भी बुला लेना , कितना बढ़िया रहेगा कि समीर भी वर्तिका से मिल लेगा ।
सुजाता ने हाँ- हाँ कहके अपनी सहेली मालिनी का फ़ोन रख दिया और सोचने लगी—-
ये भी ना … कैसी बात करती है । ज़बरदस्ती निमंत्रण देने को भला कौन कहता है? इतना भी नहीं समझती कि शादी के बाद भाई- भाभी के मामले में ज़्यादा हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए । अंत में सुजाता ने फ़ैसला किया कि अगर भाई-भाभी ने खुद मेरी सहेलियों को निमंत्रण देने के बारे में बात की तो मालिनी के घर कार्ड देने को कह देगी अन्यथा नहीं ।
और जब भतीजे के जन्मदिन से दो दिन पहले वो मायके पहुँची तो भाभी ने बताया—-
दीदी! आपकी दोनों ख़ास सहेलियों के यहाँ भी कार्ड भिजवा दिया है और आप उनको भी फ़ोन करके इंवाइट कर लो । इस बहाने सहेलियों का मिलना भी हो जाएगा ।
हाँ-हाँ भाभी, मैं कॉल करती हूँ ।
भाभी का मान रखने के लिए सुजाता ने कह तो दिया पर उसने न तो मालिनी को कॉल किया और न ही अपनी दूसरी सहेली को । वैसे भी दोनों दूर रहती थी ।
जिस दिन किट्टू का बर्थडे था मालिनी के माता-पिता अपनी छोटी बेटी वर्तिका के साथ पहुँच गए । मालिनी के कहे अनुसार सुजाता ने वर्तिका का सामान्य परिचय अपने पूरे परिवार से करवाया पर उससे ज़्यादा उसने कोई रुचि नहीं दिखाई । सुजाता जानती थी कि समीर को वर्तिका जैसी माडर्न लड़की पसंद नहीं है । जब मालिनी की मम्मी ने कहा—
सुजाता! अपनी मम्मी और समीर से वर्तिका को ढंग से मिलवाओ ताकि आगे बातचीत में आसानी रहे ।
तो सुजाता वर्तिका को लेकर समीर के पास गई और उसने कहा—-
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समीर, वर्तिका तुम्हारी हमउम्र है। उसे भी अपने दोस्तों की मंडली में शामिल कर लो भई , वरना ये तो बेचारी बोर हो जाएगी ।
अगले ही दिन सुबह मालिनी का फ़ोन आ गया— सुजाता! कैसी लगी वर्तिका समीर को? तूने बात कर ली क्या?
मालिनी! कल बारह बजे तक तो हम लोग होटल से वापस आए , फिर सो गए । चिंता मत कर …मैं बात करके खुद फ़ोन करूँगी । अभी मामाजी वग़ैरहा के जाने की तैयारी करवा रही हूँ मम्मी के साथ ।
पूरा दिन ऐसे ही निकल गया । शाम को खाने की टेबल पर पूरे परिवार को इकट्ठा देख सुजाता ने कहा—-
वो मालिनी की बहन वर्तिका आई थी ना कल तो हमारे समीर के लिए कैसी रहेगी?
लड़की तो प्यारी है , मम्मी ने कहा ।
काफ़ी माडर्न लग रही थी, मम्मी जी ! वैसे समीर को पसंद है तो फिर ठीक है ।
तो ठीक है ना , एक देहातन और दूसरी माडर्न हो जाएगी । बड़े भैया सागर ने अपनी पत्नी को छेड़ते हुए कहा ।
ख़बरदार! जो मेरी इतनी अच्छी बहू को देहातन कहा ।
तब तो वह बात हँसी- ठिठोली में दब गई । खाने की मेज़ से उठते ही समीर बहन के पास गया और बोला ——
दीदी ! प्लीज़ वर्तिका के हिसाब से मैं ठीक नहीं, आपको तो पता ही है कि मेरे साथ साधारण लड़की ही खुश रह सकती है , क्या फ़ायदा होगा अगर हम दोनों खुश ही नहीं रहेंगे ।
जानती हूँ समीर, फिर मेरी सहेली की इच्छा है इसलिए मैंने घरवालों को बता दिया । तुम्हारी इच्छा के बिना भला कैसे शादी हो सकती है?
अगले दिन सुजाता भी अपने पति के साथ वापस लौट गई । दो/ तीन दिन बाद फिर मालिनी ने सुजाता को फ़ोन किया ।
सुजाता ने कहा——
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मालिनी, मेरी बात समझने की कोशिश करो , मैंने घरवालों को तुम्हारी इच्छा बताई पर समीर और वर्तिका के विचारों में काफ़ी अंतर है…..
अरे ! शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा । तू क्या समझती है कि मेरे और महीप के विचार मिलते हैं? समझौता तो करना ही पड़ता है ।
नहीं मालिनी, मम्मी- पापा ने , ना तो हम दोनों भाई-बहन के साथ ज़बरदस्ती की और ना ही समीर के साथ करेंगे । सॉरी यार ! समीर का यही मानना है कि वह वर्तिका के लिए सही जीवनसाथी नहीं है । तू अपने सास-ससुर से नंदिनी के रिश्ते की बात कर ना , असल में समीर को नंदिनी जैसी डाऊन टू अर्थ लड़की चाहिए ।
अच्छा! तो नंदिनी की ख़ातिर तूने वर्तिका में कोई इंटरेस्ट ही नहीं लिया ।
नहीं- नहीं मालिनी! मैं तुझे पहले दिन से कहने की कोशिश कर रही हूँ पर तू समझना ही नहीं चाहती । वर्तिका मेरी भी तो बहन है ।
सुजाता कहती रह गई पर मालिनी फ़ोन काट चुकी थी । उधर समीर ने फिर से सुजाता को नंदिनी के बारे में कहा। सुजाता ने समीर को सारी बात बता दी ।
ये तो मामला सीरियस हो गया दीदी! छोड़ो, अपनी घमंडी सहेली को …. कैसी बातें करती है वो । क्या बड़े बिज़नेसमैन को दिखावटी ज़िंदगी जीनी चाहिए ? अपने बराबर की आमदनी वालों के साथ ही संबंध रखने चाहिए…. ये कैसी सोच है ?
क्या कह सकती हूँ समीर ! सबका अलग-अलग नज़रिया होता है । वैसे अब पता नहीं, मालिनी को क्या होता जा रहा है… पहले ऐसी बातें नहीं करती थी । पता नहीं, बेचारी नंदिनी से क्यों इतना जलती है?
नंदिनी के सामने कहाँ ठहरती हैं वो ….
अच्छा, तू कुछ ज़्यादा ही नहीं सोच रहा नंदिनी के बारे में ? मालिनी ने फ़ोन उठाना बंद कर दिया । उसके पति या ससुराल का नंबर हमारे पास है नहीं, तो ऐसी स्थिति में नंदिनी के साथ रिश्ते की बात भूल जा । वैसे भी अब मालिनी ये रिश्ता होने नहीं देगी ।
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नहीं दीदी, प्लीज़ ऐसा मत कहिए । फ़ोन नंबर नहीं है पर आपको ये तो पता है कि मालिनी दीदी के पति की पोस्टिंग कहाँ है, बस चलेंगे वहीं । एक बार कोशिश करते हैं, बाक़ी भगवान की मर्ज़ी ।
मान गए भई समीर! इतना तो तुम नंदिनी को जानते भी नहीं… क्या पता , स्वभाव कैसा है?
चलो … चल जाएगा पता । काम तो सारा आपको करना पड़ेगा, मुझे तो जितना कहोगी उतनी हैल्प कर सकता हूँ ।
सुजाता ने अपने पति से बात की । अभी उसने घर में किसी ओर के सामने नंदिनी का ज़िक्र नहीं किया और अंत में छोटे भाई समीर की इच्छा को ध्यान में रखते हुए एक बार ग्वालियर जाने की योजना बना ली क्योंकि महीप की पोस्टिंग वहीं थी ।
वहाँ सुजाता और उसके पति ने पहले से ही होटल में अपने ठहरने का इंतज़ाम किया हुआ था । दोनों इस तरह प्रोग्राम बनाकर गए थे कि अगले दिन इतवार पड़ रहा था । घर का पता तो सुजाता के पास था ही क्योंकि अक्सर मालिनी उसे वहाँ आने का निमंत्रण देती रहती थी । सुजाता और उसके पति सुबह दस बजे के क़रीब बिना बताए उनके घर जा पहुँचे । मालिनी और महीप शायद सुबह की चाय पी रहे थे जैसे ही गार्ड ने नाम पूछा तो तुरंत महीप की आवाज़ गेट के पीछे से आई —-
इमरान ! गेट जल्दी खोलो भाई, ये तो मेम साहब की खासमखास सहेली हैं । वाओ! आज तो आपने मालिनी को सरप्राइज़ दे दिया ।
असल में वे चाय का कप हाथ में पकड़े अपने छोटे से पपी के साथ गेट के दूसरी तरफ़ कुछ देखने खड़े थे कि अचानक सुजाता का नाम सुनकर तुरंत बोल उठे थे ।
सुजाता को इस तरह देखकर मालिनी भी हक्की-बक्की रह गई थी । पति के सामने उसने सुजाता को गले लगाया और अपनेपन का इज़हार किया ।
खाने के बाद सुजाता ने महीप से कहा——
जीजाजी! आज मैं और अर्जुन आपसे कुछ माँगने आए हैं….
ये क्या कह रही है सुजाता जी ! हुक्म कीजिए ।
दरअसल आपकी सगाई में मेरे छोटे भाई समीर ने आपकी बहन नंदिनी को देखा था और मालिनी से कुछ महीने पहले पता चला कि उसकी पढ़ाई पूरी हो गई है और अब वो डॉक्टरेट कर रही है अगर आप उचित समझें और समीर आपको पसंद आ जाए तो दोस्ती रिश्तेदारी में बदल जाएगी ।
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अरे सुजाता! महीप क्या बताएँगे, पर शायद नंदिनी को यह रिश्ता पसंद ना आए क्योंकि हम तो उसके लिए कोई बड़ा सरकारी ऑफ़िसर ढूँढ रहे हैं । क्यों महीप ?
हाँ..पर अगर ….
अगर की तो कोई बात ही नहीं, वैसे समीर तो अपने बिज़नेस को सँभालेगा । सॉरी सुजाता! देख दोस्ती अपनी जगह और नंदिनी की इच्छा को…. इस तरह अनदेखा नहीं कर सकते ।
महीप जी , मैं समीर की बहन की हैसियत से इतना ज़रूर कहूँगी कि आप एक बार समीर से मिल लिजिए फिर किसी नतीजे पर पहुँचिएगा ।
सुजाता! नंदिनी हमारी बड़ी लाड़ली है , प्लीज़ अब मत कहो ।
और इस तरह सुजाता अपमान का घूँट पीकर लौट आई । बहन से सारी बात सुनकर समीर ने मन ही मन निर्णय कर लिया कि एक बार सरकारी नौकरी के लिए कोशिश ज़रूर करेगा । वह पढ़ा- लिखा होनहार छात्र रहा था । वो तो बड़े फैले कारोबार के कारण पिता ने नौकरी नहीं करने दी वरना आज कहीं ऊँची कुर्सी पर बैठा होता ।
छोड़ समीर! क्या केवल नंदिनी ही आख़िरी लड़की है । बताने को तो मैं महीप से सारी बात बता देती कि ये बहन के रिश्ते की मना सुनकर बदला ले रही है पर ये मुझे उचित नहीं लगा ।
अब बात नंदिनी की नहीं रही दीदी, उन्होंने आपका और जीजू का जिस तरह अपमान किया , उसकी है । विवाह तो भगवान की मर्ज़ी से होते हैं पर अब मैं उनको सरकारी ऑफ़िसर बनकर दिखाऊँगा वरना कल कह सकती हैं कि मैं तो अनपढ़ हूँ । हाँ, थोड़ा सा ग़ैप हो गया पर अभ्यास से सब संभव है ।
इधर समीर ने कस्टम विभाग में निकली वेकेंसी के लिए दिन रात एक कर दिया और इधर वर्तिका के लिए मालिनी का पूरा ध्यान नंदिनी के आए उन अच्छे रिश्तों पर था जो महीप के प्रभाव के कारण आ रहे थे और मालिनी ने विवाह की सारी ज़िम्मेदारी खुद ले रखी थी । जबकि वर्तिका के लिए रिश्तों की कोई कमी नहीं थी ।
ख़ैर एक साल के भीतर ही समीर ने एक कस्टम ऑफ़िसर के रूप में चेन्नई ज्वाइन कर लिया । एक दिन सुजाता की भाभी का फ़ोन आया —-
दीदी , मालिनी की ननद का रिश्ता मेरे भाई के लिए आया है, आपने देखी है क्या लड़की? वो तो आज मम्मी का फ़ोन आया तब बातों- बातों में ज़िक्र आया कि मालिनी की ननद है।
आज सुजाता ने अपनी भाभी को सारी बात बता दी ।
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—- हद हो गई दीदी! आपने ना तो मम्मी- पापा को कुछ बताया और ना ही मुझे या अपने भाई को ? वैसे हम सब सोच तो रहे थे कि अचानक समीर को ये नौकरी का चस्का कैसे लग गया पर बाद में यह सोचकर छोड़ दिया कि साल दो साल शौक़ पूरा करने देते हैं । अब आप चिंता मत करना , ये मामला मैं हैंडल कर लूँगी ।
पर आप कैसे भाभी ? दुबारा उनके दरवाज़े जाना , मालिनी बहुत ज़िद्दी है, कभी नहीं होने देगी ।
अरे देखती जाओ … कहीं आप भी तो अपने भाई की तरह मुझे देहातन नहीं समझती ?
इस तरह ननद – भाभी ने हँसी – ठिठोली की । तीसरे ही दिन भाभी का फ़ोन आया—-
दीदी! आज महीप , मालिनी और उनके माता-पिता आएँगे । आप जल्दी से जीजू के साथ आ जाइए । कल शाम महीप और समीर की वीडियो कॉल पर मुलाक़ात हुई थी और आज वो घरबार देखने आ रहे हैं ।
सच … भाभी ! क्या जादू किया आपने ?
अरे सच्ची , मैंने कुछ नहीं किया । जब आपसे बात हुई तो थोड़ी देर बाद ही मेरी मम्मी ने फ़ोन पर बताया कि नंदिनी की कुंडली हितेश से मैच नहीं की असल में नंदिनी मांगलिक है बस ये सुनकर मैंने पापा को समीर का नाम सुझाया क्योंकि हमारा समीर भी मांगलिक है । जब महीप से उन्होंने सारी बात की तो उन्हें यह रिश्ता अच्छा लगा और उसी दिन समीर को देखकर उससे बात भी कर ली ।
वाह भाभी , इसे कहते हैं कि जोड़ियाँ स्वर्ग में बनती हैं । अब तो ना होने की गुंजाइश ही नहीं थी क्योंकि दोनों ननद – भाभी को पता था कि घरबार तो महीप और उसके माता-पिता को पसंद आएगा ही आएगा क्योंकि जब उसी घर की बहू के पिता रिश्ता करवा रहे हो तो सीधा सा अर्थ होता है कि लोग बहुत संस्कारी हैं ।
सुजाता का मन कर रहा था कि जल्दी से जाकर मालिनी का चेहरा देखें जिस पर हवाइयाँ उड़ने वाली थी ।
नंदिनी के माता-पिता और भाई-भाभी चाय पी रहे थे । तभी मालिनी ने पारी बदलते हुए कहा—
अरे मुझे तो सुबह पता चला कि अपने समीर से रिश्ते की बात चल रही है । अपने समीर और नंदिनी की जोड़ी लाखों में एक लगेगी । जल्दी से विवाह की तारीख़ निकलवाइए ।
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पर मालिनी , एक बार समीर और नंदिनी भी एक दूसरे को देख लेते तो ठीक रहता ।
आप मेरा विश्वास कीजिए आँटी जी, दोनों मना कर ही नहीं पाएँगे ।
सुजाता और उसकी भाभी एक दूसरे को देखकर मंद-मंद मुस्करा रही थी— आज भी अपनी ही बात ऊपर रखेगी ।
करुणा मलिक